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समाज का दर्पण है लघुकथा साहित्य

कानपुर देहात, जागरण संवाददाता : हिंदी लघु कथा का साहित्य समाज का दर्पण है। लघु कथाएं वैदिक संस्कृति

By Edited By: Published: Fri, 27 Feb 2015 07:27 PM (IST)Updated: Fri, 27 Feb 2015 07:27 PM (IST)
समाज का दर्पण है लघुकथा साहित्य

कानपुर देहात, जागरण संवाददाता : हिंदी लघु कथा का साहित्य समाज का दर्पण है। लघु कथाएं वैदिक संस्कृति से जुड़ी हैं। यह बात शुक्रवार को अकबरपुर महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय हिंदी गोष्ठी के समापन पर वक्ताओं ने कही।

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गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वीएसएसडी कालेज के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. रमेश चंद्र शर्मा ने बोध कथा व लघु कथा को वैदिक संस्कृति से जोड़ते हुए इसके विकास का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि लघु कथा समाज की भावनाओं से जुड़ा है। मुख्य वक्ता देवरिया के डॉ. शिव नारायण सिंह ने वाद संवाद के माध्यम से हिंदी लघु कथा साहित्य का तार्किक विश्लेषण किया। विशिष्ट वक्ता के रूप में वीएसएसडी कालेज के डॉ. राकेश शुक्ला ने हिंदी लघु कथा साहित्य को समाज का दर्पण बताया। गोष्ठी में डॉ. रंजन त्रिपाठी , डॉ. ऊषा किरण अग्निहोत्री डॉ. प्रदीप दीक्षित, पं. रमाकांत मिश्रा, हिंदी लघु कथा साहित्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस मौके पर डॉ.सीपी पाठक ने धन्यवाद व संचालन डॉ. इंद्रमणि ने किया। कार्यक्रम में डॉ. देश दीपक, डॉ. अंकित, डॉ. देवव्रत, डॉ. सीमा द्विवेदी, डॉ. रक्षा गुप्ता, डॉ. रश्मि पांडेय आदि मौजूद रहे।


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