ऑनलाइन भरे फॉर्म से खुद ही डाटा डिलीट कर रहा वी 3 पोर्टल, तीन महीने पहले पोर्टल ने पूरी तरह शुरू किया है काम करना
तीन माह पहले ही कारपोरेट मामले मंत्रालय की ओर से लॉन्च किया गया वी 3 पोर्टल ऑनलाइन भरे जा रहे फार्म से डाटा खुद ही किसी तकनीकी खामी के कारण डिलीट कर रहा है। इस वजह से कंपनियों के अधिकारी परेशान हैं, क्योंकि उन्हें एक ही काम करने में कई बार दोगुणा समय लग रहा है।

सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, कानपुर। तीन माह पहले ही कारपोरेट मामले मंत्रालय की ओर से लॉन्च किया गया वी 3 पोर्टल ऑनलाइन भरे जा रहे फार्म से डाटा खुद ही किसी तकनीकी खामी के कारण डिलीट कर रहा है। इस वजह से कंपनियों के अधिकारी परेशान हैं, क्योंकि उन्हें एक ही काम करने में कई बार दोगुणा समय लग रहा है। साथ ही जब रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर करीब आ जाएगी, तब भी इसी तरह की समस्या आई तो समय गुजर जाएगा और उनके ऊपर विलंब शुल्क व जुर्माना लग जाएगा।
कारपोरेट अफेयर मंत्रालय में इस वर्ष की शुरुआत तक वी 2 पोर्टल काम कर रहा था। इसमें कंपनियों को फार्म डाउनलोड कर उसमें ब्योरा भरना होता था। इसके बाद उन भरे हुए फार्म को फिर अपलोड कर दिया जाता था। अगस्त, 2025 में वी 3 पोर्टल लागू हुआ। इसमें यह व्यवस्था दी गई कि सभी तरह के फार्म को ऑनलाइन ही भरा जाएगा। अब कंपनियां जब अपने अलग-अलग फार्म भर रही हैं तो उसका ज्यादातर हिस्सा भर जाने के बाद डिलीट हो जाता है। कई बार पूरा ब्योरा ही डिलीट हो जाता है।
एक-एक डाटा भरने में काफी समय लगता है और उसके डिलीट होने के बाद फिर से वही काम करना पड़ रहा है, जिससे समय भी ज्यादा लग रहा है। इसलिए बैलेंस सीट, आडिटर्स रिपोर्ट, कर्मचारी व निदेशकों की सूचना समेत अन्य कार्यों का डाटा फार्म में भरने में पूरा दिन तक लग रहा है। कंपनी सचिव संस्थान कानपुर चैप्टर के पूर्व चेयरमैन गोपेश साहू ने बताया कि पोर्टल में यह तकनीकी समस्या है।
इस कमी को वह लोग मंत्रालय स्तर पर बता भी चुके हैं। यदि भरा गया ऑनलाइन ब्योरा ऐसे ही डिलीट होता रहा व भूलवश कोई इन्हें समय से नहीं भर सका तो भविष्य में कंपनियों को लेट फीस व जुर्माना का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि जल्द ही पोर्टल की यह तकनीकी समस्या दूर कर दी जानी चाहिए, जिससे कंपनी संचालकों को आ रही समस्या से निजात मिल सके।

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