यूपी में घुसपैठियों की तलाश में बंगाल बना रोड़ा, नहीं दे रहे रिकॉर्ड; दस्तावेजों की चल रही जांच
कानपुर में रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान के अभियान में बंगाल सरकार का असहयोग बाधा बन रहा है। एक हजार से अधिक लोगों की जांच में 117 संदिग्ध पाए गए हैं, जिनके दस्तावेजों में भिन्नता है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद शुरू हुए इस अभियान में बंगाल सरकार जानकारी देने में आनाकानी कर रही है। बड़ा चौराहे से पकड़ा गया रोहिंग्या अभी भी जेल में है, जबकि अन्य परिवारों को अवैध रूप से रहने के कारण हटाने की तैयारी है।

जागरण संवाददाता, कानपुर। आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन चुके बांग्लादेश व म्यांमार से आए रोहिंग्या घुसपैठियों को चिह्नित करने के अभियान में बंगाल रोड़ा बन गया है। बंगाल सरकार संदिग्धों के बारे में जानकारी देने में आनाकानी कर रही है, जिससे पुलिस किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रही है।
हालांकि खुद को असम, बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ का निवासी बता रहे शहर की 16 बस्तियों में रह रहे एक हजार से ज्यादा लोगों की जांच हुई है।
इनमें से 117 संदिग्ध पाए गए हैं, जिनके दस्तावेज सवालों के घेरे में हैं। इनकी जांच के लिए एक विशेष टीम सोमवार को बंगाल और असम के लिए रवाना हो गई। जबकि झारखंड सरकार से भी कुछ की नागरिकता के संबंध में जानकारी मांगी गई है।
दिल्ली बम धमाके के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घुसपैठियों की धड़पकड़ के लिए प्रदेश के सभी जिलों में अभियान के तहत उन्हें चिह्नित करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्हें रखने के लिए हर जिले के डीएम को अस्थायी डिटेंशन सेंटर स्थापित करने का भी कहा, जिससे घुसपैठियों को यहां रखकर उनके उनके देश में वापस भेजने की कार्यवाही कराई जा सके।
इसके बाद शहर में भी अभियान तेज कर दिया गया। एडीसीपी एलआइयू महेश कुमार ने बताया कि यहां 16 बस्तियों में असम, बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ का निवासी बता रहे करीब एक हजार लोगों के दस्तावेजों की जांच की जा रही है। इनके आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र देखे गए हैं।
इनकी भाषा व वेषभूषा को भी जांच का आधार बनाया गया है। उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी समस्या बंगाल से आ रही है। यहां के ढाई सौ लोग हैं, जिनकी जांच को वहां की सरकार से पत्राचार किया गया था, मगर अब तक चंद लोगों के ही बारे में बताया गया। राज्य सरकार सहयोग नहीं कर रही है।
वहीं एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक अब तक हुई जांच में 117 ऐसे लोग सामने आए हैं, जिनके दस्तावेजों के बारे में अलग-अलग एजेंसियों ने अलग-अलग रिपोर्ट दी है।
एक ही व्यक्ति के बारे में अलग-अलग जानकारियां सामने आने के बाद उन्हें अत्यंत संदिग्ध मानते हुए रडार पर ले लिया गया है। जांच के लिए एक विशेष दस्ता बंगाल और असम भेजा गया है। इनके वापस आते ही इनके खिलाफ आगे कोई कार्रवाई होगी।
बड़ा चौराहे से पकड़ा गया रोहिंग्या अब भी जेल में
बड़े चौराहे पर आटो चलाने के दौरान 20 मई की रात कोतवाली पुलिस ने म्यांमार के साइडुय मंगडो शहर कयंम डेंग सिद्दर फरा गांव के रहने वाले राेहिंग्या मो. साहिल को पकड़ा था।
वह वर्ष 2017 से परिवार के साथ शुक्लागंज के शक्तिनगर में रह रहा था।उन सभी के दस्तावेज पूर्व सभासद ने गलत तरह से बनवाए थे। कोतवाली पुलिस ने साहिल को जेल भेजा था। इसके बाद शुक्लागंज पुलिस ने उसके परिवार के सदस्यों को भी जेल भेजा था।
पुलिस लाइन के बगल में रहने वाले परिवार जांच में नहीं मिले रोहिंग्या
अधिकारियों ने पुलिस लाइन के बगल में लगभग 40 साल से रह रहे 20 परिवारों को रोहिंग्या होने की आशंका पर उनकी जांच कराई थी, जिनका सत्यापन हुआ, लेकिन जांच में उनमें से एक भी रोहिंग्या नहीं पाया गया, लेकिन जांच में सामने आया कि सभी अवैध रूप से रह रहे थे। अब उन सभी को वहां से हटवाने के लिए अधिकारी ने नगर निगम को पत्र भेजने की बात कही है।

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