कानपुर में राहुल बच्चा, सलिल विश्नोई और सुरेश अवस्थी पर दांव, जानें- भाजपा प्रत्याशियों का राजनीतिक प्राेफाइल
भाजपा ने कानपुर की नौ विधानसभा सीटों में सीसामऊ आर्यनगर और बिल्हौर में नए चेहरे उतारे हैं जबकि बाकी सभी छह सीटों पर प्रत्याशियों को दोबारा मैदान में उतारा है। घाटमपुर से अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। भारतीय जनता पार्टी ने कानपुर के अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। पार्टी ने 10 में से नौ सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोेषणा की है। इसमें प्रदेश सरकार के दोनों मंत्रियों सतीश महाना और नीलिमा कटियार को अपनी सीटों पर फिर से उतारा गया है, वहीं हाल ही में पार्टी छोड़कर जाने वाले विधायक भगवती सागर की बिल्हौर सीट से कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र के अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष राहुल बच्चा सोनकर को मैदान में उतारा गया है। हालांकि घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र की घोषणा अभी नहीं की गई है।
भारतीय जनता पार्टी ने कानपुर जिले की विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा शुक्रवार शाम को कर दी है। इसमें प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना को फिर से महाराजपुर से टिकट दिया गया है। सतीश महाना लगातार दो बार इस सीट से जीत चुके हैं। वहीं उच्च शिक्षा राज्यमंत्री नीलिमा कटियार को कल्याणपुर से उतारा गया है। बिल्हौर सीट पर संगठन से जुड़े पदाधिकारी को उतारा है, यहां कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र के अनुसूचित मोर्चा अध्यक्ष राहुल बच्चा सोनकर को टिकट दिया गया है। उनके पिता काला बच्चा भी बिल्हौर से विधानसभा चुनाव लड़े थे, बाद में उनकी हत्या हो गई थी। घाटमपुर सुरक्षित सीट से अभी प्रत्याशी फाइनल नहीं किया। यहां मंत्री रहीं कमल रानी वरुण के निधन के बाद उपचुनाव 2020 में भाजपा के टिकट पर उपेंद्र पासवान ने जीत हासिल की थी।
पार्टी ने दो हारी सीटों पर प्रत्याशियों को बदल दिया है। इसमें आर्यनगर सीट से पिछली बार चुनाव लड़े सलिल विश्नोई को सीसामऊ और सीसामऊ से चुनाव लड़ने वाले सुरेश अवस्थी को आर्य नगर से मैदान में उतारा है। कैंट से रघुनंदन भदौरिया को टिकट देकर फिर से दांव लगाया है।
इसके अलावा बिठूर से अभिजीत सिंह सांगा, गोविंद नगर से सुरेंद्र मैथानी, किदवई नगर से महेश त्रिवेदी को रिपीट किया है।
भाजपा प्रत्याशियों का प्रोफाइल
1- सतीश महाना : भाजपा प्रत्याशी सतीश महाना कानपुर में सबसे ज्यादा और प्रदेश के गिने चुने विधायकों में से हैं जिन्होंने लगातार सात विधानसभा चुनाव जीते हैं। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया। वह पहले पांच चुनाव कैंट विधानसभा सीट से जीते और उसके बाद 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव महाराजपुर विधानसभा सीट से जीते। वर्तमान में प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री हैं। इनका जन्म 14 अक्टूबर 1960 को हुआ।
2- नीलिमा कटियार : भाजपा प्रत्याशी नीलिमा कटियार पहली बार 2017 में कल्याणपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ीं। उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सतीश निगम को हराया। वह प्रदेश में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री हैं। वह कालेज के समय से विद्यार्थी परिषद से जुड़ी रहीं। बाद में भाजपा की प्रदेश इकाई में भी शामिल रहीं। इससे पहले कल्याणपुर विधानसभा सीट से उनकी मां प्रेमलता कटियार पांच बार चुनाव जीत चुकी हैं। उनका जन्म 08 दिसंबर 1973 को हुआ था।
3- सुरेन्द्र मैथानी : भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र मैथानी 2019 में गोविंद नगर विधानसभा क्षेत्र से उप चुनाव में विधायक बने। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी करिश्मा ठाकुर को हराया था। 2017 में इस सीट से जीते सत्यदेव पचौरी के 2019 में सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। 03 सितंबर 1965 को सुरेन्द्र मैथानी का जन्म हुआ था। वह कानपुर में भाजपा जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं।
4- अभिजीत सिंह सांगा : अभिजीत सिंह सांग 2017 में पहली बार बिठूर विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर विधायक बने। इससे पहले वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके थे। वह कांग्रेस की ग्रामीण इकाई के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। अभिजीत सिंह सांगा का जन्म 02 अगस्त 1983 को हुआ।
5- महेश त्रिवेदी : भाजपा प्रत्याशी महेश त्रिवेदी 2017 में किदवई नगर विधानसभा सीट से जीते थे। उन्होंने तीन बार के विधायक कांग्रेस के अजय कपूर को पराजित किया था। वह पहले भाजपा में युवा मोर्चा के पदाधिकारी थे। 20 मार्च 1967 को उनका जन्म हुआ था। वह एक बार निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते। फिर बसपा में रहते हुए चुनाव लड़े। वह बसपा शासन में प्रदेश में राज्यमंत्री रह चुके हैं।
6- सलिल विश्नोई : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य सलिल विश्नोई 2002 में पहली बार जनरलगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे। इसके बाद 2007 का चुनाव भी उन्होंने इसी सीट से जीता था। परिसीमन होने के बाद जनरलगंज विधानसभा सीट खत्म हो गई तो वह 2012 में आर्यनगर से लड़े और विधायक बने लेकिन 2017 में वह सीट बचा ना सके। नौ जुलाई 1955 को जन्मे सलिल विश्नोई प्रदेश में महामंत्री भी रह चुके हैं।
7- सुरेश अवस्थी : छात्र नेता रहे सुरेश अवस्थी 2009 में भाजपा उत्तर जिला में उपाध्यक्ष थे। इसके बाद वह भाजपा की प्रदेश इकाई में मंत्री पद पर भी रहे। इसके बाद 2017 में वह सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे लेकिन समाजवादी पार्टी के इरफान सोलंकी से वह चुनाव हार गए थे। पार्टी ने इस बार फिर उन्हें चुना है।
8- रघुनंदन भदौरिया : भाजपा दक्षिण जिला इकाई में पदाधिकारी रह चुके रघुनंदन भदौरिया 2012 में परिसीमन के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर कैंट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे थे। इस चुनाव में वह विजयी रहे थे। 15 जुलाई 1962 को जन्मे रघुनंदन भदौरिया 2017 के चुनाव में कांग्रेस के सोहिल अख्तर अंसारी से पराजित हो गए थे।
9- राहुल बच्चा सोनकर : राहुल बच्चा भाजपा कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र के अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष हैं। इससे पहले वह क्षेत्रीय टीम में ही पदाधिकारी भी रहे हैं। राहुल अनुसूचित मोर्चा की प्रदेश इकाई में मंत्री भी रह चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी वह बिल्हौर विधानसभा सीट से भाजपा से टिकट मांग रहे थे।