कश्मीर में मारे गए आतंकी से जुड़े थे कमरुज्जमा के तार, कानपुर में सिद्धि विनायक मंदिर को उड़ाने की थी साजिश
कानपुर शहर में धमाके की साजिश रचने वाले हिजबुल के आतंकी कमरुज्जमा को सितंबर 2018 में चकेरी में पकड़ा गया था एनआइए उसके और साथियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। कमरुज्जमा असोम की जेल में बंद है।
कानपुर, [चंद्रप्रकाश गुप्ता]। दो साल पहले चकेरी में एटीएस के हत्थे चढ़े हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमा उर्फ कमरुद्दीन उर्फ डॉ. हुरैरा के तार पिछले दिनों कश्मीर में सुरक्षा बलों के हाथों मुठभेड़ में मारे गए सैफुल्लाह मीर उर्फ हैदर से भी जुड़े थे। कमरुज्जमा ने गिरफ्तारी के दौरान उसका नाम भी लिया था। फिलहाल, कमरुज्जमा वर्तमान में असोम की जेल में बंद है। उसे जल्द ही लखनऊ लाया जा सकता है।
एटीएस ने किया था गिरफ्तार
मूलरूप से असोम के होजाई निवासी कमरुज्जमा उर्फ डॉ हुरैरा ने कानपुर में घंटाघर स्थित सिद्धि विनायक मंदिर को बम से उड़ाने की साजिश रची थी। इसके लिए उसने कई बार मंदिर के आसपास रेकी की थी। 12 सितंबर 2018 को एटीएस ने चकेरी के शिवनगर स्थित एक मकान में छापा मारकर उसको गिरफ्तार किया था। एटीएस ने जब उसे गिरफ्तार किया तो उसके पास बरामद मोबाइल फोन में सिद्धि विनायक मंदिर के साथ ही चकेरी एयरपोर्ट समेत अन्य प्रमुख इमारतों के भी फोटो व वीडियो मिले थे। यही नहीं, इससे कुछ माह पहले ही एके-47 के साथ कमरुज्जमा की तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर भी वायरल हुई थी। तब से खुफिया एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी थीं।
सामने आए थे असोम और कश्मीर के साथियों के नाम
एटीएस की जांच के 10 दिन बाद एनआइए ने भी केस दर्ज किया था और पिछले वर्ष कमरुज्जमा व उसके दो साथियों असोम के होजाई निवासी सईदुल हुसैन उर्फ इब्राहिम जमां और कश्मीर के किश्तवाड़ निवासी ओसामा बिन जावेद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। बाद में सुरक्षा बलों ने ओसामा को मुठभेड़ में मार गिराया था। एनआइए सूत्रों के मुताबिक, कमरुज्जमा और सईदुल हुसैन के हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल होने के बाद जून 2017 से मार्च 2018 तक हथियार चलाने की ट्रेनिंग तत्कालीन हिजबुल कमांडर हजारी उर्फ रियाज नायकू, मोहम्मद अमीन उर्फ जहांगीर और सैफुल्लाह मीर ने ही दी थी। तीन दिन पहले ही सुरक्षा बलों ने सैफुल्लाह को कश्मीर में मार गिराया था।
ब्लैकबेरी मैसेंजर के जरिए बात करते थे आतंकी
जांच में पता चला है कि कमरुज्जमा संगठन के बाकी आतंकियों से बातचीत करने के लिए ब्लैकबेरी मैसेंजर एप का सहारा लेता था। अगस्त 2017 में कानपुर आने के बाद रेकी करने के लिए उसने चकेरी में खुद को इंजीनियर बताकर किराये पर कमरा लिया था।
स्थानीय पनाह देने वालों का पता नहीं लगा सकी टीमें
चकेरी में कमरुज्जमा के पकड़े जाने पर स्थानीय स्तर पर तौफीक नाम सामने आया था, लेकिन अभी तक उसे ढूंढा नहीं जा सका है। इसी तरह उसे कमरा दिलाने वालों का भी कुछ पता नहीं है। कई राज्यों तक उसके तार जुड़े होने से एनआइए मामले की जांच कर रही है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।