UP State Teachers Award 2021: कानपुर समेत जिलों के 11 शिक्षकों की कहानी, जिन्हें मिलेगा राज्य अध्यापक पुरस्कार
UP State Teachers Award 2021 उत्तर प्रदेश राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए चयनित 75 शिक्षकों में कानपुर समेत आसपास जिलों से भी 11 अध्यापकों के नाम हैं। इन सभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिक्षक दिवस पर सम्मानित करेंगे। आइए जानते हैं 11 शिक्षकों की सफलता कहानी।

कानपुर, जागरण संवाददाता। Teacher's Day 2022 Award : शिक्षक दिवस पर राज्य अध्यापक पुरस्कार (UP State Teachers Award 2021 List) में इस बार यूपी सरकार ने किसी भी जिले को वंचित नहीं रखा है, इस बार सभी जिलों से 75 शिक्षकों का चयन किया गया है। इसमें कानपुर समेत आसपास जिलों से भी 11 अध्यापकों काे शामिल किया गया है, जिन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य अध्यापक पुरस्कार 2021 से पांच सितंबर को नवाजेंगे। इसमें कानपुर से नीलम सिंह, कानपुर देहात से नवीन दीक्षित, कन्नौज से रेनू कमल, औरैया से अलका यादव, बांदा से शिवकरन सिंह, चित्रकूट से पुष्पराज सिंह, इटावा से रमेश चंद्र, फर्रुखाबाद से विकास त्रिपाठी, फतेहपुर से गीता यादव, हमीरपुर से भुवनेश तिवारी, जालौन से विपिन उपाध्याय शामिल हैं।
राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए इनका हुआ चयन
कानपुर : नीलम सिंह
कानपुर में कल्याणपुर ब्लाक में कटरी शंकरपुर सराय गांव के अंग्रेजी माध्यम के प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका नीलम सिंह Kanpur Neelam Singh काे शिक्षक दिवस पर सम्मानित किया जाएगा। कल्याणपुर स्थित इंपीरियल हाइट्स अपार्टमेंट निवासी नीलम बताती हैं कि पिछले करीब छह साल से तैनात हैं। वर्ष 2018 में स्कूल में कक्षा एक से पांच तक 84 बच्चे थे।
लोग बच्चों को स्कूल नहीं भेजते थे तो घरों में जाकर शिक्षा का महत्व समझाया और आज 149 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जागरूकता आई तो अब लोगों ने कम उम्र में बेटियों का विवाह कराना भी बंद कर दिया है। अब आसपास के गांवों से लोग बच्चों को स्कूल भेजने लगे हैं। कांवेंट स्कूल के बच्चों से प्रतिस्पर्द्धा लायक बच्चों को तैयार किया जा रहा है। वेतन का 10 प्रतिशत अंश और सामाजिक सहयोग से विद्यालय में संसाधन जुटाकर बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास जारी है।
कानपुर देहात : नवीन दीक्षित
कानपुर देहात के सिठमरा गांव के प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक नवीन दीक्षित Kanpur Dehat Naveen Dixit स्कूल में बच्चों के खासा प्रिय शिक्षक हैं। वह कठपुतली, कलाकृति आदि से नवाचार के माध्यम से बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। रूरा निवासी नवीन पर्यावरण व उर्दू पढ़ाते हैं। पपेट से पढ़ाई में बच्चे भी रुचि लेते हैं। कागज से पक्षियों, पशु या कोई भी कलाकृति बनाकर बच्चों को समझाते हैं। पाैधारोपण व अन्य विषय पर जागरूक करके बच्चों को महत्व बताते हैं। जिले में उनकी पहचान पर्यावरण मित्र के रूप में भी है।
जालौन : विपिन उपाध्याय
जालौन के माधौगढ़ ब्लाक के अमखेड़ा के प्राथमिक विद्यालय में वर्ष 2019 को शिक्षक विपिन उपाध्याय Jalaun Vipin Upadhyay की नियुक्ति हुई थी। उन्होंने कोरोना काल में लाकडाउन के समय बच्चों में शिक्षा का क्रम नहीं टूटने दिया। उन्होंने घर-घर जाकर बच्चों को किताबें बांटी और हर तीसरे दिन बच्चों से मुलाकात करके कोविड नियमों का पालन करते हुए समझाया भी। विद्यालय में प्रोजेक्टर लगवाने के साथ लाइब्रेरी भी बनवाई।
आज विद्यालय का माहौल किसी भी प्राइवेट स्कूल से बेहतर है। विद्यालय का बदला माहौल देखकर बच्चों की संख्या 82 से बढ़कर 113 हो गई। यहां बच्चों को प्रोजेक्टर के माध्यम से शिक्षित करने के साथ खेल-खेल में पढ़ाई कराई जाती है। उन्होंने स्कूल में इन्वर्टर भी लगवाया और छात्र परिषद का भी गठन किया। विपिन कहते हैं कि विद्यालय में सुधार के लिए लगातार प्रयासरत रहेंगे और सपना है कि कानवेंट स्कूल की तरह माहौल हो।
बांदा : शिवकरन सिंह
बांदा जनपद के अतर्रा के बरेहंडा पूर्व माध्यमिक विद्यालय (कंपोजिट) में वर्ष 2018 में सहायक अध्यापक के पद पर शिवकरन सिंह Banda Shivkaran Singh को तैनाती मिली थी। कोविड महामारी के समय बच्चों को शिक्षित करने का उनका जज़्बा बेहद काबिले तारीफ रहा और उन्हें राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। लाकडाउन में स्कूल बंद होने पर वह बच्चों के घर जाते और अभिभावकों को प्रेरित करते थे। कभी किसी के घर के चबूतरे तो कभी पेड़ की छांव के नीचे कक्षा लगाकर बच्चों को पढ़ाते थे।
नतीजा यह रहा कि उस समय उनके पढ़ाए 14 छात्र प्रतिभा खोज परीक्षा में चयनित हुए। अतर्रा के ओरन रोड निवासी शिवकरण की पहली तैनाती सन 2005 में नरैनी बीआरसी के ग्राम आऊ प्राथमिक विद्यालय कन्या में हुई थी। उन्होंने बीएससी कृषि और बीएड किया है और उनके विद्यालय में शिक्षा का ऐसा माहौल है कि गांव ही नहीं दूर दराज के अभिभावकों ने बच्चों का प्रवेश कराया है। उन्होंने पुरस्कार पर खुशी जताते हुए श्रेय प्रधानाध्यापक व बच्चों को दिया है।
हमीरपुर : भुवनेश तिवारी
हमीरपुर के राठ ब्लाक अंतर्गत गल्हिया गांव के उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक भुवनेश तिवारी Hamirpur Bhuvnesh Tiwari को शिक्षक दिवस पर पुरस्कृत किया जाएगा। भुवनेश ने अपने नवाचारों के माध्यम से बच्चों को पढ़ाकर सराहना पाई है। उनके पिता सुरेंद्रनाथ तिवारी व ताऊ रामस्वरूप तिवारी भी शिक्षक रहे, जिनसे मिली कर्तव्य निष्ठा व लगन की सीख को जीवन में उतारा। वर्ष 2013 में शिक्षक बनने के बाद वह कई बार सम्मानित हुए।
आल इंडिया प्राइमरी टीचर फेडरेशन द्वारा आयोजित नवाचार शैक्षिक संगोष्ठी में सहायक बेसिक शिक्षा निदेशक द्वारा भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। 2020 मिशन अभ्युदय राज्य स्तरीय पोस्टर प्रतियोगिता एवं आइसीटी कार्यशाला में आयोजित अब्दुल मुबीन सहायक बेसिक शिक्षा निदेशक द्वारा प्रेरणास्रोत शिक्षक का सम्मान मिला। 2020 मिशन शिक्षण संवाद के राज्य स्तरीय शैक्षणिक गुणवत्ता संवर्द्धन कार्यशाला काशी में नवाचारों से सभी को अवगत कराया, जिसमें केबिनेट मंत्री अनिल राजभर, राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल द्वारा सम्मानित किया गया।
फतेहपुर : गीता यादव
मूल रूप से कानपुर नगर के घाटमपुर कस्बे में जन्मी गीता यादव Fatehpur Geeta Yadav की शादी कन्नौज में मानीमऊ गांव के रहने वाले टेलीकाम इंजीनियर राजीव यादव से हुई। बेसिक शिक्षा विभाग में वर्ष 2009 में तैनाती मिलने के बाद अब वह फतेहुपर जनपद के देवमई ब्लाक में मुरारपुर के प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापिका हैं। नवाचारी पद्धति से बच्चों को बेहतर शिक्षा देने पर उनका चयन हुआ है। वह कहती हैं कि जरा सा दिमाग लगा लिया जाए तो निष्प्रयोज्य भी उपयोगी हो सकती है। इसी ध्येय को आत्मसात करके बच्चों को शिक्षित करने को मिशन बनाया और सफलता भी मिली।
नवाचार से खेल खेल में बच्चों के लिए शिक्षा को रुचिकर बनाया। उन्हें वंचित शब्द अखरता है, फिर वह चाहे शिक्षा, भोजन, टीवी, मूवी ही क्यों न हो, सभी को पूरा किया है। नवाचारी शिक्षा में सभी का समन्वय चयन का आधार बना है। वह इससे पहले भी लाक डाउन शिक्षा सारथी योजना में राष्ट्रीय पुरस्कार, आर्ट एंड क्राफ्ट में दो राज्य स्तरीय पुरस्कार, उत्कृष्ट शिक्षक का राज्य स्तरीय पुरस्कार, उम्मीद के रंग की स्टोरी में शिक्षक का संघर्ष कहानी पर राज्य स्तरीय पुरस्कार,आदर्श पाठ्यक्रम योजना में राज्य स्तरीय पुरस्कार भी हासिल कर चुकी हैं।
कन्नौज : रेनू
कन्नाैज जलालाबाद ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) जसपुरापुर सरैया प्रथम में रेनू प्रधानाध्यापक हैं। Kannauj Renu उनकी ललक से चार साल के अंदर विद्यालय का नाम प्रदेश स्तर पर अलग पहचान बना चुका है और मौजूदा समय छात्र संख्या 343 है। विद्यालय की प्रत्येक कक्षा में कंप्यूटर प्रोजेक्टर से पढ़ाई कराई जाती है और नवाचार पद्वति से खेल-खेल में शिक्षित करने की विधि अपनायी जाती है। उन्होंने विद्यालय की चाहरदीवारी बनवाकर पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण करा माहौल बदल दिया।
विद्यालय में आइसीटी (इन्फारमेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नालाजी) का बेहतर प्रयोग हो रहा। कोरोना लाकडाउन में रेनू ने मोहल्ला कक्षाओं का संचालन कराया और घर जाकर बच्चों को होमवर्क दिया और अगले दिन चेक किया। वर्चुअल कक्षाएं संचालित करके बच्चों को पढ़ाई की मुख्यधारा से जोड़े रखा। इतना ही नहीं वेतन के अंश से बच्चों को टाई, बेल्ट, आइकार्ड भी प्रदान किए। गांव में गरीब बच्चों को ठंड में कपड़े-जूते दिए। गरीब बच्चों को कापी पेन पेंसिल भ्दिी दिए।
चित्रकूट : पुष्पराज सिंह
चित्रकूट के पहाड़ी विकास खंड छेछरिया बुजुर्ग के प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक पुष्पराज सिंह Chitrakoot Pushpraj Singh ने शिक्षण सहायक सामग्री (टीचिंग लर्निंग मैटेरियल) टूल्स का निर्माण करके शिक्षण को सरल बनाया। उनके बेहतर प्रयोग से बच्चे अब आसानी से गणित, विज्ञान के प्रश्नों को उत्तर देते हैंं। पहाड़ी के ही प्रसिद्धपुर गांव निवासी पुष्पराज की विद्यालय में वर्ष 2018 से तैनाती हुई थी और उनके पढ़ाने की विधि से बच्चे आकर्षित हुए और अब प्रतिदिन 80 से 90 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति रहती है।
बच्चे भी रुचि से पढ़ते हैं और अभिभावक भी सराहना करते हैं। कोरोना काल में वह साइकिल पर लाइब्रेरी लेकर चलते थे और मोहल्ला-मोहल्ला पाठशाला लगाकर बच्चों को शिक्षित करते रहे। इसके लिए उन्हें वर्ष 2021 का राज्य स्तरीय एडुलीडर्स पुरस्कार से भी नवाजा गया। सहायक अध्यापिका लक्ष्मी सिंह चौहान कहती हैं कि प्रधानाध्यापक पुष्पराज सिंह हमेशा बच्चों को पढ़ाने में नए प्रयोग करते रहते हैं।
फर्रुखाबाद : विकास त्रिपाठी
फर्रुखाबाद के कमालगंज ब्लाक के खुदागंज कंपोजिट प्राथमिक विद्यालय में 26 जुलाई 2013 को तैनाती मिलने के बाद अध्यापक विकास त्रिपाठी Farrukhabad Vikas Tripathi ने स्मार्ट क्लासेज की शुरुआत की तो छात्र संख्या भी बढ़ गई। कानपुर के विनायकपुर एलिम्को हाउसिंग सोसाइटी निवासी शिक्षक विकास त्रिपाठी ने स्नातक के बाद बीएड बीटीसी प्रशिक्षण पूरा करके शिक्षण के क्षेत्र में आए। कोरोना काल में गांव के मोहल्लों में जाकर बच्चों को दूर-दूर बिठाकर पढ़ाया।
विद्यालय फिर से खुले तो जनसहयोग से विज्ञान की प्रयोगशाला बनवाई। स्कूल में स्मार्ट क्लासेज, विज्ञान प्रयोगशाला जैसी सुविधाएं बढ़ीं तो आज बच्चों की संख्या 396 है। विकास के पिता राजेश कुमार त्रिपाठी का जनरल स्टोर और मां अनीता देवी गृहणी हैं। राज्य पुरस्कार के चयनित होने पर पत्नी दीपा त्रिपाठी व दो पुत्रियां शिखा व अनाया में खुशी है।
महोबा : स्नेहलता शुक्ला
महोबा में कबरई ब्लाक के ग्राम तिंदौली में प्राथमिक विद्यालय (अंग्रेजी मीडियम) की प्रधानाध्यापक स्नेहलता शुक्ला Mahoba SnehLata Shukla अब बच्चों ही नहीं अभिभावकों की पसंदीदा टीचर बन चुकी हैं। एक-एक बच्चे से प्यार से बात करना और उनकी बात सुन कर समझाने की शैली ने उन्हें अलग पहचान दी है। महोबा मुख्यालय के भटीपुरा मोहल्ला की रहने वाली स्नेहलता एमएससी, एमएड हैं।
उनकी पहली तैनाती 2009 में चरखारी ब्लाक के चंदौली और करीब एक साल बाद स्थानांतरण जूनियर हाईस्कूल उरवारा हो गया था। तिंदौली में 2018 में तैनाती मिलने के बाद उन्होंने स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए घर-घर जाकर अभिभावकों को प्रेरित किया। बच्चों से रोजगार कराने वाले अभिभावकों को समझाने का परिणाम रहा कि स्कूल में संख्या 150 हो गई। उनसे पढ़ने के लिए बच्चे कतराते नहीं बल्कि स्कूल आने को मचलते हैं। उन्होंने बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए अभिभावकों की मोबाइल टीम गठित की है। हर सप्ताह स्कूल में पैरेंट्स मीटिंग भी होती है। उन्होंने पुरस्कार का श्रेय बच्चों को दिया और कहा कि इसी तरह मेहनत करती रहेंगी।
औरैया : अलका यादव
औरैया के भाग्यनगर ब्लाक के नगला जयसिंह कंपोजिट विद्यालय में वर्ष 2015 में तैनात हुईं सहायक अध्यापक अलका यादव Auraiya Alka Yadav ने पर्यावरण संरक्षण पर काम किया और बच्चों को भी जागरूक किया। उनके अनूठे प्रयास से स्कूल ही नहीं गांव में पौधरोपण से हरियाली की अलग जगी है। उनके मिलने वाले राज्य पुरस्कार को लेकर गांव में खुशी की लहर है।
इससे पहले अलका समाधान पुरवा के विद्यालय में तैनात थीं। दिबियापुर निवासी अंग्रेजी शिक्षक अलका बताती हैं कि विद्यालय में अब सौ बच्चे हो गए हैं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए छात्र-छात्राओं व अभिभावकों को भी जागरूक किया। छोटे-छोटे प्रयासों से स्कूल का माहौल बदल गया है।

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