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    Kanpur Election Result 2022 : घाटमपुर में भाजपा ने खुले दिल से 'अपना दल' को अपनाया, पहली बार सहयोगी दल की जीत

    By Abhishek VermaEdited By:
    Updated: Fri, 11 Mar 2022 12:38 PM (IST)

    कानपुर की घाुटमपुर विधानसभा सीट पर भाजपा के सहयोगी दल ने कभी जीत हांसिल नहीं की थी। अपना दल की सरोज कुरील को जब टिकट शीर्ष नेतृत्व ने दिया तो पहले दिन ...और पढ़ें

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    घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जितने के बाद खुशी मनातीं अपना दल की प्रत्याशी सरोज कुरील। जागरण

    घाटमपुर, जागरण संवाददाता। घाटमपुर विधानसभा सीट जब अपना दल को मिली तो यहां कई भाजपाई निराश हुए थे, लेकिन उनकी निराशा बस उसी दिन की थी। भाजपा संगठन के पदाधिकारी, कार्यकर्ता और मतदाता ने खुले दिल से अपना दल को अपनाया और गठबंधन प्रत्याशी सरोज कुरील को जीत दिलाई। घाटमपुर विधानसभा सीट से पहली बार भाजपा के सहयोगी दल की जीत हुई है।

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    भाजपा ने घाटमपुर विधानसभा सीट से 2017 में पहली बार जीत दर्ज की थी। कमलरानी वरुण यहां से रिकॉर्ड मतों से जीती थीं और कैबिनेट मंत्री बनी थीं। कमलरानी ने तब बसपा से लड़ रहीं सरोज कुरील को हराया था। उनके निधन के बाद उपचुनाव हुए तो भाजपा के उपेंद्र पासवान ने जीत दर्ज की। उपचुनाव में सरोज कुरील नहीं लड़ी थीं। 2022 के चुनाव में भाजपा ने यह सीट अपने सहयोगी अपना दल को दे दी और सरोज कुरील यहां से अपना दल के टिकट पर उतरीं और 81727 वोट पाकर विजयी हुईं। इससे पहले 2012 के चुनाव में उन्हें 49,969 और 2017 के चुनाव में 47,598 वोट मिले थे।

    भाजपा 2012 से पहले लगातार तीन बार यह सीट सहयोगी दलों को दे चुकी है। 1996 के चुनाव में भाजपा की सहयोगी समता पार्टी से राम आसरे अग्निहोत्री को टिकट मिला था। जनता पार्टी से 1977 में और जनता दल से 1989 में विधायक रहे राम आसरे अग्निहोत्री को गठबंधन सीट में मात्र 12 हजार तीन सौ वोट मिले थे। इसके बाद 2002 के चुनाव में भाजपा की सहयोगी लोकदल से विमलेश पाठक को मात्र 51 सौ वोट मिले थे। तब सपा से राकेश सचान को जीत मिली थी। वहीं, 2007 में भाजपा ने अपना दल को यह सीट दी थी। तब अपना दल प्रत्याशी अशोक यादव को मात्र 2100 सौ वोट मिले थे। यह चुनाव बसपा से आरपी कुशवाहा ने सपा प्रत्याशी राकेश सचान को हराकर जीता था।