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    सुखोई-30 लड़ाकू विमान के लिए 'ब्रेक पैराशूट' बनाएगी UP की ये कंपनी, पहली बार मिला इतना बड़ा ऑर्डर

    Updated: Sun, 19 Oct 2025 05:46 PM (IST)

    मिग-21 के रिटायर होने के बाद सुखोई-30, तेजस और जगुआर जैसे विमान वायुसेना के हवाई मोर्चे की कमान संभालेंगे। कानपुर की ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड (जीआइएल) को सुखोई-30 के लिए 65 करोड़ रुपये की लागत से 905 ब्रेक पैराशूट सिस्टम बनाने का पहला बड़ा आर्डर मिला है। 

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    -पहली बार मिला 905 पैराशूट बनाने का बड़ा आर्डर, रूस पर निर्भरता खत्म करने की दिशा में अहम कदम

    विवेक मिश्र, जागरण, कानपुर। वायुसेना के बेड़े से मिग-21 लड़ाकू विमान के रिटायर होने के बाद सुखोई-30, तेजस, जगुआर सहित अन्य विमान हवाई मोर्चे पर कमान संभालेंगे। रक्षा मंत्रालय के पीएसयू ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड (जीआइएल), कानपुर को लड़ाकू विमान सुखोई-30 के लिए 65 करोड़ की लागत के 905 ब्रेक पैराशूट सिस्टम बनाने का बड़ा आर्डर पहली बार मिला है। जीआइएल की देश में एकमात्र आयुध पैराशूट फैक्ट्री (ओपीएफ) कानपुर में ये पैराशूट बनाए जाएंगे। इस पहल को रूस पर से निर्भरता कम करने को जोड़कर देखा जा रहा है।

    ओपीएफ में अब तक वायुसेना के लिए पैराशूट बनते थे। बीच-बीच में लड़ाकू विमानों के लिए ब्रेक पैराशूट का भी आर्डर मिलता था। ब्रेक पैराशूट एक अहम सुरक्षा घटक है जो लैंडिंग के दौरान लड़ाकू विमानों की रफ्तार कम करने में मदद करता है। तीन साल पहले तक भारत ब्रेक पैराशूट सिस्टम के लिए रूस पर निर्भर था।
     
    आर्डनेेंस पैराशूट फैक्ट्री, कानपुर में ये ब्रेक पैराशूट बनाने की तकनीकी दक्षता आने से स्वदेशी पैराशूट बनने लगे। मिग-21 के लिए लंबे समय ब्रेक पैराशूट बनाने वाली आर्डनेंस फैक्ट्री को अब  बड़ा आर्डर मिला है। ये ब्रेक पैराशूट आपात स्थिति में 300 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उतरने वाले विमान की सुरक्षित लैंडिंग कराने में मददगार हैं। पैराशूट लैंडिंग के दौरान उच्च गति वाले विमान को सुरक्षित रूप से धीमा करने और परिचालन सुरक्षा और दक्षता को सुनिश्चित करता है। इसलिए इन पैराशूट की मांग रहती है।

    यूरोप और अमेरिका को पैराशूट निर्यात के लिए चल रही वार्ता

    जीआइएल अपने स्वदेशी उत्पादों को मध्य एशिया, अफ्रीकी देशों में पहुंचाने के लिए प्रयासरत है। यूरोप और अमेरिका से आर्डर मिलने के लिए लगातार वार्ता चल रही है। वैश्विक रक्षा क्षेत्र में भारत के स्वदेशी पैराशूट का निर्यात बढ़ने से केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत व मेक इन इंडिया मुहिम काे गति मिलेगी। जीआइएल के पास पैराशूट सुखोई-30, ब्रेक पैराशूट हाक के माडल, पैरोसेल, एसडी पैराशूट, इल्यूमिनेटिंग पैराशूट, केएम फ्लोट, बोट जैमिनी क्राफ्ट्स बनाने की तकनीकी दक्षता है। कंपनी के पास पैराशूट के पेटेंट, छह कापीराइट और दो ट्रेडमार्क हैं।


    सुखोई 30 लड़ाकू विमान के लिए 905 ब्रेक पैराशूट सिस्टम बनाने का बड़ा मिलना बड़ी उपलब्धि है। ओपीएफ में ये पैराशूट सिस्टम बनाने की तकनीकी दक्षता है। इसलिए जल्द सारी प्रक्रिया पूरी करके उत्पादन कार्य शुरू कर दिया जाएगा। एमसी बालासुब्रमणियम, सीएमडी, ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड।
     

    ये है ओपीएफ के ब्रेक पैराशूट की खासियत :

    • फैब्रिक नायलान से बनी है कैनोपी
    • 32 लाइन की रस्सी लगी है
    • 23 किलोग्राम पैराशूट का वजह है।
    • यूनीाक्रास डिजाइन में बनाई है कैनोपी
    • 10 साल है ब्रेक पैराशूट की मियाद
    • 300 किमी प्रति घंटे की गति की इमरजेंसी लैंडिंग कराने में है सक्षम।
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