देसी जुगाड़ : एक मशीन और काम चार, मूर्तिकार भाइयों ने बड़े-बड़े इंजीनियरों को छोड़ा पीछे
देवी-देवताओं की मूर्तियां गमले और फूलदान बनाने वाले भाइयों ने किसान पॉवर-2020 बनाकर खेती का काम आसान कर दिया है।
चित्रकूट, [प्रफुल्ल चंद्र त्रिपाठी]। प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती। चित्रकूट के दो भाइयों सुरेश चंद्र मौर्य और रमेश चंद्र मौर्य ने इसकी नजीर पेश की है। दोनों ने मिलकर देसी जुगाड़ की तकनीक से न सिर्फ अपना सपना साकार किया बल्कि किसानों के लिए एक ऐसी मशीन तैयार कर दी, जिससे खेत में चार काम किए जा सकते हैं। इस आविष्कार के बाद मूर्तिकार भाईयों ने बड़े बड़े इंजीनियरों को पीछे छोड़ दिया है।
आर्ट से डिप्लोमा होल्डर हैं
मऊ तहसील के ग्राम उसरीमाफी निवासी 49 वर्षीय सुरेश और 45 वर्षीय रमेश ने इस मशीन को 'किसान पॉवर-2020' नाम दिया है। वह बताते हैं कि राजकीय इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट करने के बाद बांटे आर्ट से डिप्लोमा किया। गांव में मूर्तिकला केंद्र खोलकर देवी-देवताओं की मूर्तियां, डिजाइनर गमले, फूलदान बनाने का काम शुरू किया। खेती-किसानी भी करते रहे। सपना था कि किसानों के लिए ऐसी मशीन बनाई जाए जिससे ट्रैक्टर न खरीद पाने वाले लोगों को खेती में सहूलियत मिले। इंटरनेट पर विभिन्न मशीनों को देखा और एक साल तक लगातार प्रयास किया। कई बार असफलता के बाद आखिरकार मशीन तैयार हो गई।
ऐसे बनाई मशीन
सुरेश बताते हैं कि घर पर लोहे के कबाड़ व पाइप को इक_ा कर नट-बोल्ट व कुछ पुर्जे बाजार से खरीदे। पंपिंग सेट का डीजल इंजन लिया और पहिये और हैंडल लगाया। महज 25 हजार रुपये की कीमत में मशीन तैयार हो गई। खेत का समतलीकरण होने लगा। इसके बाद निराई, गुड़ाई और जोताई के यंत्र लगाए। यह मशीन आलू की बोआई व पौधों पर मिट्टी चढ़ाने का काम आसानी से करती है। धान की मड़ाई में भी यह बेहद उपयोगी है। अब इसे अन्य फसलों के लिए भी तैयार कर रहे हैं। इसमें लगे इंजन से सिंचाई का काम भी ले लेते हैं।
तहसीलदार ने डीएम को भेजी रिपोर्ट
मऊ तहसीलदार संजय अग्रहरि ने बताया कि क्षेत्र में निरीक्षण के दौरान इस तकनीक के बारे में जानकारी हुई। मशीन का इस्तेमाल करवा कर देखा। विचार आया कि यह अन्य किसानों के लिए बड़ा फायदा साबित हो सकती है। इसीलिए इसकी रिपोर्ट डीएम चित्रकूट शेषमणि पांडेय के पास भेजी। डीएम ने कहा है कि किसान भाइयों की जुगाड़ तकनीक से बनी मशीन की जानकारी मिली है। तकनीकी विशेषज्ञों से जांच कराने के बाद शासन को इसका प्रस्ताव भेजेंगे, ताकि प्रदेश के अन्य किसानों को इसका लाभ मिल सके।
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