कानपुर में स्टार्ट हुई अनूठी पहल, संवाद से दूर कर रहे संक्रमितों के दिलों का अवसाद
कोविड मैटरनिटी विंग के एचडीयू में ड्यूटी कर रहे मनोरोग विभाग के प्रो. गणेश शंकर ने बताया कि मरीज काफी भयाग्रस्त हैं। उनकी हिम्मत बढ़ाने और डर से ध्यान भटकाने पर उनपर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। लाल बंगला की एक बुजुर्ग महिला सही से भोजन नहीं कर रहीं थी।

कानपुर, जेएनएन। कोरोना की दूसरी लहर घातक साबित हो रही है। पिछले वर्ष मरीज कोविड अस्पतालों में रहकर आराम से घर चले जाते थे। डॉक्टर और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ उनका तालियां बजाकर स्वागत करते थे। इस बार कोरोना ने लोगों को डरा दिया है। संक्रमित भी अस्पतालों में डरे सहमे हैं। उनमें सब कुछ खत्म होने की भावना भरी हुई है। इस स्थिति में कुछ डॉक्टर और स्टाफ मरीजों से बंगाली व भोजपुरी आदि भाषाओं-बोलियों में बात कर उन्हेंं जिंदादिली का अहसास दिला रहे हैं। इस प्रयास से रोगियों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो रहा है।
कोविड मैटरनिटी विंग के एचडीयू में ड्यूटी कर रहे मनोरोग विभाग के प्रो. गणेश शंकर ने बताया कि मरीज काफी भयाग्रस्त हैं। उनकी हिम्मत बढ़ाने और डर से ध्यान भटकाने पर उनपर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। लाल बंगला की एक बुजुर्ग महिला सही से भोजन नहीं कर रहीं थी। उनसे बंगाली में बातचीत की गई तो उन्होंने संवाद किया। अपने मन की बात कही। बंगाली में ही समझाया तो उन्होंने भोजन किया। कुछ जूनियर डॉक्टर भोजपुरी अच्छा बोल लेते हैं। वह मरीजों से उनके तरीके से बतियाकर उन्हेंं प्रेरित कर रहे हैं। न्यूरो साइंस कोविड विंग के नोडल अधिकारी प्रो. प्रेम सिंह ने बताया कि मोटीवेशन का काफी असर है। रोगी आपस में भी बातचीत कर रहे हैं।
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