बारिश में सर्पदंश से एक महीने में कानपुर, इटावा, कन्नौज सहित 32 लोगों की मौत, बचने के लिए अपनाएं ये टिप्स
बारिश में सर्पदंश की एक के बाद एक घटनाएं सामने आ रही हैं। जून महीने में कानपुर और आसपास के इलाकों में 32 लोगों की मौत हो चुकी हैं। सर्पदंश में झाड़-फूंक जानलेवा साबित हो रहा है। वहीं चिकित्सकों का कहना है कि सर्पदंश के तीन घंटे में इलाज बच जाए तो जान बच सकती है।

जागरण संवाददाता, कानपुर। बारिश के मौसम में सर्पदंश की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। सर्पदंश की वजह से एक महीने में 32 लोगों की मौत हो चुकी है। चिकित्सकों के अनुसार झाड़ फूक के चक्कर में लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। अगर समय से इलाज मिल जाए तो जान बच सकती है।
मानसून के दौरान तेज वर्षा से सांपों के बिलों और उनके छिपने वाली जगहों में पानी भर जाता है। इससे सांप सूखी और सुरक्षित जगहों की तलाश में बाहर निकलते हैं और घर, दुकान और खेत-खलिहान में नया बसेरा बनाते हैं। यह उनका प्रजनन काल भी होता है। इस दौरान, इंसानों और सांपों का आमना-सामना खतरनाक हो जाता है। सर्पदंश के मामले बढ़ जाते हैं। ऐसे में जरा सी भी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।
जून माह से अब तक कानपुर के आसपास के जिलों में 32 लोगों की जान जा चुकी है। चित्रकूट में आठ, बांदा में सात, जालौन में चार, फतेहपुर व महोबा में तीन-तीन, हमीरपुर व उन्नाव में दो-दो, फर्रुखाबाद, इटावा व कन्नौज में एक-एक मौत हुई है। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. बीपी प्रियदर्शी ने सुझाव दिया है कि झाड़-फूड के चक्कर में न पड़ें और समय पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर एंटी स्नैक वेनम लगवाएं। सर्पदंश के मामलों में दो से तीन घंटे का गोल्डन आवर होता है। इसमें एंटी स्नैक वेनम लग जाने से व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।
कोबरा और करैत से सबसे ज्यादा खतरा, सर्पदंश पर ये दिखते लक्षण
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. बीपी प्रियदर्शी के अनुसार, शहर और उससे जुड़े 18 जिलों में कोबरा और करैत के काटने की सर्वाधिक घटनाएं होती हैं। इसका जहर न्यूरोटाक्सिक होता है। इसमें पैरालिसिस (लकवा), सांस लेने में दिक्कत, आंखों से कम दिखने जैसी समस्याएं होती हैं। इसके अलावा हेमेटोटाक्सिस के चलते शरीर में जहर फैलने पर खून का रिसाव नाक, मुंह व मल द्वार से होने लगता है। करैत प्रजाति का सांप रात में ही काटता है, जिसमें दर्द महसूस नहीं होता है। मच्छर के काटने जैसा निशान दिखता है। उसके कुछ देर बाद पेट में जलन, आंखों में भारीपन और धुंधला दिखने लगता है।
सर्पदंश में इन बातों का रखें ध्यान
- अगर सांप काट ले तो सबसे पहले पीड़ित को शांत कराएं। ऐसा करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहेगा।
- घबराहट में बीपी बढ़ने से शरीर में जहर तेजी से फैलने लगता है।
- सांप कांटने की जगह के पास रूमाल या किसी कपड़े से कसकर बांध दें, जिससे जहर तेजी से फैलने न पाए।
- सर्प दंश की जगह कट न लगाएं। जहर मुंह से न खींचे और न ही पीड़ित को सोने दें।
- सांप ने हाथ में काटा है तो हाथ को ऐसे लटकाएं जैसे कि उसका हाथ टूट गया हो। पीड़ित को खड़ा न होने दें और न ही चलने दें।
- किसी भी तरह की घरेलू दवा या नुस्खा आजमाने से बचें।
वर्षा में बरतें एहतियात
- घर के आसपास सफाई रखें और झाड़ियों को साफ करें।
- जंगल-झाड़ी व घास वाले स्थान पर जाएं तो जूते पहने रहें।
- रात में निकलते समय टार्च का इस्तेमाल जरूर करें।
मानसून की शुरुआत से पहले ही शहर और उससे सटे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 100-100 एंटी स्नेक वेनम का स्टाक सुरक्षित कर दिया गया था। इसके साथ ही वहां पर रात में भी वेनम लगाने की सुविधा दी जा रही है। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले गंभीर मामलों में समय पर एंटी स्नेक वेनम लग सके।
- डा. उदय नाथ, सीएमओ।
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