पहले भी बगावत कर चुके हैं प्रमोद गुप्ता, दिलचस्प है निर्दलीय प्रत्याशी से विधायक बनने का सफर
UP Vidhan Sabha Election 2022 सपा संरक्षक मुलायम के साढ़ू प्रमोद गुप्ता के बगावती तेवर पहले भी सामने आ चुके हैं। उन्होंने सपा से टिकट न मिलने पर औरैया की बिधूना सीट से अपने साले के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी।
औरैया, जागरण संवाददाता। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के परिवार में बगावत शुरू हो गई है, पहले परिवार की बहू अपर्णा यादव और अब साढ़ू प्रमोद गुप्ता ने पार्टी से नाता तोड़ लिया है। प्रमोद गुप्ता की बगावत पहली बार नहीं है, इससे पहले भी उनके बगावती तेवर सामने आ चुके हैं।
सपा से टिकट न मिलने पर 2007 में वह सपा से टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय ही चुनाव मैदान में कूद गए थे और इस बार उन्होंने सपा छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। इसके बाद औरैया की बिधूना विधानसभा सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बन गई है और सपा के लिए भी मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
निर्दलीय प्रत्याशी बन साले को हराया
औरैया के बिधूना तहसील क्षेत्र में कस्बा के मोहल्ला किशोरगंज निवासी प्रमोद गुप्ता एलएस समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता (अब साधना यादव) के बहनोई हैं। प्रमोद के अबतक के राजनीतिक सफर पर नजर डाली जाए तो उन्होंने बिधूना नगर पंचायत अध्यक्ष पद से अपने पैर जमाने शुरू कर दिए थे। वर्ष 2007 में वह सपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़े। उन्होंने सपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे साले सचिन पति गुप्ता (साधना के भाई) को हराकर जीत हासिल की थी।
इसके बाद 2012 विधान सभा में सपा से लडऩे का मौका मिला और विधायक की कुर्सी पर कबिज हुए। हालांकि 2012 से 2017 तक चली सपा सरकार में प्रमोद को कोई बड़ा ओहदा नहीं मिला था। साल 2017 में सपा ने दावेदारी बदल दी और किनारा किया, यहां पर भाजपा से विनय शाक्य ने जीत हासिल की। अप्रैल 2021 में हुए पंचायत चुनाव में प्रमोद गुप्ता की पत्नी कल्पना गुप्ता ने दावेदारी की थी लेकिन, जीत नहीं मिली।
अखिलेश पर लगाए गंभीर आरोप
भाजपा में शामिल होने से पहले औरैया में पत्रकारों से रू-ब-रू हुए प्रमोद गुप्ता ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं। उन्होंने अखिलेश पर पिता को बंधक बनाकर रखने की बात तक कही है। उन्होंने अखिलेश पर पिता (मुलायम सिंह यादव) को किसी से न मिलने देने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि पिछले वर्ष 22 नवंबर को अखिलेश ने जन्मदिन पर 'नेता जी' से माइक छीन लिया था। अब समाजवादी पार्टी की 'विचारधारा' बदल गई है। उन्होंने कहा कि अखिलेश नेता जी का अपमान करते हैैं। जो लोग मुलायम सिंह यादव को बुरा-भला कहते थे, उन्हीं लोगों में उनके पुत्र भी शामिल हो गए हैं। माफिया व अपराधियों को शरण दी जा रही है। ऐसे में अब पार्टी में रहने का कोई मतलब नहीं है।