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    कानपुर के दामन पर आतंकवाद का बदनुमा दाग, अबतक सामने आए आतंक के ये चेहरे

    खुफिया एजेंसी हो या एटीएस के लिए कानपुर शहर की पहचान आतंकी पनाहगाह की तरह होने लगी है। यहां पर अलकायदा आइएसआइएस और इंडियन मुजाहिद्​दीन के आतंकवादी पकड़े जा चुके हैं तो मतांतरण का भी कनेक्शन उजागर हो चुका है।

    By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Tue, 13 Jul 2021 07:14 PM (IST)
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    कानपुर शहर को आतंकी बनाते पनाहगह ।

    कानपुर, जेएनएन। अपनी सांस्कृतिक, राजनैतिक व धार्मिक पृष्ठभूमि के चलते विश्व भर में ख्याति बटोरने वाले कानपुर के दामन पर आतंकवाद का बदनुमा दाग बरसों से लगा हुआ है। अलकायदा आतंकवादियों से संबंधों के सामने आने के बाद अब शहर में आतंक का हर चेहरा देखने को मिल रहा है। बात चाहे अलकायदा की हो, आइएसआइएस, इंडियन मुजाहिदीन या पूर्व में सिमी जैसे संगठन की हो, कानपुर में सभी आतंकी संगठनों की पैठ देखने को मिली है। वहीं लव जिहाद और मतांतरण जैसे मामलों में भी कानपुर का नाम खूब उछला। अल्पसंख्यकों में कट्टरता को बढ़ावा देने वाला संगठन पीएफआइ का नेटवर्क भी कानपुर में मौजूद है, जिसकी वजह से एनआरसी जैसे मुद्दे पर कानपुर में हिंसा की वारदातों हुई थीं। कानपुर में सामने आ चुके आतंकी चेहरों पर हमारे संवाददाता गौरव शंकर दीक्षित की एक रिपोर्ट।

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    अलकायदा : कुख्यात आतंंकी ओसामा बिन लादेन, अब्दल्ला आजम जैसे आतंकियों ने अलकायदा यानी सुन्नी इस्लामिक अंतरष्ट्रीय संगठन की नींव 1988 में रखी। वर्ष 2014 में अलकायदा ने अपने इंडियन सब कांटेंनेंटल माड्यूल पर काम शुरू किया और भारत में समर्थकों की फौज खड़ा करने की कोशिश की। बाद में अंसार गजवातुल हिंद के जरिए यही काम आगे बढ़ाया गया। लंबे अरसे बाद अलकायदा की चहलकदमी से शहर में दहशत का माहौल बन गया है। अब तक इस संगठन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से छह संदिग्ध सदस्यों को पूछताछ लिए उठाया गया है।

    आइएसआइएस : जाजमऊ निवासी और लखनऊ में एटीएस के हाथों वर्ष 1917 में ढेर आतंकी सैफुल्ला आतंकी संंगठन आइएसआइएस के संपर्क में था। सैफुल्ला के एनकाउंटर के बाद जब भोपाल ट्रेन हादसे की जांच साथ आगे बढ़ी तो सामने आया कि आइएसआइएस के 11 आतंकी ट्रेनों में बम धमाका करने की फिराक में हैं। सात मार्च 2017 को भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में जबड़ी रेलवे स्टेशन के पास हुए विस्फोट का मास्टर माइंड गौस मोहम्मद, मो. दानिश व आतिफ जाजमऊ के रहने वाले थे ।बाद में कानपुर क्षेत्र के आसपास कई ट्रेन हादसे भी हुए, जिसमें आतंकी साजिश की आशंका व्यक्त की गई।

    इंडियन मुजाहिदीन : असम के जमुनामुख, होजाई के सराक पिली गांव निवासी कमरुज्जमा उर्फ डॉ. हुरैरा को यूपी एटीएस ने 13 सितंबर 2019 को चकेरी के शिवनगर स्थित उजियारी लाल यादव के मकान से गिरफ्तार किया था। कमरुज्जमा को हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी बताया गया था। वह घंटाघर चौराहे के पास स्थित सिद्ध विनायक मंदिर में हमले की साजिश कर रहा था। एटीएस अफसरों को यह भी पता चला था कि कमरुज्जमा के साथ दो-तीन और लोग कमरे में आते-जाते थे। इसमें एक स्थानीय शख्स भी था। हालांकि आगे की कड़ी एजेंसियां जोड़ नहीं पाई।

    सिमी : स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से कानपुर का पुराना नाता है। 25 अप्रैल 1977 को मोहम्मद सिद्दीकी ने अलीगढ़ में सिमी का गठन किया, जो जमात-ए-इस्लामी-ए- हिंद का छात्र संगठन था। 9/11 के आतंकी हमले के बाद आतंकी संगठन घोषित करके प्रतिबंधित कर दिया गया। वर्ष 1999 में सिमी का एक बड़ा सम्मेलन कानपुर में हुआ था, जिसके बाद यह संगठन शहर में तेजी के साथ फैला। वर्ष 2001 के दंगों में सिमी के सदस्यों ने ही तत्कालीन एसडीएम सीपी पाठक की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

    इस हिंसा में एके-47 का प्रयोग हुआ था और पांच थानाक्षेत्रों में कफ्र्यू लगाना पड़ा था। 2006 में रोशन नगर, 2008 में राजीवनगर, 2009 में नजीराबाद, 2010 में कल्याणपुर में विस्फोट की घटनाओं में सिमी के हाथ होने की आशंका पुलिस ने जताई थी। 2016 अक्टूबर में चकेरी में एक अध्यापक के कत्ल में भी सिमी का हाथ सामने आया था। तिलक लगाने की वजह से अध्यापक की मौत का कारण बना।

    लव जिहाद : लव जिहाद के मामले में कानपुर से ही सबसे पहले आवाज उठी। कानपुर दक्षिण की जूही लाल कालोनी से जुड़े कई प्रकरण एक साथ आने से यह मामला अचानक तूल पकड़ गया। इसके बाद प्रदेश के अन्य हिस्सों में लव जिहाद के मामले सामने आए। कानपुर में तो लव जिहाद के मामलों में बाढ़ सी आ गई, जिसके बाद प्रदेश सरकार को लव जिहाद को लेकर नया कानून बनाना पड़ा। नया कानून बनने के बाद लव जिहाद से जुड़ी घटनाओं में कमी आई है, मगर एसआइटी द्वारा की गई जांच में यह सामने आया था कि लव जिहाद के पीछे सोची समझी साजिश जिम्मेदार है।

    मतांतरण : पिछले दिनों देश भर में मतांतरण को लेकर खूब हंगामा हुआ था और कई आरोपित पकड़े गए। जांच में सामने कानपुर के मूक बधिर युवा आदित्य गुप्ता और घाटमपुर की एक युवती के मतांतरण का मामला सामने आया था। यह भी जांच में निकला कि उमर गौतम की टीम कानपुर में 350 से अधिक लोगों को गुमराह कर मतांतरण करने की फिरोक में थी। बाकयदा काउंसलर नियुक्त हो चुके थे और उन्हें चिन्हित कर लिया गया था, जो कि मतांतरण में रुचि ले रहे थे। इस प्रकरण में कानपुर से फंडिंग की बात भी सामने आई थी।

    इन्होंने कही ये बात

    -मुस्लिम मुल्क के वफादार बनकर रहें। देश को तोडऩे वाली शक्तियों से बचें और दूसरों को भी बचाएं। ऐसे काम न करें जिससे मुस्लिम समाज को शर्मिंदा होना पड़े। आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता जो इस्लाम का चोला ओढ़कर आतंकवादी घटनाएं अंजाम दे वह न तो मुस्लिम है न मुल्क का वफादार। -शहरकाजी हाफिज अब्दुल कुद्दूस हादी

    -मुस्लिम ऐसे लोगों से होशियार रहे। अंजान लोगों से दोस्ती करने से बचे। आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता। जो लोग इस्लाम की आड़ में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं, इस्लाम से उसका कोई ताल्लुक नहीं है। देश का माहोल बिगाडऩे वालों से होशियार रहें। -शहरकाजी हाफिज मामूर अहमद