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    कानपुर के चेस्ट अस्पताल में अब ब्रोंकोस्कोपी जांच की सुविधा, आसानी से पता चलेगी गंभीर फेफड़ों की बीमारी

    By Abhishek VermaEdited By:
    Updated: Thu, 28 Jul 2022 12:49 PM (IST)

    कानपुर के मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में ब्रोंकोस्कोपी जांच के लिए विभाग में अत्याधुनिक मशीन मंगाई गई है। जिसके बाद यहां फेफड़े की झिल्ली में पानी की थोरेकोस्कोपी जांच भी शुरू हो गई है। मशीन से फेफड़ों के अंदर की स्थिति स्पष्ट दिखाई पड़ती है।

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    कानपुर के मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में ब्रोंकोस्कोपी जांच के लिए अत्याधुनिक मशीन मंगाई गई

    कानपुर, जागरण संवाददाता। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर (हैलट) के मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल स्थित रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में फेफड़ों की गंभीर बीमारी का अब आसानी से पता लगाया जा सकेगा। इसके लिए अत्याधुनिक ब्रोंकोस्कोपी मशीन मंगाई गई है, जिसके जरिये फेफड़ों के अंदर की स्थिति स्पष्ट दिखाई पड़ती है।

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    मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में फेफड़े और सांस संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए 14-15 जिलों के गंभीर आते हैं। अस्पताल में अभी तक पुरानी मशीन थी, जिससे जांच में दिक्कत होती थी।

    ऐसे होती है जांच

    जांच करते समय मरीज के मुंह या नाक से पतले ट्यूब के जरिये छोटी सी दूरबीन गले के अंदर से फेफड़े तक डाली जाती है। इसके बाद फेफड़ों की स्थित मानीटर पर देखी जाती है। इसकी मदद से फेफड़ों से बलगम, गले फेफड़े के हिस्से और फेफड़ों के टिश्यू के सैंपल लेकर बायोप्सी जांच कराते हैं। अगर कैंसर है तो उसका फैलाव कितना हुआ है, इसकी जानकारी मिल जाती है।

    थोरेकोस्कोपी से फेफड़े की झिल्ली की जांच

    फेफड़ों की झिल्ली (प्लयूरा) में बार-बार पानी भरने पर ट्यूब डाली जाती है। प्लयूरा से जुड़ी जटिलताओं का पता लगाना मुश्किल था। अब थोरेकोस्कोपी से जांच संभव है। इसमें एक लचीली ट्यूब सीने में छोटा सा चीरा लगाकर डालते हैं। उसके जरिये थोरेकोस्कोपी डालकर फेफड़े की झिल्ली और आसपास की स्थिति देखी जाती है। इससे प्लयूरल केविटी भी स्पष्ट दिखाई पड़ती है। प्लयूरल केविटी में भरे पानी में जाला बनने से फेफड़े से पानी पूरी तरह से निकल नहीं पाता है। थोरेकोस्कोपी की मदद से जाला भी तोड़ते हैं।

    अस्पताल में अत्याधुनिक कंप्यूटराइज्ड ब्रोंकोस्कोपी और थोरेकोस्कोपी मशीन आ गई है। इन मशीनों की मदद से फेफड़े की स्थिति और उसकी झिल्ली की जांच आसानी से संभव है। दोनों जांचें महज एक रुपये का पर्चा बनवा कर मरीज करा सकते हैं।

    प्रो. आनंद कुमार, विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।