दुनिया के बेशकीमती उपहारों में शामिल है बांदा का शजर, रानी विक्टोरिया को भा गया था ये पत्थर, रोचक है इसकी खोज की दास्तां
बांदा में केन नदी में मिलने वाला शजर पत्थर अब दुनिया के बेशकीमती उपहारों में शामिल हो गया है। इसे रानी विक्टोरिया ने भी खासा पंसद किया था। नदी में इसकी खोज की कहानी भी बहुत अजीब है।

बांदा, जागरण संवाददाता। जी-7 सम्मेलन में भाग लेने जर्मनी गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वहां अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को शजर पत्थर का कफलिंक (कोट में लगाने वाली बटन) दिया। शजर पत्थर प्रकृति के तमाम बेशकीमती उपहारों में एक है। यह केवल केन नदी में ही पाया जाता है, जो अपनी सुंदरता और अनोखेपन के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, इससे मुख्यत: ज्वेलरी और सजावट का सामान तैयार किया जाता है।
कटरा मोहल्ला निवासी शजर के कारीगर द्वारिका प्रसाद सोनी इस बात से बेहद खुश हैं कि उनका बनाया कफलिंक दुनिया के इतने बड़े नेता को उपहार में दिया गया। इससे यहां के शजर पत्थर की चमक दुनिया में और बढ़ेगी। वह बताते हैं कि कभी बांदा में सरकारी उदासीनता और कम मुनाफा के चलते अधिकतर व्यवसायियों ने शजर का काम बंद कर दिया था, लेकिन एक जिला उत्पाद योजना में शजर को शामिल करने के बाद से व्यवसाय फिर उड़ान भर रहा है। बांदा की केन नदी में पाए जाने वाले शजर पत्थर की खोज करीब 400 वर्ष पूर्व अरब से आए लोगों ने की थी।
यह ए ग्रेड श्रेणी का सबसे मजबूत और महंगा पत्थर है, इसमें पेड़-पौधों और प्राकृतिक छटाओं की सुंदर छवि स्वतः ही अंकित हो जाती हैं। नदी में शजर की पहचान कर उसे काटने और तराशने की लंबी प्रक्रिया है। उसके बाद शजर की असली सूरत सामने आती है और तभी उसकी कीमत भी तय होती है। दो दशक पहले उद्योग के लगभग 70-80 कारखाने जिले थे। यहां के शजर से बनी ज्वेलरी और बेशकीमती उपहार विदेश तक जाते थे। शजर की अनोखी और बेहतरीन कारीगरी के लिए यहां के शिल्पकारों को कई बार राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जा चुका है।
रानी विक्टोरिया को भा गया था शजर पत्थर : द्वारिका सोनी बताते हैं, 1911 में लंदन में शजर प्रदर्शनी लगी थी। उसमें बांदा के हस्त शिल्पी मोती भार्गव गए थे। प्रदर्शनी में रानी विक्टोरिया ने नायाब शजर पत्थर के नगीने को अपने गले का हार बनाया। वह इसे अपने साथ ले गई थीं। विदेश में आज भी शजर की मांग है। दिल्ली, लखनऊ, जयपुर में लगने वाली शजर की प्रदर्शनियों में अक्सर इराक, सऊदी अरब, ब्रिटेन आदि देशों के लोग शजर की खरीददारी करते हैं।
इसके पहले ब्रिटेन के मंत्री को सौंपी थी कफलिंक : पिछले माह ब्रिटेन के मंत्री भारत दौरे पर आए थे। लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी अगवानी की थी और उन्हें कफलिंक भेंट किया था। बीते तीन जून को लखनऊ में ब्रेकिंग सेरेमनी कार्यक्रम में देश भर से उद्योगपति आए थे। तब प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में नक्काशी कर तैयार की गईं शजर की कलाकृतियों की सराहना की थी।
-शजर पत्थर से तैयार कलाकृतियों की देश के साथ विदेश में भी काफी मांग है। मौजूदा समय में 60 कारखाने संचालित हो रहे हैं, इसमें करीब 600 लोगों को रोजगार मिला है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ जैसे शहरों में प्रदर्शनी लगाकर इनका प्रचार-प्रसार किया जाता है। -जहीरुद्दीन सिद्दीकी, उपायुक्त उद्योग, बांदा
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