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    यूपी में थर्ड पार्टी ऑडिट योजना लागू, अब पांच साल में होगा इन फैक्ट्रियों का निरीक्षण

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 06:00 AM (IST)

    प्रदेश में स्व-प्रमाणन और थर्ड पार्टी ऑडिट योजना लागू की गई है, जिसके तहत गैर-खतरनाक कारखानों में श्रम कानूनों के अनुपालन की घोषणा पर पाँच साल में केवल एक बार निरीक्षण होगा। इस व्यवस्था का उद्देश्य श्रम कानूनों के पालन के दौरान विभागीय अधिकारियों के हस्तक्षेप को कम करना है।    

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    जागरण संवाददाता, कानपुर। प्रदेश में स्व प्रमाणन और थर्ड पार्टी आडिट योजना लागू कर दी गई है। इसके तहत श्रम कानूनों के अनुपालन की घोषणा पर गैर खतरनाक कारखानों में पांच साल में एक बार फैक्ट्री या प्रतिष्ठान का निरीक्षण होगा। इसका उद्देश्य श्रम कानूनों का अनुपालन कराए जाने में विभागीय अधिकारियों का हस्तक्षेप कम करना है।

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    स्टार्ट अप नीति के तहत स्थापित होने वाले गैर खतरनाक श्रेणी के कारखानों व प्रतिष्ठानों को निरीक्षण से 10 साल की छूट दी गई है। इसके तहत निवेश मित्र पोर्टल पर प्रदर्शित होने की तारीख से 10 वर्ष तक अथवा जब तक उनकी स्थिति स्टार्ट अप के रूप में नहीं होती है, जो भी पहले हो तक स्व प्रमाणन का आवेदन करने पर निरीक्षण की छूट मिलेगी। श्रम कानूनों के उल्लंघन की सत्यापन योग्य लिखित शिकायत या किसी तरह की दुर्घटना होने पर श्रमायुक्त की अनुमति लेकर निरीक्षण किया जा सकेगा।

    आनलाइन श्रम कानूनों के अनुपालन की घोषणा

    गैर खतरनाक कारखाने चलाने वाले उद्यमी श्रम विभाग की साइट पर आनलाइन श्रम कानूनों के अनुपालन की घोषणा करेगे। इसे स्व प्रमाणन कहा जाता है। इसके बाद उस कारखाने का निरीक्षण रेंडम आधार पर पांच वर्ष में एक बार किया जाएगा। स्व प्रमाणन की सुविधा न लेने वाले उद्यमी थर्ड पार्टी का विकल्प चुन सकेंगे। प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त थर्ड पार्टी द्वारा तीन वर्ष में एक बार निरीक्षण करा सकेंगे।

    श्रमायुक्त दफ्तर के आइटी प्रभारी और अभियंता विद्युत यांत्रिक गौरव कुमार ने बताया कि केवल उच्च जोखिम वाले कारखानों का निरीक्षण श्रम विभाग के अधिकारी करेंगे। शिकायतों या दुर्घटना पर सक्षम अधिकारी की अनुमति से गैर खतरनाक कारखानों का निरीक्षण कर सकेंगे। थर्ड प्रणाली निरीक्षण प्रणाली लागू होने से कम जोखिम वाले कारखाने, दुकानें और वाणिज्यिक अधिष्ठान स्व प्रमाणन करने पर निरीक्षण की कार्यवाही से मुक्त रहेंगे। इससे उनके उद्योग या व्यापार पर किसी प्रकार का विभागीय हस्तक्षेप नहीं होगा।