Road Safety : IIT की तकनीक और पुलिस की मेहनत से सुधरेगा कानुपर का ट्रैफिक, पढ़ें- पुलिस आयुक्त का इंटरव्यू
सुरक्षित यातयात अभियान के क्रम में दैनिक जागरण टीम ने कानपुर पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदण्ड से बातचीत को तो उन्होंने आइआइटी की तकनकी और पुलिस जवानों की मेहनत से बिगड़े हुए ट्रैफिक में सुधार लाने का दावा किया है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। दैनिक जागरण की ओर से सुरक्षित यातायात अभियान की पहल सराहनीय है। हाईवे, शहर की सड़कों व चौराहों पर जागरण की ओर से मिले सुझाव लागू कराएंगे। आइआइटी समेत तकनीकी संस्थानों, जिला प्रशासन के साथ मंथन, जन अपेक्षा, सहयोग व पुलिस की मेहनत से यातायात सुधारेंगे। जल्द बदलाव दिखेंगे। यातायात से जुड़े संबंधित विभागों व अधिकारियों के साथ एक दिसंबर को मंडलायुक्त की अध्यक्षता में बैठक होनी है, जिसमें जागरण के सुरक्षित यातायात से जुड़े मुद्दों पर गहनता से विमर्श करके धरातल पर उन्हें लागू कराया जाएगा। रविवार को ये बातें पुलिस आयुक्त बीपी जोगदण्ड ने कहीं। सुरक्षित यातायात के मुद्दे पर दैनिक जागरण टीम ने उनसे बात की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश...
- कमिश्नरेट प्रणाली के बाद भी सुरक्षित और सुव्यवस्थित यातायात की सुविधा क्यों नहीं मिल पा रही?
केवल पुलिस कमिश्नरेट बनने से यातायात व्यवस्था नहीं सुधर सकती। जाम खुलवाने और यातायात सुचारु चलाने के लिए कर्मचारियों की तैनाती की जाती है। यातायात माह के तहत प्रबुद्ध नागरिकों के साथ बैठक की गई थी। उनसे सुझाव भी लिए गए हैं और इस पर काम भी किया जा रहा है।
- जाजमऊ गंगापुल पर एक ट्रैफिक कंट्रोल टीम तैनात करने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका, क्यों?
जाजमऊ गंगापुल के पास ट्रैफिक आउट पोस्ट बना हुआ है। यहां अभी फोर्स तैनात नहीं हो सकी है। फिलहाल यातायात पुलिसकर्मियों और पुलिस रिस्पांस व्हीकल (पीआरवी) की तैनाती रहती है। जल्द ही आउट पोस्ट में यातायात पुलिस की टीम तैनात की जाएगी।
यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए अलग-अलग विशेषज्ञों की ओर से अध्ययन किया गया है। कई बैठकें भी अलग-अलग अधिकारियों की अध्यक्षता में की गईं। सभी की रिपोर्ट को एकत्र करके यातायात सुधारने के लिए वृहद खाका तैयार किया जा रहा है।
सभी विभागों को लेकर मंडलायुक्त की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में ये सभी मुद्दे उठाए जाएंगे। इसमें अन्य विभागों से भी सहयोग अपेक्षित है। इस पर बड़े स्तर पर कार्रवाई की जाएगी।
वीआइपी मूवमेंट में यह कंट्रोल रूम काफी मददगार साबित होता है। इसके अतिरिक्त यातायात पर निगरानी के लिए इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आइटीएमएस) और स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम भी हैं। जिनकी मदद से शहर के यातायात पर नजर रखने के साथ चालान की कार्रवाई भी की जाती है।
हाईवे पर पुलिस रिस्पांस व्हीकल (पीआरवी) विभिन्न जगहों पर तैनात रहती है। निर्धारित समयावधि के बाद इनकी लोकेशन बदलती जाती है। जाम लगने, हादसा होने पर समय से पीआरवी घटनास्थल पहुंचकर घायलों को अस्पताल पहुंचाने और जाम खुलवाने में मदद करती है।
आम धारणा है कि यातायात की समस्या सिर्फ पुलिस की समस्या है, लेकिन ट्रैफिक की व्यवस्था तभी सुचारु चल सकती है, जब चौड़ी सड़कें, ट्रैफिक सिग्नल, फ्लाईओवर समेत कई विभाग इसमें शामिल होते हैं। एक प्रगति यह हुई है कि मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एक वृहद कमेटी बनाई गई है। एक दिसंबर को बैठक है। सभी विभाग इस कमेटी में शामिल हैं। यातायात सुधारने के लिए जो विभागों से सहयोग अपेक्षित है उसे लिया जाएगा। आने वाले समय में हम जल्द ही यातायात व्यवस्था को सुधारने का काम करेंगे।
इसकी संभावनाएं बहुत कम हैं कि वाहन घर से निकला नहीं और चालान हो गया। फिर भी अगर कोई इस बारे में शिकायत करता है तो उसकी समस्या का समाधान कराया जाता है।
शीघ्र ही चौराहों पर स्मार्टनेस नजर आएगी। सिर्फ ट्रैफिक आरक्षी की तैनाती से ही चौराहे स्मार्ट नहीं हो जाएंगे। इसमें कई अभियांत्रिकी पहलू भी हैं। उन सबको एकत्रित करके व्यवस्था को सुधारने का काम किया जा रहा है। जल्द चौराहों पर बदलाव देखने को मिलेगा।
कई बार इस दायरे का पालन कड़ाई से कराया जा चुका है। ट्रैफिक व्यवस्था तभी दुरुस्त हो सकती है कि जब जनमानस का सहयोग मिले। इसे चालान के माध्यम से पटरी पर लाने के प्रयास किए गए हैं, लेकिन व्यवस्था नहीं सुधरी है। जल्द ही कड़ाई से इसका पालन कराया जाएगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।