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    अल्सरेटिव कोलाइटिस की नई दवा के असर पर रिसर्च, जीएसवीएम मेडिकल कालेज समेत देश के 12 सेंटरों पर थर्ड फेज ट्रायल

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Mon, 08 Aug 2022 11:52 AM (IST)

    जीएसवीएम मेडिकल कालेज और देश के 12 सेंटरों पर अल्सरेटिव कोलाइटिस की नई दवा के असर पर रिसर्च जारी है। थर्ड फेज के ट्रायल में देश भर से 303 मरीज शामिल किए जाएंगे जिसमें जीएसवीएम से 25 मरीज शामिल होंगे।

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    जीएसवीएम मेडिकल कालेज में थर्ड फेज ट्रायल के लिए मरीज चिह्नित किए गए हैं।

    कानपुर, ऋषि दीक्षित। अल्सरेटिव कोलाइटिस यानी मलद्वार से लेकर बड़ी आंत में छाले पड़ने से होने वाली सूजन गंभीर समस्या है। उसकी कोई कारगर दवा न होने से विशेषज्ञ डाक्टर स्टेरायड व अन्य दवाएं देते हैं, जिसके तमाम दुष्प्रभाव है। इसलिए अल्सरेटिव कोलाइटिस की एनीमा टेबलेट के रूप में नई दवा तैयार की गई है।

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    दवा के असर और दुष्प्रभाव जानने को भारत सरकार के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआइ) के निर्देशन में देश के 12 सरकारी और निजी सेंटरों पर रिसर्च चल रहा है, जिसमें उत्तर प्रदेश के दो सेंटर, जीएसवीएम मेडिकल कालेज और वाराणसी का निजी अस्पताल है।

    अल्सरेटिव कोलाइटिस गुर्दा मार्ग से लेकर बड़ी आंत की गंभीर समस्या है, लेकिन इसके शुरुआती लक्षण बवासीर की तरह होते हैं। इसलिए मरीजों का लंबे समय तक गलत इलाज चलता रहता है। इस वजह से समस्या गंभीर होती जाती है।

    इसके इलाज की अभी कोई कारगर दवा नहीं थी, इसलिए अंदर की तरफ घाव और छाले होने पर स्टेरायड की टेबलेट दी जाती हैं। इसके अलावा ग्रेन्युवल और एनीमा दिया जाता है। दवाएं खाने से उसके मालिक्यूल का प्रभाव पूरे शरीर में होता है। इसलिए दवा धीरे-धीरे असर करती हैं, जिससे इलाज लंबा चलता है।

    तीन महीने में 15 मरीज पंजीकृत

    नई दवा एनीमा टेबलेट के रूप में तैयार की गई है। इसके दो चरण के ट्रायल हो चुके हैं। तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए डीसीजीआइ से अनुमति मिलने के बाद देश के 12 सेंटरों पर रिसर्च शुरू है, जिसमें 303 मरीजों पर दवा का इस्तेमाल कर उसका प्रभाव देखा जाएगा।

    जीएसवीएमएमसी में 25 मरीज शामिल किए जाएंगे, उसमें से 15 पंजीकृत हो चुके हैं। पंजीकरण से पहले उनकी कोलोनोस्कोपी जांच की जाती है। उसके बाद दवा शुरू की जाती है, नई दवा का 28 दिन का पूरा कोर्स है। इसके लिए मरीजों को हर सप्ताह बुलाया जाता है। कोर्स पूरा होने के बाद दोबारा कोलोनोस्कोपी जांच की जाती है।

    इन सेंटरों पर चल रहा रिसर्च : एम्स दिल्ली, पीजीआइ चंडीगढ़, जीएसवीएम मेडिकल कालेज, वाराणसी का निजी अस्पताल, आठ सेंटर दक्षिण भारत के हैं।

    रिसर्च के अहम बिंदू

    28 दिन का होगा नई दवा का पूरा कोर्स।

    07 दिन के लिए वालेंटियर्स को देंगे दवा।

    02 बार होगी मरीजों की कोलोनोस्कोपी जांच।

    01 डायरी दवा शुरू होते ही वालेंटियर्स को दी जाएगी।

    दवा का हर प्रभाव व दुष्प्रभाव डायरी पर लिखना होगा।

    -अल्सरेटिव कोलाइटिस की नई दवा एनीमा टेबलेट के रूप में है। इस दवा काे रात में मल द्वार मार्ग में रखकर वालेंटियर्स को सो जाना है। इस दवा का पूरा कोर्स 28 दिन का है।दवा शुरू करने से पहले और बाद में मरीज की कोलोनोस्कोपी समेत सभी जांच कराई जाएगी। कोर्स पूरा होने के उपरांत भी सभी जांच कराई जाएगी।उसकी रिपोर्ट डीजीसीआइ को भेजी जाएगी। -डा. विनय सचान, असिस्टेंट प्रोफेसर, गैस्ट्रोइंटोलाजी एवं रिसर्च ट्रायल के चीफ गाइड, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।