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    कानपुर : बढ़ेगा कार्बन फाइबर का उत्पादन, टेक्सटाइल इजीनियर करेंगे वैज्ञानिकों का सहयोग

    द इंस्टीट्यूशंस आफ इंजीनियर्स के कानपुर सेंटर की ओर से वर्चुअल मोड में आयोजित 34 वें राष्ट्रीय सम्मेलन में कार्बन फाइबर के विषय में जानकारी दी गयी। देश में इसके उत्पादन को बढ़ाने पर जोर देने के लिये चर्चा हुई।

    By Abhishek VermaEdited By: Updated: Wed, 23 Mar 2022 01:44 PM (IST)
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    द इस्टीट्यूशंस आफ इंजीनियर्स के कानपुर सेंटर में आयोजित हुआ सम्मेलन।

    कानपुर,जागरण संवाददाता। कार्बन फाइबर बेहद हल्का और मजबूत होता है और इसका इस्तेमाल एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में प्रमुखता से होता है। तमाम एयरक्राफ्ट और राकेट में इसी फाइबर का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन देश में इसका उत्पादन बेहद कम है। लिहाजा अब उत्तर प्रदेश वस्त्र एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (यूपीटीटीआइ) समेत देश के अन्य टेक्सटाइल इंजीनियर इसके उत्पादन को बढ़ाने में विज्ञानियों की मदद करेंगे।

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    द इंस्टीट्यूशंस आफ इंजीनियर्स (इंडिया) के कानपुर सेंटर की ओर से वर्चुअल मोड में आयोजित 34वें राष्ट्रीय सम्मेलन में यह बात इसरो और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के विज्ञानियों ने कही। 

    मंगलवार को सम्मेलन के दूसरे दिन उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में प्रगति विषय पर टेक्सटाइल इंजीनियरों की भूमिका पर व्याख्यान दिया। इससे पूर्व विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर 20 शोधपत्र प्रस्तुत किए। साथ ही बताया कि रक्षा और नागरिक दोनों क्षेत्रों में भारतीय एयरोस्पेस उद्योग सबसे तेजी से बढ़ रहा है। मिसाइल, हथियार प्रणाली के साथ ही भारतीय एयरोस्पेस उद्योग देश का तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र बन रहा है। बताया कि राकेट लांचिंग व्हीकल लांचिंग के बाद बेकार हो जाते थे, अब उनका पुन: प्रयोग करने का प्रयास चल रहा है। भारत स्वदेशी अंतरिक्ष यान, उपग्रह, चंद्र और मंगल मिशन, विमान विकसित करने की राह पर दौड़ रहा है। 

    तकनीकी सत्र की अध्यक्षता एयरोस्पेस डिवीजन बोर्ड के अध्यक्ष डा. पीवी वेंकटकृष्णन, एएसडीबी के सदस्य एमएम कोठारी, सुमित कांतिलाल और के. अशोक कुमार ने की। समापन सत्र को एनआइटीटीटीआर के निदेशक प्रो. देवी प्रसाद मिश्रा, संस्था के चेयरमैन विवेक अस्थाना ने भी संबोधित किया। संचालन प्रो. मुकेश कुमार ङ्क्षसह ने किया। इस दौरान मानद सचिव रमाकान्त यादव, प्रो. प्रदीप कुमार मौजूद रहे।