बिना डॉक्टर के पर्चे के अब नहीं मिलेगी दर्द निवारक ट्रामाडोल, शेड्यूल एक्स में शामिल
पंजाब और आसपास के राज्यों में इस दवा का इस्तेमाल नशे के रूप में किया जा रहा है। दुरुपयोग रोकने के लिए इसे नारकोटिक्स के दायरे में लाया गया है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : पंजाब समेत आसपास के राज्यों में नशे के रूप में दर्द निवारक दवा ट्रामाडोल के सेवन की लगातार शिकायतें आ रही थीं। अब दुरुपयोग रोकने के लिए इस दवा को शेड्यूल एक्स में शामिल कर लिया गया है और यह नारकोटिक्स एक्ट के दायरे में आ गई है। अब इसकी बिक्री के लिए अलग से लाइसेंस लेना होगा। फुटकर व थोक दवा विक्रेताओं को दवा की खरीद-बिक्री का रिकार्ड मेंटेन करना होगा। बगैर डॉक्टर के पर्च के दवा नहीं मिलेगी।
डॉक्टर एवं मेडिकल स्टोर संचालक ट्रामाडोल को सुरक्षित दर्द निवारक साल्ट मानते हैं। इसका न किडनी पर असर होता है और न ही शरीर के अंदर कोई साइड इफेक्ट। अस्थि रोग विशेषज्ञ (आर्थोपेडिक सर्जन) व गुर्दारोग विशेषज्ञ (नेफरोलाजिस्ट), कैंसर विशेषज्ञ मरीजों को ड्रामाडोल ही लिखते हैं। पंजाब व आसपास के राज्यों में इसका इस्तेमाल नशे के तौर पर किए जाने की शिकायतों पर औषधि महानिदेशक,भारत सरकार ने जांच-पड़ताल कराई। सत्यता मिलने पर इस साल्ट को नारकोटिक्स ड्रग एवं साइकोट्रापिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस) के दायरे में लाने का निर्णय लिया गया ताकि दुरुपयोग रुक सके। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने अधिसूचना 26 अप्रैल को जारी की है। इसका गजट भी कर दिया है।
क्या है शेड्यूल एक्स
शेड्यूल एक्स के तहत नारकोटिक्स ड्रग एवं साइकोट्रापिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस) की दवाएं आती हैं। इन दवाओं की बिक्री के थोक व फुटकर दवा विक्रेताओं को अलग लाइसेंस लेना होगा। दवा की बिक्री डॉक्टर के पर्चे पर होगी। मरीज का पूरा ब्योरा भी रखना होगा।
बाजार में इंजेक्शन व टेबलेट के रूप में उपलब्ध
ट्रामाडोल इंजेक्शन व टेबलेट के रूप में उपलब्ध है। कुछ कंपनियां इस दवा का कांबीनेशन भी बेचती हैं। अमेरिकन कंपनी की इस साल्ट की दवा सबसे अधिक बिकती है। यह कई ब्रांड नेम से बाजार में उपलब्ध है, कुछ कंपनियां जेनरिक ब्रांड भी बेच रहीं हैं।
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रोकना होगा मुश्किल
पेट में भीषण दर्द हो या शरीर में ऐंठन लोग ट्रामाडोल खरीद कर खाते हैं। इसलिए इसे रोकना सरकार व औषधि निरीक्षकों के लिए चुनौती होगा। बोले जिम्मेदार
औषधि निरीक्षक अरविंद गुप्ता ने कहा कि कुछ राज्यों में इस साल्ट के दुरुपयोग की शिकायत थी। इसलिए केंद्र सरकार ने ट्रामाडोल साल्ट को शेड्यूल एक्स में शामिल कर लिया है। अब थोक एवं फुटकर दवा विक्रेताओं को अलग लाइसेंस लेना होगा। डॉक्टर व मरीज की जानकारी भी रखनी होगी।
वहीं, दि फुटकर दवा व्यापार मंडल के चेयरमैन संजय मेहरोत्रा ने कहा कि फुटकर एवं थोक विक्रेताओं को खरीद-बिक्री का हिसाब रखना होगा। जांच होने पर उसे अफसरों को दिखाना होगा। बिक्री से अधिक स्टॉक भी नहीं रख सकेंगे।
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