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    Sawan 2022: यहां उत्तर भारत का सबसे विशाल शिवलिंग का दावा, रहस्य और विशेषताओं से भरा है कानपुर का कैलाश मंदिर

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Thu, 28 Jul 2022 09:41 AM (IST)

    सावन के पावन पर्व पर हम आपके पास रोज कानपुर और आस-पास के शिवालय के बारे में रोचक जानकारियां और इतिहास लेकर आते हैं। आज हम आपको कानपुर शहर के शिवाला स्थित कैलाश मंदिर से जुड़े रहस्य और विशेषताओं को बताने जा रहे हैं।

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    शिवाला स्थित कैलाश मंदिर आस्था, रहस्य और विशेषताओं से भरा हुआ है।

    कानपुर। शहर के शिवाला क्षेत्र में स्थापित कई प्राचीन मंदिरों में जय बाबा कैलाशपति मंदिर जिसे भक्त कैलाश मंदिर के नाम से जानते हैं का विशेष महत्व है। शिवाला में स्थापित कई प्राचीन मंदिरों में से एक इस मंदिर का शिल्प भक्तों को आकर्षित करता है। यहां पर महादेव विशाल शिवलिंग के रूप में विराजमान है। शिवाला में ही दक्षिण भारतीय शैली का प्रयाग नारायण मंदिर और एकमात्र रावण का मंदिर भी स्थापित है। 

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    मंदिर का इतिहास: शिवाला स्थित कैलाश मंदिर आस्था, रहस्य और विशेषताओं से भरा हुआ है। मंदिर का निर्माण 1869 में हुआ। इसका शिवलिंग उन्नाव में तैयार कराया गया। सफेद संगमरमर से निर्मित इस मंदिर में सात फीट लंबा और पांच फीट ऊंचा शिवलिंग हैै। यानी यह उस दरवाजे से भी बड़ा है, जिस देवालय में इसे स्थापित किया गया है। शिवलिंग का व्यास इतना है कि दोनों हाथों से कोई अंगीकार नहीं कर सकता। ये उत्तर भारत के सबसे विशाल शिवलिंग में पहचाना जाता है। 151 साल पहले मंदिर का निर्माण महाराज गुरु प्रसाद शुक्ला ने कराया था। मान्यता है कि नियमित 21 सोमवार जल चढ़ाने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं।

    मंदिर की विशेषता : प्राचीन मंदिर परिसर में कई छोटे-छोटे मंदिर भी बने हैं। इसमें से दो मंदिरों में हनुमान और भैरव जी की मूर्तियां हैं, जो मूंगे से बनी हैं। मंदिर में गौरी-शंकर, गंगा-यमुना, ब्रह्मा-सरस्वती, जगन्नाथ, सुभद्रा व बलभद्र, राम-लक्ष्मण-जानकी, बद्रीनाथ की काली मूर्ति, गणेश-कार्तिकेय, भगवान लक्ष्मी नारायण आदि के भी मंदिर हैं। मंदिर में 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं। मान्यता है कि मुख्य दरवाजे से बड़ा शिवलिंग होने के कारण शंकराचार्य ने हवन शुरू कर दिया था। उसके बाद शिवलिंग स्वयं स्थापित हो गया था। 

    महादेव का पूजन करने के लिए देशभर से भक्त यहां पर आते हैं। महादेव भक्तों द्वारा अर्पित बेल पत्र और पुष्प से सुख होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। श्रावण मास में बाबा के जलाभिषेक के लिए भक्तों की कतार लगी रहती है। - आदित्य तिवारी, पुजारी। 

    प्राचीन शिवाला मंदिर का इतिहास भी अति प्राचीन है। श्रावण मास में हजारों की संख्या में भक्त विधिवत पूजन अर्चन करते हैं। महादेव के भव्य रूप के दर्शन करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। - श्रीकांत त्रिवेदी, सेवक।

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