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Saraswati Medical College Unnao पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया पांच करोड़ का जुर्माना, जानिए-क्या है पूरा मामला

उन्नाव में लखनऊ रोड पर स्थित सरस्वती मेडिकल कॉलेज पर भारतीय चिकित्सा परिषद के नियमों का उल्लंघन का आरोप था। सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना लगाते हुए पांच करोड़ रुपये रजिस्ट्री में जमा करने का आदेश दिया है ।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 12:41 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 12:41 PM (IST)
Saraswati Medical College Unnao पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया पांच करोड़ का जुर्माना, जानिए-क्या है पूरा मामला
नियमों के उल्लंघन में फंस गया मेडिकल कॉलेज।

उन्नाव, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने नियमों का उल्लंघन कर 132 छात्रों को एमबीबीएस में प्रवेश देने वाले उन्नाव के सरस्वती मेडिकल कॉलेज पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कॉलेज को आठ सप्ताह के भीतर यह रकम सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने का आदेश दिया है साथ ही साफ किया है कि कॉलेज जुर्माने की यह रकम छात्रों से नहीं वसूलेगा। कोर्ट ने भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) के नियमों के खिलाफ एमबीबीएस में प्रवेश पाने इन छात्रों को पढ़ाई पूरी करने की इजाजत तो दे दी है लेकिन यह भी कहा कि डिग्री लेने के बाद इन्हें दो साल तक सामुदायिक सेवा यानी कम्युनिटी सॢवस करनी होगी।

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न्यायमूर्ति एम नागेश्वर राव और एस. रविंद्र भट की पीठ ने कॉलेज और छात्रों की याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह अहम फैसला सुनाया है। इस मामले मे कॉलेज और छात्र दोनों ही नियम विरुद्ध भर्ती किए गए छात्रों को निकालने का आदेश देने वाले एमसीआइ के 29 सितंबर 2017 के नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों के वकील नीरज किशन कौल, राजीव दुबे और कॉलेज तथा एमसीआइ के वकीलों को सुनने के बाद दिए आदेश में कहा कि मेडिकल कॉलेज ने जानबूझकर नियमों का उल्लंघन कर 132 छात्रों का एमबीबीएस में दाखिला लिया है। इसके बाद जब एमसीआइ ने इन छात्रों को निकालने का नोटिस भेजा तो भी छात्रों को नहीं निकाला गया और उन्हेंं पढ़ाई जारी रखने की दी गई।

कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रवेश लेने वाले छात्रों को भी पूरी तरह निर्दोष नही माना जा सकता क्योंकि छात्रों को मालूम था कि चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक ने प्रवेश के लिए उनके नामो की संस्तुति नहीं की थी। यह भी नहीं माना जा सकता कि छात्र और उनके माता पिता इस बात से अनभिज्ञ थे कि उनका दाखिला नियमों का उल्लंघन कर हुआ है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे में छात्रों की याचिका खारिज करने योग्य है। लेकिन इन छात्रों ने एमबीबीएस की पढ़ाई का दूसरा वर्ष पूरा कर लिया ऐसे में अब इनका प्रवेश रद करने से किसी उद्देश्य की पूॢत नहीं होगी। कोर्ट ने कहा ये छात्र एमबीबीएस पूरा करने के बाद दो साल तक कम्युनिटी सॢवस करेंगे। नेशनल मेडिकल कमीशन छात्रों की कम्युनिटी सॢवस का प्रकार और तौर तरीका तय करेगा।

फैसला नजीर नहीं बनेगा

कोर्ट ने विश्वविद्यालय को दूसरे वर्ष की पढ़ाई पूरी करने वाले इन छात्रों की परीक्षा कराने और रिजल्ट घोषित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ किया है कि यह आदेश सिर्फ इन छात्रों के तीन साल बरबाद होने से बचाने के लिए मौजूदा मामले की परिस्थितयों और तथ्यों को देखते हुए दिया गया है। इस मामले को भविष्य के लिए नजीर नहीं माना जाएगा।

जुर्माने की रकम के प्रबंधन के लिए ट्रस्ट बनेगा

कोर्ट ने साफ कहा कि जुर्माने की रकम कॉलेज छात्रों से नहीं वसूलेगा। इस रकम के प्रबंधन के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन को एक ट्रस्ट गठित करने का आदेश भी दिया। इस ट्रस्ट में उत्तर प्रदेश के अकाउंटेंट जनरल, जाने-माने शिक्षाविद और प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

ट्रस्ट कॉलेज द्वारा जमा कराई गई पांच करोड़ की रकम उत्तर प्रदेश मे मेडिकल मे प्रवेश पाने वाले जरूरतमंद छात्रों पर खर्च करेगा। कोर्ट ने नेशनल मेडिकल कमीशन को ट्रस्ट डीड की प्रति के साथ 12 सप्ताह में आदेश पर अनुपालन की रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।


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