गोविंदनगर विधानसभा सीट : जरा हटकर है यहां की राजनीति, बिना भोजपुरी जीत अधूरी
यूपी विधानसभा चुनाव में कानपुरी की गोविंद नगर सीट पर राजनीतिक नजरिया हर बार हटकर रहता है। चार बार विधायक रहे बालचंद्र मिश्रा की भोजपुरी बोली के सामने कांग्रेस के स्टार प्रचारक फिल्म अभिनेता और अभिनेत्री भी कुछ न कर पाते रहे।

कानपुर, चुनाव डेस्क। गोविंदनगर विधानसभा क्षेत्र की राजनीति जरा हटकर है। यहां पूर्वांचल के मूल निवासी मतदाताओं की बड़ी संख्या है जो चुनाव में निर्णायक होते हैं। यूं समझ लीजिए, गोविंदनगर की राजनीति दिल्ली और मुंबई से कम नहीं, जहां पूर्वांचलियों का वोट बैंक साधने पर जोर होता है। इस सीट पर बिना भोजपुरी समाज के जीत अधूरी ही है। यहां मतदाताओं को रिझाने के तमाम हथकंडे चर्चा का केंद्र्र रहे हैं। जुबान पर भोजपुरी और निगाह में पूर्वांचली की रणनीति से लेकर फिल्मी सितारों का जमघट तक। यहां के चुनावी रण में सबसे अधिक मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होता आ रहा है। दोनों का तिलिस्म तोडऩे के लिए सपा मैदान में जादूगर तक उतार चुकी है, मगर जादू न चल पाया। गोविंदनगर के इतिहास को टटोलती दिग्विजय सिंह की रिपोर्ट...।
किसी भी बड़े महानगर में पूर्वांचल की उपस्थिति सबसे ज्यादा कामगारों की वजह से होती है। पनकी और दादानगर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों वाले गोविंदनगर से भी पूर्वांचल का यही नाता है। यहां के राजनीतिक अतीत के गलियारों में पहुंचने के लिए निकले तो वर्तमान की चुनौतियां भी साक्षात्कार के लिए सामने थीं। दादानगर क्रासिंग पर जाम लगा था। जाम में फंसे सीटीआइ निवासी अर्जुन दास कहने लगे, फोर लेन ओवरब्रिज बन गया होता तो आज समय बर्बाद नहीं होता। 15 मिनट से खड़ा हूं। एक ट्रेन गुजर गई है और दूसरी आने वाली है। टू लेन ओवरब्रिज बनने का लाभ नहीं मिला। बगल में कार की ड्राइविंग सीट पर बैठे एक औद्योगिक इकाई के जीएम मृत्युंजय इसके पीछे राजनीति को कोसते हैं। मतदाता जिस पर विश्वास करते हैं उसे बार-बार मौका देते हैं ताकि कोई यह न कह सके कि उसे विकास के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला मगर, हमारी समस्या कोई दूर नहीं करना चाहता। सर्वाधिक सात बार भाजपा जीती तो छह बार कांग्रेस।
सर्वाधिक चार बार विधायक बनने का मौका भाजपा के बालचंद्र मिश्रा को मिला। यहां से बढ़े तो पनकी स्थित केमिकल फैक्ट्री में काम करने वाले फजलगंज निवासी हरित खत्री थम्सअप चौराहे पर मिले। चुनाव का जिक्र करने पर बताने लगे, इस सीट पर प्रचार बहुत ही रोचक होता रहा है। कांग्रेस के अजय कपूर ने कभी फिल्म अभिनेत्री जीनत अमान का रोड शो कराया तो कभी अमीषा पटेल और युक्ता मुखी ने उनके लिए वोट मांगा। अभिनेता विवेक ओबराय हों या भाजपा में शामिल होने से पहले भोजपुरी गायक मनोज तिवारी, सबने यहां रोड शो कर अजय कपूर के लिए वोट मांगे। अजय 2002 और 2007 में जीते भी। परिसीमन बदला तो अजय किदवईनगर सीट से चुनाव लडऩे चले गए और फिल्मी सितारों की महफिल 2012 से वहां सजने लगी।
अब जानिए, इस सीट पर पूर्वांचल का रंग। सीटीआइ निवासी लोहा कारोबारी मनीष चतुर्वेदी बताते हैं कि 1989 में जब बालचंद्र मिश्रा भाजपा से मैदान में उतरे थे तो पूर्वांचल के लोग कहते थे कि अपने घर का बेटा है। घर का बेटा हर जुबान पर रट गया था और लोगों ने सारे काम छोड़कर वोट दिए थे। मेरे दो ब'चे दिल्ली में पढ़ते थे, उन्हें भी वोट देने के लिए बुला लिया था।
बालचंद्र की भोजपुरी के सभी कायल थे और चुनाव दर चुनाव उन्हें जिताया। उनकी बढ़ती उम्र और कांग्रेस के अजय कपूर का युवा जोश देख यहां के मतदाता बदल गए और कांग्रेस जीती। 2012 से भाजपा का फिर से कब्जा हो गया। अर्मापुर निवासी विष्णु अवतार गुप्ता का कहना है, बात अब विकास की होती है न कि क्षेत्रवाद की। अ'छी बात है कि पनकी में दो ओवरब्रिज बन रहे हैं और अर्मापुर नहर पर पुल बनकर तैयार हो गया है। इस सीट पर बसपा ने बार- बार चेहरा बदला, लेकिन हर बार दांव फेल हुआ। सपा ने 2002 के चुनाव में जादूगर ओपी शर्मा को उतार दिया, मगर वह तीसरे स्थान पर रहे।
गोविंदनगर सीट पर कब कौन रहा विधायक
1951 ब्रह्मदत्त दीक्षित कांग्रेस
1957 ब्रह्मदत्त दीक्षित कांग्रेस
1962 संत सिंह युसुफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
1967 प्रभाकर त्रिपाठी कांग्रेस
1969 प्रभाकर त्रिपाठी कांग्रेस
1974 संत सिंह युसुफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
1977 गनेश दत्त वाजपेयी जनता पार्टी
1980 विलायती राम कत्याल कांग्रेस
1985 विलायती राम कत्याल कांग्रेस
1989 बालचंद्र मिश्रा भाजपा
1991 बालचंद्र मिश्रा भाजपा
1993 बालचंद्र मिश्रा भाजपा
1996 बालचंद्र मिश्रा भाजपा
2002 अजय कपूर कांग्रेस
2007 अजय कपूर कांग्रेस
2012 सत्यदेव पचौरी भाजपा
2017 सत्यदेव पचौरी भाजपा
2019 (उप चुनाव) सुरेंद्र मैथानी भाजपा
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