जाजमऊ वाजिदपुर की अवैध बस्तियां हटाने के लिए होगा सर्वे, तैयार हो रही रूपरेखा
वाजिदपुर में बवाल के बाद अवैध बस्ती हटाने की मांग उठने के बाद मंडलायुक्त के आदेश पर कार्रवाई करने के लिए रूपरेखा तैयार की जा रही है इसमें कमेटी में केडीए नगर निगम राजस्व और पुलिस के अधिकारी होंगे।
कानपुर, जेएनएन। वाजिदपुर में सांप्रदायिक संघर्ष के बाद चर्चा में आईं क्षेत्र की अवैध बस्तियों पर अब कार्रवाई का डंडा चलेगा। मंडलायुक्त के आदेश पर केडीए, नगर निगम, राजस्व और पुलिस के अफसरों की एक संयुक्त कमेटी बनाकर सर्वे होगा। इसमें बस्ती में वैध और अवैध का पैमाना तय कर शिकंजा कसा जाएगा।
वाजिदपुर में पिछले दिनों हुए सांप्रदायिक संघर्ष में पिंटू निषाद नाम के एक युवक की मौत हो गई थी। घटना के बाद क्षेत्र की कानून-व्यवस्था बिगड़ते बची थी। स्थानीय लोगों का गुस्सा क्षेत्र में बसी अवैध बस्तियों को लेकर है। आरोप है कि दूसरे संप्रदाय के लोगों ने सरकारी जमीन पर पक्के निर्माण करने के साथ ही झोपडिय़ां भी बना ली हैं। ऐसे लोग ही क्षेत्र की कानून-व्यवस्था के लिए मुसीबत बने हुए हैं।
आरोप है कि पड़ोस की केडीए कालोनी में अधिकांश लोग अवैध तरीके से रहते हैं। बवाल के बाद दिवंगत युवक के घर शोक व्यक्त करने पहुंचे औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने भी अवैध बस्तियों का मुद्दा उठाया था। कानपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राकेश ङ्क्षसह ने बताया कि मंडलायुक्त के आदेश पर संयुक्त टीम अवैध ढंग से रहने वालों का सर्वे करके रिपोर्ट तैयार करेगी। अवैध रूप से रहने वालों को वहां से हटाया जाएगा। एक दो दिन में कमेटी बन जाएगी। सीओ कैंट सत्यजीत गुप्ता ने बताया कि संयुक्त टीम के सर्वे के बाद आगे की कार्रवाई होगी।
2001 में बने थे 356 आवास
सूत्रों के मुताबिक, वाजिदपुर में वर्ष 2001 में वाल्मीकि आंबेडकर आवास योजना के तहत केडीए ने 356 आवास बनाए थे। यह योजना मलिन बस्तियों में रहने वाले गरीबों के उन्नयन के लिए थी। तब यह क्षेत्र शहर से काफी दूर था, लेकिन शहर का विकास होने पर मुख्य आवंटियों से कुछ लोगों ने मकान खरीद लिए और कई इन मकानों के आसपास अवैध रूप से रहने लगे। इस समय बस्ती में करीब 600 परिवार हैं। अक्सर इस क्षेत्र में तनाव के हालात बने रहते हैं।