असम का निवासी बता कानपुर में रह रहे रोहिंग्या, बस्ती में अनजान लोगों के पहुंचते ही सक्रिय हो जाता सूचना तंत्र
असम के निवासी बनकर शहर की बस्तियों में रहने वाले रोहिंग्या आंखों के इशारे समझने में माहिर होते हैं। अपनों के बीच में उनके चेहरा देखकर ही सवालों का जवाब देते हैं। जब तक उनके बीच रहने वाला हिंदी का जानकार नहीं आता तब तक चुप्पी साधे रहते हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर : असम के निवासी बनकर शहर की बस्तियों में रहने वाले रोहिंग्या आंखों के इशारे समझने में माहिर होते हैं। अपनों के बीच में उनके चेहरा देखकर ही सवालों का जवाब देते हैं। जब तक उनके बीच रहने वाला हिंदी का जानकार नहीं आता तब तक चुप्पी साधे रहते हैं। इस काम में इनकी मदद बच्चे भी करते हैं।
पहचान छिपा रह रहे रोहिंग्या
पहचान छिपाकर शहर की बस्तियों में रह रहे रोहिंग्या परिवारों की दैनिक जागरण ने पड़ताल की थी। बस्ती में जाते ही सूचना तंत्र चलाने वाले बच्चों ने वहां रहने वाले परिवारों को जानकारी दी। जैसे उन्हें पता था कि जागरण की टीम उनसे मूल निवास के बारे में ही पूछने पहुंची। घरों से निकले लोग हाथों में अपना आधार कार्ड लेकर बाहर निकले और दिखाने लगे।
अधिकतर पुरुष हिंदी भाषा समझते थे लेकिन एक भी महिला हिंदी नहीं जानती। बस्ती के लोग पूरी तरह से ट्रेंड थे। जागरण की टीम ने जब महिलाओं से बातचीत शुरू की तो एक भी सवाल का जवाब नहीं दे पाई। जितने समय इन महिलाओं से पूछताछ की, उतने समय बराबर कोई न कोई वहां मौजूद रहकर उन्हें आंखों से इशारे करता रहा। इशारा मिलने के बाद ही महिलाएं जवाब दे रही थीं।
आधार कार्डों का सत्यापन करा रही पुलिस
एसीपी कल्याणपुर विकास कुमार पांडेय ने बताया कि रोहिंग्या की आशंका पर बस्ती के लोगों के आधार कार्ड इंदिरा नगर चौकी प्रभारी ने जमा कराए थे। इन सभी आधार कार्डों का सत्यापन कराया जा रहा है, जिससे साफ होगा कि यह आधार कार्ड असली हैं या नकली। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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