World Lion Day: कानपुर चिड़ियाघर में 49 साल पहले आया था जंगल का राजा, दहाड़ से खौफ में आ जाते थे शहरवासी
World Lion Day आज विश्व शेर दिवस है। यह 10 अगस्त को मनाया जाता है। कानपुर चिडि़याघर में जब पहली बार शेर लाया गया तो उसकी दहाड़ से लोग खौफ खाते थे। वर्ष 1976 में सबसे पहले शेर बादल व शेरनी नीता को जूनागढ़ से लाया गया था। बादल की एक साल और नीता की तीन साल बाद मौत हो गई थी।

जागरण संवादादाता, कानपुर। World Lion Day: चिड़ियाघर में जब शेर बादल दहाड़ता था तो उसकी आवाज सिर्फ परिसर तक ही सीमित नहीं रहती थी। आसपास के क्षेत्रों में भी गूंजती रहती थी। चिड़ियाघर में जब पहली बार शेर आया तो उसे देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी थी। चिड़ियाघर में शेर आने की जानकारी मिलने पर शहर के अतिरिक्त आसपास के कस्बों से भी लोग उसे देखने के लिए आते थे।
यह बात 49 वर्ष पहले की है। उस समय चिड़ियाघर के आसपास आबादी काफी कम थी। शोर-शराबा भी नहीं था। ऐसे में जब शेर दहाड़ता था तो लोगों में खौफ पैदा हो जाता था।
चिड़़याघर का दर्शकों के लिए वर्ष 1974 में खोला गया था। यहां सबसे पहले चंबल से ऊदबिलाव को लाया गया था। वर्ष 1976 में सबसे पहले शेर बादल व शेरनी नीता को जूनागढ़ से लाया गया। बादल यहां अधिक दिन नहीं रह सका, एक वर्ष बाद उसकी मौत हो गई। तीन वर्ष बाद शेरनी नीता भी नहीं रही। उसके बाद यहां शेरों का बाड़ा कई वर्ष तक खाली रहा।
बादल व नीता की मौत के बाद वर्ष 1991 में चेन्नई से शेर को लाया गया। इसके आने के चार वर्षों बाद राजवंशी व नंदा को भी लेकर आया गया। इनकी भी मृत्यु हो गई। वर्ष 2013 में शेर विष्णु व शेरनी लक्ष्मी को हैदराबाद चिड़ियाघर से लाया गया, बाद में इनको इटावा के लायन सफारी भेज दिया गया। शेर अजय व शेरनी नंदिनी को वर्ष 2015 में छत्तीसगढ़ से लाया गया।
वर्ष 2017 में नंदिनी ने तीन शावकों शंकर, उमा व सुंदरी को जन्म दिया। सुंदरी को तिरुपति चिड़ियाघर भेज दिया गया। वर्तमान में शेर अजय, शंकर, शेरनी नंदिनी व उमा दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं। वर्ष 2017 से चिड़ियाघर मे शेर के शावकों का जन्म नहीं हुआ है। चिड़ियाघर के निदेशक डा. कन्हैया पटेल बताते हैं कि शेरों के संख्या को बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। शेर के जोड़ों की ब्रीडिंग के लिए उनको एकांत उपलब्ध कराया जा रहा है।
जन्म देने के बाद मां ने सुंदरी को छोड़ दिया
शेरनी नंदिनी ने जन्म देने के बाद सुंदरी को अपने से अलग कर दिया। उसे दूध पिलाने से इनकार कर दिया। सुंदरी को दूध न मिलने पर उसकी जान पर खतरा मंडराने लगा। चिड़ियाघर के चिकित्सक भी चिंतित हो उठे। सुंदरी की जान बचाने के लिए उसे अमेरिका से विशेष रूप से तैयार किए गए दूध को मंगवाकर नौ माह तक पिलाया गया। अमेरिका में शेरनी के शावकों के लिए किटन मिल्क रिपलेसर तैयार किया जाता है, भारत में यह दूध उपलब्ध नहीं है। वर्ष 2017 में इस दूध के 450 ग्राम डिब्बे का मूल्य 600 रुपये था। सुंदरी इस समय तिरुपति चिड़ियाघर में है, उसने शावकों को जन्म भी दिया है।
लक्ष्मी व विष्णु की लायन सफारी में हो गई थी मौत
चिड़ियाघर से शेर विष्णु व शेरनी लक्ष्मी को वर्ष 2014 में इटावा के लायन सफारी भेज दिया गया था। वहां एक माह बाद लक्ष्मी की कैनाइन डिस्टेंपर बीमारी से मौत हो गई, दो माह बाद इसी बीमारी से विष्णु की भी मौत हो गई।
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