Retired Inspector Case : आवाज और डीएनए टेस्टिंग के लिए अदालत पहुंची पुलिस
महानगर के कई थानों में इंस्पेक्टर रहे दिनेश कुमार त्रिपाठी पर पिछले दिनों उसके ही आवास पर रहने वाले केयर टेकर ने अपनी 11 साल की बेटी के साथ दुष्कर्म का आरोप लगाया था। मामले में आरोपित रिटायर्ड इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

कानपुर, जेएनएन। बच्ची से दुष्कर्म के आरोपित इंस्पेक्टर दिनेश कुमार त्रिपाठी की मुसीबतें बढ़ गई हैं। चकेरी पुलिस उसकी आवाज और डीएनए टेस्ट के लिए अदालत पहुंच गई है। पुलिस ने पाक्सो एक्ट की धारा भी बदल दी है। इस स्थिति में अब वह अदालत में दोषी करार होता है तो कम से कम 20 साल की सजा होगी।
महानगर के कई थानों में इंस्पेक्टर रहे दिनेश कुमार त्रिपाठी पर पिछले दिनों उसके ही आवास पर रहने वाले केयर टेकर ने अपनी 11 साल की बेटी के साथ दुष्कर्म का आरोप लगाया था। मामले में आरोपित रिटायर्ड इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। पुलिस ने आरोपित के मोबाइल से एक आडियो क्लिप भी बरामद की थी, जिसमें वह खुद अपना गुनाह कुबूल करते माफी मांग रहा था। चकेरी थाने के इंस्पेक्टर विवेचना अमित भड़ाना इस मामले की जांच कर रहे हैं। विवेचक ने अदालत में अब एक याचिका दायर करते हुए अनुरोध किया है कि आडियो रिकार्डिग में मौजूद आवाज का आरोपित की आवाज से वैज्ञानिक मिलान कराया जाए, ताकि पुख्ता साक्ष्य मिल सके। अब तक यही माना जाता रहा है, आवाज का नमूना देने के लिए आरोपित की सहमति जरूरी है। मगर, विवेचक ने दो अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के दिए एक फैसले से स्थानीय कोर्ट को अवगत कराया है, जिसमें आपराधिक मामले में आरोपित को आवाज का नमूना देने का आदेश दिया गया था।
एक और बड़ी कार्रवाई पुलिस की ओर से की गई है। गौरतलब है कि बच्ची की उम्र पहले 14 वर्ष बताई गई थी, लेकिन बाद में उम्र 11 साल निकली। पूर्व में पुलिस ने पाक्सो एक्ट की धारा 3/4 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसके तहत दोषी पाए जाने पर रिटायर्ड इंस्पेक्टर को कम से कम 10 साल की सजा या अजीवन कारावास के साथ जुर्माना भरना पड़ता। मगर, पुलिस ने अब पाक्सो एक्ट की धारा 3/4 को 5एलएम/6 में तरमीम कर दिया गया है। यह धारा तब लगाई जाती है जब पीडि़ता की उम्र 12 से कम हो और बार-बार अपराध किया गया हो। इसके तहत दोषी पाए जाने पर रिटायर्ड इंस्पेक्टर को कम से कम 20 साल की सजा और अधिकतम जीवन की अंतिम सांस तक जेल में रहना पड़ सकता है।
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