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    World Soil Day: आइआइटी का यंत्र 90 सेकेंड में बताएगा मिट्टी की सेहत, मोबाइल पर होगी सारी जानकारी

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Sat, 05 Dec 2020 07:56 AM (IST)

    खेतों की मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा का सही होना जरूरी है। इनका संतुलन बिगडऩे पर फसलों के उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। खेतों से सूखी मिट्टी निकालकर यंत्र में डालने पर अब तुरंत रिपोर्ट आ जाएगी।

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    मिट्टी की जांच के लिए आइआइटी ने यंत्र बनाया है।

    कानपुर, जेएनएन। आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों ने मशीन लर्निंग तकनीक से ऐसा यंत्र तैयार किया है, जिसमें सूखी मिट्टी डालने पर 90 सेकेंड के बाद उसमें मौजूद सभी तत्वों की मात्रा मोबाइल पर आ जाती है। इस यंत्र को स्मार्ट भू-परीक्षक नाम दिया गया है। यह पूरी तरह से सेंसर पर आधारित है, इसको पेटेंट कराने के लिए आवेदन किया गया है।

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    मिट्टी पर निर्भर करता फसलों का उत्पादन

    आइआइटी के डीन एल्युमिनाई व केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. जयंत कुमार सिंह, डॉ. आमिर, अशर, पल्लव, यशस्वी ने स्मार्ट भू-परीक्षक यंत्र तैयार किया है। फसलों की गुणवत्ता और उसकी पैदावार मिट्टी के पोषक तत्वों पर निर्भर करती है। जमीन के अंदर नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कार्बनिक तत्वों की मात्रा का सही होना जरूरी है।

    इनका संतुलन बिगडऩे पर इसका सीधा असर फसलों की उत्पादकता पर पड़ता है। किसान खेतों में खाद, पानी के साथ कई तरह के जैविक व रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कई बार नतीजे सकारात्मक नहीं आते। इसकी बड़ी वजह पोषक तत्वों की कमी का होना है। ऐसे में समय-समय पर मिट्टी की जांच आवश्यक है। किसान कृषि विभाग की लैब से जांच कराते हैं, लेकिन कई बार वहां भी समय लग जाता है।

    एक बार चार्ज करने में 120 सैंपल की जांच

    प्रो. जयंत कुमार सिंह ने बताया कि यंत्र को चलाना बेहद आसान है। एक बार इसकी बैटरी को चार्ज करने पर 110 से 120 मिट्टी के सैंपल की जांच कर सकता है। इसकी उम्र पांच वर्ष है, जबकि 10 लाख नमूनों का आकलन करने में सक्षम है। इसके लिए किसी अन्य तरह के रसायन की जरूरत नहीं पड़ती है। ये पूरी तरह से पर्यावरण मित्र है। सैंपल को यंत्र में बने कक्ष में डालना पड़ता है।

    पहले भी बनाया जा चुका है यंत्र

    आइआइटी के विशेषज्ञ दो वर्ष पहले भू-परीक्षक यंत्र तैयार कर चुके हैं। उसमें मिट्टी को हल्के पानी में गीला करना पड़ता था। उसका पेटेंट भी हो गया था, लेकिन खर्चा काफी अधिक आ रहा था।

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