ट्रेन दौड़ाने के लिए मंधना-बिठूर मार्ग पर रेलवे ट्रैक बिछाने का काम पूरा
नवंबर के आखिरी तक सीआरएस का दौरा संभव, 31 दिसंबर से पहले चलानी है रेल
By Edited By: Published: Sun, 04 Nov 2018 01:17 AM (IST)Updated: Sun, 04 Nov 2018 10:52 AM (IST)
कानपुर (जागरण संवाददाता)। पौराणिक नगरी बिठूर के लिए मंधना से बिछाया जा रहा नया रेल ट्रैक बनकर तैयार हो गया है। शनिवार को काम पूरा हो गया। संभावना है कि नवंबर के आखिरी तक सीआरएस का दौरा होगा। इसके बाद इस ट्रैक पर ट्रेनें दौड़नी शुरू हो जाएंगी। पुरानी निर्माणदायी कंपनी ने आठ किमी लंबे ट्रैक में केवल छह किमी को निर्माण कराया था।
चौधरीपुर से पुल नंबर चार के बीच और नए स्टेशन के पास कुछ हिस्सा ट्रैक का निर्माण बाकी था। नई कंपनी ने तेजी से यह काम पूरा किया। ट्रैक निर्माण से जुड़े रेलवे के एक इंजीनियर के मुताबिक शनिवार को काम पूरा कर लिया गया है। अब मंधना से न्यू ब्रह्मावर्त रेलवे स्टेशन तक कोई गतिरोध शेष नहीं बचा है। ट्रैक का निर्माण पूरा हो चुका है। आने वाले 15 दिनों में टेपिंग मशीन की मदद से ट्रैक को व्यवस्थित किया जाएगा। इसके बाद नवंबर आखिरी तक रेलवे के संरक्षा आयुक्त निरीक्षण के लिए आ सकते हैं। उनके दौरे के बाद इस ट्रैक को हरी झंडी मिलेगी।
दिसंबर के पहले सप्ताह में ट्रायल के तौर पर पहले ट्रेन का इंजन और बाद में मालगाड़ी दौड़ाई जाएगी। सब कुछ ठीकठाक रहा तो दिसंबर के आखिर तक बिठूर को पैसेंजर ट्रेन का तोहफा मिल सकेगा। घाटे का सौदा बताकर किया था बंद घाटे का सौदा बताकर 15 नवंबर 2005 को 119 साल पुरानी बिठूर की रेल का सफर समाप्त कर दिया गया था। कानपुर सेंट्रल स्टेशन से फर्रुखाबाद के के बीच जब आमान परिवर्तन का काम पास हुआ तो इस प्रोजेक्ट में बिठूर रेल मार्ग को छोड़ दिया गया। हालांकि बाद में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने 11 नवंबर 2007 में बिठूर तक रेल मार्ग का शिलान्यास कर उम्मीदों को फिर जिंदा कर दिया। वर्ष 2014 में राजनीतिक प्रयासों से आमान परिवर्तन का काम शुरू हुआ था।
चौधरीपुर से पुल नंबर चार के बीच और नए स्टेशन के पास कुछ हिस्सा ट्रैक का निर्माण बाकी था। नई कंपनी ने तेजी से यह काम पूरा किया। ट्रैक निर्माण से जुड़े रेलवे के एक इंजीनियर के मुताबिक शनिवार को काम पूरा कर लिया गया है। अब मंधना से न्यू ब्रह्मावर्त रेलवे स्टेशन तक कोई गतिरोध शेष नहीं बचा है। ट्रैक का निर्माण पूरा हो चुका है। आने वाले 15 दिनों में टेपिंग मशीन की मदद से ट्रैक को व्यवस्थित किया जाएगा। इसके बाद नवंबर आखिरी तक रेलवे के संरक्षा आयुक्त निरीक्षण के लिए आ सकते हैं। उनके दौरे के बाद इस ट्रैक को हरी झंडी मिलेगी।
दिसंबर के पहले सप्ताह में ट्रायल के तौर पर पहले ट्रेन का इंजन और बाद में मालगाड़ी दौड़ाई जाएगी। सब कुछ ठीकठाक रहा तो दिसंबर के आखिर तक बिठूर को पैसेंजर ट्रेन का तोहफा मिल सकेगा। घाटे का सौदा बताकर किया था बंद घाटे का सौदा बताकर 15 नवंबर 2005 को 119 साल पुरानी बिठूर की रेल का सफर समाप्त कर दिया गया था। कानपुर सेंट्रल स्टेशन से फर्रुखाबाद के के बीच जब आमान परिवर्तन का काम पास हुआ तो इस प्रोजेक्ट में बिठूर रेल मार्ग को छोड़ दिया गया। हालांकि बाद में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने 11 नवंबर 2007 में बिठूर तक रेल मार्ग का शिलान्यास कर उम्मीदों को फिर जिंदा कर दिया। वर्ष 2014 में राजनीतिक प्रयासों से आमान परिवर्तन का काम शुरू हुआ था।
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