सटीक सर्जरी में मददगार साबित हो रहा 'डॉ. रोबोट', चिकित्सकों और स्टाफ को रेडियेशन से देता है प्रोटेक्शन
कानपुर में डॉक्टरों का कहना है कि रोबोटिक सर्जरी और एआई ने ब्रेन और स्पाइन सर्जरी को और सटीक बना दिया है जिससे मरीज जल्दी ठीक हो रहे हैं। रोबोटिक तकनीक डॉक्टरों को रेडिएशन से भी बचाती है। दिल्ली के एक डॉक्टर ने बताया कि रोबोटिक हाथ 360 डिग्री घूम सकता है जिससे जटिल सर्जरी आसान हो जाती है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज जल्द ही रोबोटिक सर्जरी शुरू करेगा।

जागरण संवाददाता, कानपुर । मेडिकल साइंस में रोबोटिक सर्जरी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) का दौर सटीकता, शीघ्र परिणाम और जटिल से जटिल सर्जरी को सरल बना रहा है। रोबोटिक और एआइ सर्जन को अपग्रेड करके ब्रेन और स्पाइन की बड़ी सर्जरी 99.5 प्रतिशत सटीकता से कर रहा है।
जो चूक की गुंजाइश को लगभग समाप्त कर चार से पांच घंटे में मरीज को फिर से चलने-फिरने लायक बना रहा है। जबकि रुटीन सर्जरी में जहां मरीज की रिकवरी में कई सप्ताह का समय लगता है। रोबोटिक सर्जरी डाक्टर और आपरेशन थियेटर में उपस्थित स्टाफ को रेडियेशन से बचा रहा है।
स्टाफ के लिए भी फायदेमंद
यह मरीज के साथ डाक्टर और ओटी स्टाफ के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। यह बातें जीएसवीएम मेडिकल कालेज में पहली बार हुई न्यूरो-नेविगेशन रोबोटिक कार्यशाला में लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कालेज के न्यूरो सर्जरी विभाग के सर्जन डा. अवधेश यादव ने कही।
शनिवार को जीएसवीएम मेडिकल कालेज के आडिटोरियम में कैडेवर पर रोबोटिक सर्जरी का प्रशिक्षण देते हुए डा. अवधेश ने कहा कि रुटीन सर्जरी के दौरान सी आर्म का एक्स रेज रेडियेशन हड्डी, मांसपेशियों के कैंसर के साथ आस्टियोपोरेसिस का खतरा बना रहता है। इस खतरे को रोबोटिक सर्जरी खत्म कर रहा है।
जो नेविगेशन की मदद से ब्रेन और स्पाइन में हजारों नसों के गुच्छों के बीच छिपे ट्यूमर को सटीकता से निकालता है। रोबोटिक सर्जरी छोटे से छेद से स्क्रू को डालने, सर्जरी के दौरान खून के कम बहाव में उपयोगी साबित हो रहा है।
रोबोटिक हैंड क्यों है मददगार?
वहीं, दिल्ली मैक्स अस्पताल के आर्थोपेडिक सर्जन डा. जितेश मंगवानी ने कहा कि रोबोटिक सर्जरी से शरीर के किसी भी भाग में गहराई तक सटीकता से पहुंचा जा सकता है। सर्जन के हाथ में कंपन रहता है और 180 डिग्री से ज्यादा नहीं घूम सकता, लेकिन रोबोटिक हैंड बिना कंपन के 360 डिग्री घूम सकता है, इससे सर्जरी में बेहतर परिणाम सामने आते हैं। इसकी मदद से ब्रेन के ट्यूमर, स्पाइन के ढेड़ापन जैसी जटिलताओं दूर किया जा सकता है।
रुटीन सर्जरी में सात से आठ घंटे का समय लगता है, जो रोबोटिक बहुत कम समय में पूरा करता है। उन्होंने बताया कि रीढ़ की हड्डी में तिरछापन में रोबोटिक सर्जरी कराने के बाद कई बच्चे आज नेशनल स्तर के खिलाड़ी हैं। उन्होंने कहा कि रोबोटिक सर्जरी में एआइ के प्रयोग होने से सर्जरी की प्लानिंग सटीक होगी और सीटी स्कैन के साथ एमआरआइ आधारित सर्जरी की जा सकेगी।
दो से तीन महीने में शुरू होगी रोबोटिक सर्जरी
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने कहा कि इस कार्यशाला से जीएसवीएम में रोबोटिक सर्जरी शुरुआत हो गई है। रोबोट खरीदने की प्रक्रिया चल रह है। उम्मीद है दो से तीन महीने में जीएसवीएम रोबोटिक सर्जरी वाला मेडिकल कालेज बन जाएगा।
कार्यशाला का उद्घाटन विधायक नीलिमा कटियार, राहुल बच्चा सोनकर, प्राचार्य प्रो. संजय काला, उप प्राचार्य प्रो. रिचा गिरि, विभागाध्यक्ष प्रो. मनीष सिंह और वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डा. आइएन बाजपेयी ने दीप जलाकर किया।
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