बच्चों के साथ खेलेगा AI तकनीक से लैस रोबोट, हंसेगा और जिज्ञासा भी करेगा शांत
आइआइटी कानपुर के स्मार्ट मैटीरियल स्ट्रक्चर एंड सिस्टम लैब के प्रभारी प्रो. बिशाख भट्टाचार्य ने बताया कि बच्चों में अंतः क्रियाएं तेजी से परिवर्तित होती हैं। ऐसे में बच्चों से सामंजस्य स्थापित करने वाले रोबोट को बनाना चुनौतीपूर्ण कार्य है।

चंद्रप्रकाश द्विवेदी, कानपुर : जब संयुक्त परिवारों का चलन था तो बच्चे एक साथ मिलकर खेलते थे, बड़ों से बात करके जिज्ञासा शांत करने का प्रयास करते थे। अब बदले समय में एकल परिवार हैं और डिजिटल युग। बच्चों के साथी मोबाइल फोन और लैपटाप हो गए हैं। बच्चे वीडियो गेम के लती हो रहे हैं। ऐसे में आइआइटी कानपुर के विज्ञानी ऐसे रोबोट पर कार्य कर रहे हैं जो बच्चों का दोस्त साबित होगा, उनके साथ खेलेगा, हंसेगा और जिज्ञासा शांत कर उनके किताबी ज्ञान में अभिवृद्धि भी करेगा। संस्थान के मैकेनिकल इंजीनियरों की टीम इसका निर्माण कर रही है और इसे चाइल्ड रोबोट नाम दिया गया है।
विशेषज्ञ रोबोट में छह वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक की आयु के बच्चों व शैक्षिक स्तर को ध्यान में रखकर प्रोग्रामिंग तैयार कर रहे हैं, ताकि बच्चों की जिज्ञासा शांत करने के साथ उनके मनोभाव को समझ कर समधान भी दिया जा सके। यह रोबोट उन बच्चों का दोस्त साबित होगा जो एकल परिवारों में रहते हैं या जिनके अभिभावक नौकरी के लिए बाहर चले जाते हैं।
हंसने पर रोबोट भी हंसेगा
आइआइटी प्रशासन के मुताबिक यह रोबोट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) व मशीन लर्निंग जैसी अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित होगा। इस तकनीक से रोबोट बच्चों के साथ विभिन्न गतिविधियों में सहभागिता कर सकेगा। यानी बच्चा कोई प्रश्न पूछेगा तो रोबोट उसका उत्तर दे सकेगा। किसी बात पर हंसने पर रोबोट भी हंसेगा या नाराज होने पर समझाएगा। आइआइटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. बिशाख भट्टाचार्य ने बताया कि बच्चे और रोबोट के बीच होने वाले विभिन्न संपर्क सिद्धांतों पर काम किया जा रहा है। जिस तरह से मनुष्य अवचेतन रूप से अपने व्यवहार को ढाल लेता है, उसी तरह एआइ प्रणाली से बच्चे के साथ बातचीत के दौरान रोबोट खुद को सुचारू रूप से संचालित कर सकेगा। बातचीत के विभिन्न पैरामीटर की पहचान और इसे संचालित करने के लिए कुशल माडल तैयार किया जा रहा है।
विभिन्न आयुवर्ग के बच्चों के अनुसार बदलेगा रोबोट का व्यवहार
विशेषज्ञों ने बताया कि परियोजना का उद्देश्य विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों के साथ रोबोट की बातचीत को सुचारू बनाना है। रोबोट के भौतिक डिजाइन के साथ ही वह क्षमता जो उनकी बातचीत को बढ़ाती हैं, उस पर अध्ययन प्रोग्राम तैयार किया जा रहा है। रोबोट पूर्व-निर्धारित बातचीत को भी प्रोग्राम के जरिए संचालित करेगा। यही नहीं, इसमें प्रतिक्रिया को रिकार्ड किया जाएगा और निष्कर्ष निकालने के लिए अत्याधुनिक डेटा एनालिटिक्स टूल के साथ विश्लेषण भी किया जाएगा।
आइआइटी कानपुर के स्मार्ट मैटीरियल स्ट्रक्चर एंड सिस्टम लैब के प्रभारी प्रो. बिशाख भट्टाचार्य ने बताया कि बच्चों में अंतः क्रियाएं तेजी से परिवर्तित होती हैं। ऐसे में बच्चों से सामंजस्य स्थापित करने वाले रोबोट को बनाना चुनौतीपूर्ण कार्य है। रोबोट की प्रोग्रामिंग में विभिन्न पाठ्यक्रमों की विषयवस्तु से लेकर व्यवहार और संवेदनशीलता जैसे पैरामीटर को भी शामिल किया जा रहा है। अगले वर्ष तक इसके तैयार होने की उम्मीद है।
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