Sawan 2022 : एक रहस्य है कानपुर का खेरेश्वर मंदिर, यहां सुबह कपाट खुलने से पहले आता है कोई और पूजित मिलता है शिवलिंग
कानपुर नगर के ग्रामीण क्षेत्र के शिवराजपुर में प्राचीन खेरेश्वर महादेव मंदिर का रहस्य बरकरार है। यहां पर भोर कोई आता है और शिवलिंग की पूजा करके चला जाता है। सुबह कपाट खुलने पर जलाभिषेक और पुष्प अर्पित मिलता है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। श्रावण मास में देश के कोने-कोने से भक्त शिवराजपुर स्थित खेरेश्वर मंदिर में भोले नाथ के दर्शन के लिए आते हैं। करीब 700 वर्ष पुराने प्राचीन मंदिर में श्रावण मास में हजारों भक्त गंगा जल से महादेव का जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। भोले बाबा गंगा जल और बेल पत्र से प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।
मंदिर का इतिहास : प्राचीन मंदिर को लेकर आज भी भक्तों की मान्यता है कि यहां पर पहले दर्शन व पूजन अजर अमर अश्वत्थामा करते हैं। जब पुजारी नित्य प्रातः काल मंदिर के पट खोलते हैं तो शिवलिंग पर पहले से विशेष पुष्प और जल चढ़ा हुआ मिलता है। मान्यता है कि प्राचीन काल में चरवाहों की गायों का दूध इस स्थान पर स्वयं निकलने लगा। ग्रामीणों द्वारा खोदाई करने पर यहां शिवलिंग निकला। यह स्थान छतरपुर गांव के खेर (टीले) पर स्थित है, जिसके कारण इस क्षेत्र को खेरेश्वर कहा जाता है।
मंदिर की विशेषता : इस पौराणिक मंदिर में शिवलिंग के दर्शन से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। प्राचीन मंदिर के पास ही गंगा का सरैया घाट है। वहां स्नान करके भक्त गंगाजल से शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। प्राचीन मंदिर में श्रावण मास को मेले का आयोजन प्रतिवर्ष होता है। मंदिर प्राचीन शैली में निर्मित है और पवित्र श्रावण मास में मंदिर के गर्भगृह में भक्तों को कबूतर के जोड़े के दर्शन होते हैं। इसे भक्तों के लिए शुभकारी व मनोरथ पूर्ण करने वाला माना जाता है।
-खेरेश्वर महादेव के दर्शन से बाधाएं दूर होती हैं। श्रावण मास में दुग्धाभिषेक और जलाभिषेक करने का विशेष महत्व होता है। महादेव के दर्शन को सोमवार को मंदिर में आस्था का संगम देखने को मिलता है। श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर महादेव के दर्शन करते हैं। -कल्लू बाबा, पुजारी।
-खेरेश्वर मंदिर का पौराणिक महत्व है। यहां पर आने वाले प्रत्येक भक्त की मनोकामनाएं महादेव पूर्ण करते हैं। मंदिर में फल-फूल व पूजन की सामग्री मिल जाती है भक्तजन विधिवत पूजन कर सकते हैं। गंगा स्नान के बाद जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। -वीरेंद्र पुरी, पुजारी।