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    चीखों से आंखें नम, उमड़ा दर्द का 'समंदर', Kanpur में जहरीली गैस से तीन मजदूरों की मौत के बाद स्वजन में आक्रोश

    By Nitesh MishraEdited By:
    Updated: Sun, 18 Sep 2022 10:20 PM (IST)

    कानपुर के बर्रा के मालवी नगर में सेप्टिक टैंक में उतरे तीन मजदूरों की जहरीली गैस से मौत हो गई। मौत के बाद आक्रोशित स्वजन ने हंगामा किया। चीखों से हर आंख नम हो गई। मानों दर्द का समंदर उमड़ा गया हो।

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    कानपुर के बर्रा में सेप्टिक टैंक में उतरे तीन मजदूरों की जहरीली गैस से मौत।

    कानपुर, जागरण संवाददाता। सीवर टैंक में गैस की चपेट में आकर तीन मौतों के बाद घटनास्थल पर स्वजन की चीखों से हर किसी की आंखें नम हो गईं। घंटों तक दर्द का 'समंदर' उमड़ता-घुमड़ता रहा। शटरिंग कारीगर शिवा के बड़े भाई मोनू ने कहा कि वह ठेकेदार बाल गोविंद के साथ छह महीने से काम कर रहा था। परिवार में पिता रामसेवक तिवारी, मां मुन्नी और चार भाई हैं।

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    बर्रा के जरौली में बहन अर्चना के घर पर ही रहता था। शनिवार को चार वर्षीय भांजी गुलोल का जन्मदिन था। उसमें शामिल होने के लिए बहन ने सभी को बुलाया था। इस दौरान शनिवार देर रात तक शिवा भी फोन कर उन्हें जन्मदिन में शामिल होने के लिए बुलाता रहा, लेकिन वह लोग जन्मदिन की पार्टी में शामिल नहीं हो सके।

    अगर वह जन्मदिन में शामिल होते तो शायद आखिरी बार भाई का चेहरा देख लेते। माता-पिता भी आंसू नहीं रोक सके। पिता ने कहा कि बेटे से कुछ दिन पहले बात हुई थी तो उसने दीपावली पर आने की बात कही थी। दीपावली मनाने से पहले ही उसका शव देखना किस्मत में लिखा था। वह बेटे की पुरानी बातें याद कर फफक-फफक कर रोते रहे। ऐसे ही अंकित व अमित के स्वजन भी घटनास्थल से लेकर पोस्टमार्टम हाउस तक बिलखते रहे।

    साढ़े चार घंटे बाद उठे शव, नोकझोंक, मारपीट और बवाल : धनवंतरि अस्पताल में शिवा को मृत घोषित किए जाने के बाद स्वजन ने साढ़े चार घंटे तक कार्रवाई की मांग को लेकर शव नहीं उठने दिया। किसी तरह शव लोडर में रखवाया गया तो चालक को पीट दिया। शव उतारने को लोडर पर चढ़ गए। पुलिस से हाथापाई, नोकझोंक व बवाल को लेकर एडीसीपी पश्चिम अंकिता शर्मा ने पहुंचकर मामला संभाला।

    छत की मजबूती के लिए डाला जा रहा पानी टैंक में भरा : क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि दो माह से सीवर टैंक की छत को मजबूत करने के लिए पानी डाला जा रहा था। शटरिंग के कारण उसे ढक्कन लगाकर बंद कर दिया गया था। यही पानी धीरे-धीरे तीन से चार फीट तक भर गया। गंदा पानी चारों तरफ से बंद होने के कारण मीथेन गैस का कारक बन गया।