पूर्वी उत्तर प्रदेश में अगले 72 घंटें में होगी मानसून की एंट्री, कानपुर मंडल व बुंदेलखंड में भारी बारिश के आसार
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाओं के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश में अगले 72 घंटों में मानसून आने की संभावना है और 21 जून तक पूरे प्रदेश मे ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, कानपुर। अरब सागर, बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवा और पश्चिमी विक्षोभ ने मानसूनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। अगले 72 घंटे में पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानसून दस्तक दे देगा। 21 जून तक प्रदेश भर में मानसून के सक्रिय होने के आसार हैं।
मौसम विभाग के अनुसार अगले तीन दिन में बादलों की आवाजाही के साथ धूल भरी तेज आंधी चलने और बूंदाबांदी हो सकती है। इससे दिन और रात में उमस बढ़ेगी। 22 और 23 जून को कानपुर मंडल और बुंदेलखंड में भारी वर्षा के आसार हैं।
वहीं, भीतरगांव क्षेत्र के बेहटा बुजुर्ग गांव के रहस्यमयी जगन्नाथ मंदिर के पत्थर की बूंदों को देखते हुए वहां के पुजारी ने भी अगले हफ्ते मानसून पहुंचने का अनुमान लगाया है। हालांकि मौसम विज्ञानियों से इतर उनका अनुमान है कि इस बार न तो अत्यधिक वर्षा होगी और न ही कम होगी।
सीएसए के मौसम विज्ञान केंद्र में सोमवार को अधिकतम तापमान 36.5 और न्यूनतम 27.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वातावरण में नमी का अधिकतम प्रतिशत 80 और न्यूनतम प्रतिशत 60 दर्ज किया गया। दक्षिण-पूर्व दिशा से 5.2 किमी प्रति घंटा की गति से हवा चलती रही। रात में बादलों की आवाजाही बढ़ने से न्यूनतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई, जबकि दिन में अधिकतम तापमान कम रहा।
मौसम विज्ञानी डा. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि मानसून की गतिविधियां तेज हो गईं हैं। अगले सप्ताह तक पूरे उत्तर प्रदेश में मानसून सक्रिय हो जाएगा। इससे शहरवासियों को गर्मी से राहत मिलेगी।
जगन्नाथ मंदिर के गुंबद का पत्थर सूखा
भीतरगांव के बेहटा बुजुर्ग गांव स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर के गुंबद में लगा पत्थर भीगने के बाद अब सूखने लगा है। पुजारी का कहना है कि अब इसी हफ्ते मानसून आने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष आईं बूंदों को देखकर मानसून के ठीक रहने की उम्मीद है।
भगवान जगन्नाथ का यह रहस्यमयी मंदिर विशेष धार्मिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक तथ्यों से परिपूर्ण है। मंदिर के गुंबद में लगा पत्थर प्रतिवर्ष मानसून आने से 20 दिन पहले भीषण गर्मी में भीग जाता है और उससे बूंदें टपकने लगती हैं। मानसून आने के ठीक पहले पत्थर पूरी तरह सूख भी जाता है। बूंदों के आकार से अंदाजा लगाया जाता है कि आने वाला मानसून कमजोर रहेगा या अच्छा।
पत्थर में बूंदें कैसे आती हैं? इसका पता अभी तक नहीं लग सका है। इस वर्ष भी जून के शुरुआत में बूंदें आनी शुरू हो गई थीं और अब गुंबद का पत्थर सूखने लगा है। मंदिर के पुजारी केपी शुक्ला कहते हैं कि पत्थर लगभग सूख चुका है। इससे संकेत है कि इसी हफ्ते मानसून आ जाएगा। इस वर्ष पत्थर में आईं बूंदों को देखकर अनुमान है कि मानसून न तो कमजोर होगा और न तो बहुत ज्यादा वर्षा होगी।

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