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    World Heart Day 2022 : युवाओं को लग रहा दिल का रोग, ध्यान रखें दस बातें तो कम हो जायेगा हार्ट अटैक का खतरा

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Fri, 30 Sep 2022 09:31 AM (IST)

    दिल से जुड़ी बीमारी में युवाओं की संख्या बढ़ने से डॉक्टर भी हैरान है। युवाओं को हार्ट अटैक आने और तीनों नसें ब्लॉक हो रही है। दस बातें ध्यान रखने से इस खतरे को कम किया जा सकता है।

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    हार्ट अटैक के खतरे को कम करने के लिए दस बातें ध्यान रखें।

    कानपुर, जागरण संवाददाता। दिल की बीमारी के मरीजों में समय के साथ तेजी से बदलाव हो रहा है। पहले बुजुर्ग अधिक चपेट में आते थे, जबकि अब कम उम्र में युवाओं को दिल का रोग लग रहा है। उन्हें कम उम्र में ही हार्ट अटैक से लेकर दिल की तीनों नसें में ब्लाक हो रहा है।

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    शारीरिक श्रम में कमी से कम उम्र में ही शरीर की कार्यप्रणाली बुजुर्गों जैसी हो रही है। इसकी वजह अनियंत्रित खानपान एवं अव्यवस्थित जीवनशैली है। युवा मरीजों की तेजी से बढ़ती संख्या से लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान के कार्डियोलाजी विभाग में डाक्टर भी हैरान हैं।

    विश्व हृदय दिवस में युवाओं से लेकर बुजुर्गों को जागरूक करने के लिए स्वयं थीम तैयार की है, जो 20-80-100 (सतर्कता, सजगता और खुशमिजाजी) है। हर व्यक्ति इसे अपना कर स्वस्थ रह सकता है।

    1- 20 प्रतिशत नमक का कम सेवन।

    2- 20 प्रतिशत तंबाकू सेवन में कमी।

    3- 20 प्रतिशत अल्कोहल लेते रहें।

    4- 20 प्रतिशत शारीरिक श्रम जरूर करें।

    5- 80 प्रतिशत 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति वार्षिक हेल्थ चेकअप जरूर कराएं।

    6- 80 प्रतिशत की ब्लड प्रेशर, ईसीजी और टीएमटी जांच जरूरी।

    7- 80 प्रतिशत एस्प्रिन जरूर लेते रहें।

    8- 80 प्रतिशत लिपिड व ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखें।

    9- 80 प्रतिशत अपना वजन नियंत्रित रखें।

    10- 100 प्रतिशत तनाव से मुक्त रहें।

    युवाओं में हृदय रोग की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसकी वजह उनकी जीवनशैली और खानपान है।

    अगर युवावर्ग आराम छोड़कर सिर्फ तेज चलने की आदत डाल ले तो हृदय राेगी की स्थिति में काफी हद तक सुधार हो सकता है।ऐसा करके मधुमेह, कोलेस्ट्राल, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक की स्थिति को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

    -डा. अभिनीत गुप्ता, हृदय रोग विशेषज्ञ, रीजेंसी हास्पिटल।

    समय के साथ दिल की बीमारी के रिस्क फैक्टर बदलने लगे हैं। पहले जहां दिल की बीमारी बुजुर्गों को होती थी, अब तेजी से युवा चपेट में आ रहे हैं।देश के हर पांचवें व्यक्ति को दिल का मर्ज है। हर साल दो करोड़ मौतें दिल की बीमारी से होती हैं। इनमें 50 प्रतिशत लोग 40 वर्ष से कम उम्र के होते हैं। रोजमर्रा की जिंदगी में बढ़ते तनाव और शारीरिक श्रम में कमी दिल की बीमारी बढ़ना ही मुख्य वजह हैं। - डा. एसके सिन्हा, एसोसिएट प्रोफेसर, कार्डियोलाजी विभाग, लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान।