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    Sawan 2025 Lord Shiva: कानपुर में सावन के अद्भुत किस्से, लव-कुश की नगरी में बनतीं कांवड़, विदेशी पहलवान भी दांव लगाने अखाड़े में उतरते

    कानपुर में सावन के महीने में प्रकृति का सौंदर्य और भक्ति का संगम अद्भुत है। मंदिरों में हर-हर महादेव की गूंज और कांवड़ियों की भीड़ कानपुर के रास्तों को शिवमय कर देती है। बिठूर में कांवड़ नागपंचमी पर अखाड़ों में कुश्ती पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में शिवभक्तों की भीड़ अद्भुत लगती है।

    By Ashutosh Mishra Edited By: Anurag Shukla1Updated: Fri, 11 Jul 2025 12:49 PM (IST)
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    कानपुर में सावन में आंदेश्वर मंदिर का खास महत्व है।

    जागरण संवाददाता, कानपुर। सावन के महीने में धरा हरियाली से अपना शृंगार करती है। प्रकृति के खूबसूरत नजारों को देख मयूर नृत्य करने लगते हैं। कोयल की कुहूक और चिड़ियों की चहचहाट बरबस लोगों का ध्यान खींचती है। झूला तो पर गयो अमुआ की डार पर... जैसे गीत कानों में मधुर रस घोलते हैं। दंगलों में दांव लगते हैं। नागपंचमी को बच्चे प्रतीकात्मक रूप से कपड़ों से बनी गुड़िया पीटते हैं। आसमान में पतंग छाई रहती है। हर तरफ उल्लास का माहौल रहता है।

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    भक्ति की बयार ऐसे बहती है कि शिवालयों में हर-हर महादेव की गूंज के साथ लंबी-लंबी लाइनें लगती हैं। आस्था की हिलोर ऐसी कि मां गंगा का जल लेकर कांवड़िये भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए प्रमुख शिवालयों के लिए लंबी डगर पर निकल पड़ते हैं। पेश है जागरण संवाददाता आशुतोष मिश्र की रिपोर्ट...।

    लव-कुश की नगरी में बनतीं कांवड़

    लव-कुश की नगरी कहे जाने वाले बिठूर में भोले के जलाभिषेक के लिए कांवड़ बनाई जाती हैं। सावन शुरू होने से एक-डेढ माह पहले ही यहां मांग के अनुसार कांवड़ तैयार होने लगती हैं। पिछले छह-सात साल से कांवड़ की मांग बढ़ी है। शिवरात्रि पर तो यहां से गैर जिलों तक के श्रद्धालु कांवड तैयार कराते हैं। सावन माह में भी छह से सात हजार तक कांवड के आर्डर मिल जाते हैं। आस्था से सजी कांवड़ में गंगा जल लेकर लोग गैर जिलों में स्थित शिवालयों के लिए जलाभिषेक लेकर निकल पड़ते हैं। दिन हो या रात सड़कों पर कांवड़ियें बम-बम भोले, हर-हर भोले का उद्घोष करते हुए दिखाई देते हैं। यह सिलसिला पूरे सावनभर चलता है। सावन माह के हर सोमवार को कांवड़ में गंगा जल लेकर भोले पर चढ़ाया जाता है।

    यहां सबसे ज्यादा कांवड़ की मांग

    बिठूर में बनने वाली कांवड के आर्डर शिवरात्रि पर कानपुर देहात, औरैया, इटावा, बरेली, फर्रुखाबाद, कन्नौज तक होती है। सावन में सबसे ज्यादा मांग कानपुर देहात के रसूलाबाद और कानपुर से होती है। यहां पर तीन सौ लेकर 1100-1200 तक की कांवड़ तैयार होती है। सवाजट के साथ कांवड की कीमत बढ़ती जाती है। कांवड़ बिक्री करने वाले संतोष शुक्ला बताते हैं कि समय के साथ कांवड़ में भी बदलाव आया है। अब लोग कांवड़ को कई तरह की सजावटी वस्तुओं से सजवाते हैं। पहले कांवड़ में बांस के दोनों तरफ गंगा जल रखने के लिए लकड़ी की डलिया लगती थी। अब यह महंगी होने के कारण प्लास्टिक की डलिया लगाई जाती है। डलिया में गंगा जल रखने के लिए कांच की सीशियों में रखा जाता था। अब कांच जैसी दिखने वाली पारदर्शी सीशियां प्रयोग की जाती हैं। यह शीशियां 25 एमएल, 30 एमल से लेकर एक लीटर तक की होती थी।

    Kanpur Sawan 2025 Kanwar

    कांवड़ की शुद्धता जरूरी

    कांवड़ की शुद्धता बनाए रखने के लिए डलियों के नीचे बांस की खपच्चियां लगाई जाती हैं, इससे कांवड़ जमीन से थोड़ा ऊपर रहे। हालांकि ज्यादातर कांवड़िये अपनी कांवड़ जमीन पर नहीं रखते हैं। दैनिक नित्य क्रियाएं पूरी करते समय किसी दूसरे को कांवड़ देते हैं। इस समय तीन सौ से लेकर 1100 रुपये तक की कांवड़ है। तीन सौ वाली कांवड़ में किसी तरह की सजावट नहीं होती है। कांवड़ बनाने वाले दिनेश पंडा ने बताया कि अब ज्यादातर सजावट वाली कांवड़ की मांग रहती है। कांवड़ की छतरी आकर्षक रूप से सजाई जाती है। इसमें गोटा समेत अन्य सजावटी सामान प्रयोग किया जाता है। इसकी खरीद कांवड़ बनाने वाले शिवाला और जनरलगंज से लाते हैं। सावन में मांग को देखते हुए कांवड़ बनाने के लिए आठ से 10 लोग लगते हैं।

    Anandeshwar Temple

    प्रमुख शिवालयों में रात से ही लगतीं लंबी कतारें

    सावन के हर सोमवार को शहर के प्रमुख शिवालयों में बाबा भोले के दर्शन के लिए रविवार रात से ही लंबी कतारें लग जाती हैं। लाखों श्रद्धालु दर्शन कर जलाभिषेक करते हैं। परमट स्थित आनंदेश्वर, जाजमऊ स्थित सिद्धनाथ घाट, नवाबगंज स्थित जागेश्वर और सीसामऊ स्थित वनखंडेश्वर मंदिर में सावनभर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दर्शन के लिए पहुंचती है। आनंदेश्वर मंदिर में रविवार रात से ही ग्रीनपार्क तक लंबी लाइन लगती है। आनंदेश्वर, सिद्धनाथ और जागेश्वर मंदिर में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए फोर्स लगाई जाती है। सभी शिवालयों में सावन की तैयारी चल रही हैं।

    हर सोमवार चढ़ जाती है 15 क्विटंल बेलपत्री

    सावन के सोमवार को शिवालयों में पूजन और विभिन्न स्थानों पर रुद्राभिषेक के कारण बेलपत्री और फूलों की मांग बढ़ जाती है। हर सोमवार को करीब 15 क्विटंल बेलपत्री चढ़ जाती है। मांग ज्यादा होने से बेलपत्री के दाम दोगुणे तक पहुंच जाते हैं। शहर में उन्नाव, शुक्लागंज और सरसौल से बेलपत्री की अतिरिक्त आपूर्ति होती है। जन कल्याण फूल समिति के अध्यक्ष राजेश सैनी बताते हैं कि सावन में शिवालयों में चढ़ाने के साथ ही रुद्राभिषेक भी होते हैं। इसलिए बेलपत्री और फूलों की मांग काफी बढ़ जाती है।इस कारण अभी 120 से 150 रुपये किलो बिकने वाली बेलपत्री 300 से 350 रुपये किलो पहुंच जाती है। 120 से 130 रुपये में बिकने वाला गेंदा का फूल 200 से 250 प्रति किलो पहुंच जाता है।

    विदेशी पहलवान भी दांव लगाने अखाड़े में उतरते

    शहर में नागपंचमी को कई अखाड़े दंगल करवाते हैं। सबसे ज्यादा आकर्षण का दंगल जागेश्वर मंदिर के अखाड़े का रहता है। यहां पर विदेशी पहलवान भी दांव लगाने अखाड़े में उतरते हैं। महिला पहलवानों की कुश्ती भी कराई जाती है। इस बार जागेश्वर मंदिर के अखाड़े के दंगल में जम्मू के गनी पहलवान को भी बुलाया जा रहा है। हर बार की तरह नेपाल के पहलवान भी आएंगे। पंजाब और हरियाणा के पहलवानों को भी बुलाया गया है। यहां सबसे बड़ी कुश्ती एक लाख एक रुपये की होगी। जागेश्वर मंदिर में सावन के दूसरे सोमवार को दंगल होता है। भगवत दास घाट के अखाड़े में कन्नौज, बनारस, झांसी और गाजियाबाद के पहलवान अपने दांव दिखाएंगे। यहां पर सबसे बड़ी कुश्ती 21 हजार रुपये की होती है।