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कानपुर के नन्हे इतिहासकार का हार्वर्ड में डंका, चंद्रमा पर भी चमका यशवर्धन का नाम, पढ़िए यह साक्षात्कार

शिवकटरा लालबंगला में रहने वाले 11 वर्षीय यशवर्धन सिंह का चंद्रमा पर नाम चमक रहा है। 26 मार्च को नासा ने चंद्रमा पर भेजे स्पेसक्राफ्ट मिशन में यशवर्धन का नाम शामिल किया है वहीं लंदन की हार्वर्ड संस्था भी नन्हे इतिहासकार का अवार्ड दे चुकी है।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Fri, 15 Apr 2022 09:19 AM (IST)Updated: Fri, 15 Apr 2022 09:19 AM (IST)
कानपुर के नन्हे इतिहासकार का हार्वर्ड में डंका, चंद्रमा पर भी चमका यशवर्धन का नाम, पढ़िए यह साक्षात्कार
कानपुर के नन्हे इतिहासकार यशवर्धन सवालों के जवाब देते हुए।

कानपुर, जागरण संवाददाता। कच्ची उम्र के बच्चे अपनी दुनिया में मस्त रहते हैं। उन्हें देश दुनिया में चल रही गतिविधियों का भान नहीं होता लेकिन 11 साल की उम्र में लाल बंगला के शिवकटरा निवासी यशवर्धन देश दुनिया में अपनी प्रतिभा का डंका बजा रहे हैं। लंदन की संस्था हार्वर्ड ने उन्हें नन्हें इतिहासकार का अवार्ड दिया है। पिछले माह 26 मार्च को नासा ने चंद्रमा पर अपना स्पेसक्राफ्ट भेजा, जिसमें यशवर्धन का भी नाम शामिल था। भारतीय डाक विभाग उन पर डाक टिकट जारी कर चुका है। यशवर्धन की भारतीय विदेश सेवा (आइएफएस) में अफसर बनकर भारत को विश्वगुरु का दर्जा दिलाने की इच्छा है। विभिन्न विषयों पर बेबाकी से विचार रखने की प्रेरणा कहां से मिली जैसे विषयों पर यशवर्धन सिंह से दैनिक जागरण संवाददाता विवेक मिश्र ने बातचीत की। प्रस्तुत हैं साक्षात्कार के प्रमुख अंश...

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* छोटी सी उम्र में इतिहास व अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों को जानने की प्रेरणा कहां से मिली?

-मैं छह साल का था तो पिता अंशुमन सिंह और मां कंचन को पीसीएस की तैयारी के दौरान इतिहास पढ़ते देखता था। उन्हें पढ़ते देख मेरी भी इतिहास के प्रति दिलचस्पी बढ़ गई।

* स्कूल की पढ़ाई व होमवर्क के दबाव के बीच समय प्रबंधन कैसे करते हैं?

- स्कूल में पढ़ाई के दौरान मिलने वाले होमवर्क को क्लास में निपटा लेता हूं। घर में आनलाइन प्लेटफार्म से जानकारी जुटाता हूं।

* भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए भारतीय विदेश सेवा में जाना क्यों जरूरी है?

- 2018 में एक लेख में पढ़ा था कि भारत को विश्व गुरु बनने के लिए आइएफएस (भारतीय विदेश सेवा) अधिकारियों की जरूरत हैं।  

* एनडीए, सिविल सेवा, एसएससी की पढ़ाई कराने का ख्याल मन में कैसे आया?

- कोरोना काल में मैं आनलाइन क्लास लेता था। अब खुद कोङ्क्षचग संचालक बुलाते हैं।

* इतिहास व अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर ही ज्यादा फोकस क्यों रहता है?

-प्रतियोगी परीक्षा में इनसे ही संबंधित अधिकतर प्रश्न पूछे जाते हैं, इसलिए इस पर ज्यादा फोकस रखता हूं।

* अध्ययन के दौरान अड़चन आने पर आप किससे मार्गदर्शन लेते हैं?

-मां, पिता, बहन आनवी के अलावा एएसपी राजेश पांडेय और सुप्रीम कोर्ट के वकील डा. सिद्धार्थ अरोड़ा से मार्गदर्शन लेता हूं।  

* अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के दूसरे देशों के साथ संबंधों पर क्या राय है?

- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साख काफी हद तक सुधरी है।  

* बाल शिक्षा व बाल अधिकार पर आप क्या काम करेंगे?

-यूएन में होने वाली बाल संसद में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने सुझाव रखूंगा।


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