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    संविधान की रचना के लिए गठित सभा में कानपुर के थे आठ सदस्य, जानिए-कौन थे वो नाम और क्या था उनका काम

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Tue, 26 Jan 2021 11:58 AM (IST)

    Indian Constitution History देश की स्वतंत्रता के साथ ही संविधान रचना में भी कानपुर का अहम योगदान रहा है। संविधान बनाए जाने के लिए गठित सभा में कानपुर के आठ लोगों को शामिल किया गया था। तब संयुक्त प्रांत की ओर से इन सदस्यों ने सभा में प्रतिनिधित्व किया था।

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    कानपुर का भी संविधान में अहम योगदान रहा है।

    कानपुर, राजीव सक्सेना। स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के साथ ही देश के लिए संविधान बनाने में भी कानपुर का अहम योगदान रहा। शहर के प्रतिष्ठित आठ लोग संविधान सभा के सदस्य थे, जिसका गठन भारतीय संविधान की रचना को लेकर हुआ था। सभी ने भारतीय संविधान बनाने को लेकर प्रस्ताव रखने के साथ ही समर्थन में अपनी बात भी कही थी। भारतीय संविधान बनने के बाद उस पर इनके हस्ताक्षर भी हुए थे। उस समय उत्तर प्रदेश नहीं था। सभी ने संयुक्त प्रांत की तरफ से प्रतिनिधित्व किया था। संविधान सभा के लिए समाज के सभी वर्गों से प्रतिनिधियों को लिया गया था, जिससे कोई भी क्षेत्र अछूता न रहे।

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    संविधान सभा के सदस्य और संक्षिप्त परिचय

    शायर हसरत मोहानी

    डॉ इशरत सिद्दीकी बताते हैं, हसरत मोहानी गांधी जी के बेहद करीबी थे। उन्होंने संविधान सभा में अपने प्रस्ताव के रूप में देश के फेडरल स्ट्रक्चर की बात कही थी। उन्होंने हर राज्य की अपनी आजादी की बात रखी। डिफेंस और करेंसी पर केंद्र के नियंत्रण की सिफारिश की थी। उनका जन्म उन्नाव में हुआ था, लेकिन जीवन का काफी समय कानपुर में गुजरा।

    कवि बालकृष्ण शर्मा नवीन

    प्रतिष्ठित कवि बालकृष्ण शर्मा नवीन सिविल लाइंस में रहते थे। नवीन मार्केट स्थित शिक्षक पार्क में उनकी प्रतिमा अब भी स्थापित है। उनकी कविताओं में राष्ट्रीय आंदोलन की चेतना, गांधी दर्शन और संवेदनाएं हैं। राष्ट्र प्रेम व विद्रोह का स्वर प्रमुखता से आया है।

    पदमपत सिंहानिया

    शहर के प्रमुख उद्योगपति पदमपत सिंहानिया स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों में गुप्त रूप से आर्थिक सहयोग करते थे। 16 वर्ष की आयु में ही उन्होंने जेके काटन स्पिनिंग एंड वीङ्क्षवग मिल की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली थी। 1937 में वह संयुक्त प्रांत की असेंबली में चुने गए थे।

    ज्वाला प्रसाद श्रीवास्तव

    ज्वाला प्रसाद श्रीवास्तव ने मैनचेस्टर के म्युनिसिपल कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से केमिस्ट्री की डिग्री हासिल की थी। संयुक्त प्रांत की असेंबली में 1926, 1930, 1937 में चुने गए। दूसरे विश्व युद्ध में नेशनल डिफेंस काउंसिल में वो सदस्य रहे।

    हरिहरनाथ शास्त्री

    श्रमिक आंदोलनों में प्रमुखता से भाग लेने वाले हरिहर नाथ शास्त्री 1952 में कानपुर के पहले सांसद भी बने। श्रमिकों के लिए बसाई गई शास्त्री नगर कालोनी उनके ही नाम पर है। वह ग्वालटोली में रहते थे। वहां हरिहर नाथ भवन अब भी उनकी याद दिलाता है।

    वेंकटेश नारायण तिवारी

    अपने जीवनकाल में तमाम सरकारी और सामाजिक संगठनों में जिम्मेदारी निभाने वाले वेंकटेश नारायण तिवारी 1927 से 1930 तक विधान परिषद के सदस्य रहे थे। इससे पहले वह 1921-22 में वह ब्रिटिश गुयाना में सरकार की तरफ से डेपुटेशन पर सदस्य सचिव बने थे। संविधान सभा में शामिल होने के बाद वह कानपुर उत्तर-फर्रुखाबाद दक्षिण से पहले लोकसभा सदस्य चुने गए थे।

    दयालदास भगत

    दयाल दास भगत स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन से जुड़े हुए थे। कुली बाजार में उनका आवास था। अब भी उनके पड़पौत्र जितेंद्र धूसिया परिवार के साथ वहां रहते हैं। जितेंद्र के मुताबिक, स्वंतत्रता आंदोलन से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से अंग्रेज सैनिक उन्हें गिरफ्तार करने आए थे। क्षेत्र के लोगों ने अंग्रेज सैनिकों को घेर लिया। इस पर उन्होंने सभी को समझाया और अंग्रेज सैनिकों के साथ चले गए थे। 1952 में विधानसभा चुनाव में वह घाटमपुर-भोगनीपुर पूर्व (आरक्षित) सीट से विधायक चुने गए थे।

    भगवान दीन

    लक्ष्मीपुरवा निवासी भगवान दीन स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों में सक्रिय थे और कांग्रेस की राजनीति से जुड़े हुए थे। उन्हें भी कानपुर से संविधान सभा में चुना गया।