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UP Conversion Case: मूक बधिर आदित्य कैसे बन गया अब्दुल कादिर, मां और पिता ने बयां की पूरी कहानी

नोएडा आतंवाद निरोधक दस्ता ने मतांतरण कराने वाले बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है इसमें कानपुर का आदित्य भी अब्दुल बनकर रह रहा था। पिछले साल लाकडाउन के दौरान केरल के चरमपंथियों के संपर्क में आकर मतांतरण के लिए मन बदल लिया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 07:54 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 07:18 PM (IST)
UP Conversion Case: मूक बधिर आदित्य कैसे बन गया अब्दुल कादिर, मां और पिता ने बयां की पूरी कहानी
अब्दुल कादिर बनकर रह रहा था कानपुर का आदित्य गुप्ता।

कानपुर, जेएनएन। मतांतरण करने के जिस बड़े गिरोह का पर्दाफाश नोएडा आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने किया है, उसने काकादेव के नवीन नगर पी ब्लाक के मूक-बधिर युवक आदित्य गुप्ता को भी अपने चंगुल में फंसा लिया था। आदित्य तीन माह से अधिक समय से घर से गायब था, लेकिन अचानक रविवार को घर वापस लौट आया। हालांकि, वह ज्यादा कुछ बता नहीं रहा है, लेकिन उसके माता-पिता ने बेटे के अब्दुल कादिर बनने की जो कहानी साझा की, वह बेहद सनसनीखेज है।

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करीब 24 साल का आदित्य बचपन से ही मूक-बधिर है। वह स्नातक की पढ़ाई कर रहा है। पिता राकेश कुमार गुप्ता वकील हैं और मां लक्ष्मी गुप्ता ज्योति मूक बधिर विद्यालय बिठूर में शिक्षिका हैं। मां ने बेटे को देखते हुए मूक-बधिरों की भाषा सीखने का फैसला लिया, ताकि उसके साथ वह भावनात्मक रूप से जुड़ी रहें। परिवार में आदित्य सहित दो बेटे और एक बेटी है। मार्च, 2020 में जब लाकडाउन लगा और आदित्य घर पर ही रहने लगा तो वह वाट्सएप वीडियो काल से मूक-बधिर बच्चों से संपर्क करने लगा। धीरे-धीरे मोबाइल ही उसका साथी हो गया। कई बार वह रात को चुपके से घर से बाहर बातें करने चला जाता। पूछा तो बताया कि उसने मोबाइल पर इंडोनेशिया, जापान, चीन और यूएसए के बच्चों से दोस्ती कर ली है। तब तक उन्हेंं कुछ भी पता नहीं था।

रमजान के महीने में बेटे ने छोड़ा खाना-पीना

इसके बाद रमजान का महीना शुरू हुआ तो देखा कि बेटे ने खाना-पीना छोड़ दिया है। सूर्यास्त के बाद खाना खाता है। तब पहली बार शक हुआ। पूछने पर बड़ी चालाकी से आदित्य ने बताया कि वह प्रेक्टिकल कर रहा है कि क्या वह भी ऐसा कर सकता है। इसी दौरान सामने आया कि वह उर्दू भी सीख रहा है। उन्होंने उसका मोबाइल खंगालना शुरू कर दिया। जिन नंबरों से वाट्सएप काल करता था, उनके बारे में ट्रू कालर से खंगाला तो पता चला कि वह केरल के लोगों के संपर्क में है। वह वहां के मुस्लिम चरमपंथियों के बारे में मीडिया में पढ़ती व सुनती थीं, इसलिए चिंता हुई। आदित्य पर निगाह रखनी शुरू की तो मुस्लिम मत के प्रति उसका झुकाव सामने आया। दिन में पांच वक्त नमाज अदा करता था।

नोएडा से आया था एक शिक्षक

जब कड़ाई से पूछताछ हुई तो उसने स्वीकारा कि वह मुस्लिम धर्म अपनाना चाहता है। मां ने बताया कि बेटे के पास नोएडा डीफ सोसाइटी का एक शिक्षक आया था। वह बच्चों को मुस्लिम मत के बारे में बताया था, जिसकी शिकायत हुई। संभव है, वहीं से उसके मन में इस ओर रुझान बढ़ा। चार साल पहले चमनगंज निवासी मूक-बधिर मुस्लिम दोस्त के संपर्क में आने के बाद भी उसका मन बदला। 10 मार्च को अपने शैक्षिक दस्तावेज और कुछ कपड़े लेकर वह घर से गायब हो गया। कुछ दिनों पहले फेसबुक मैसेंजर के जरिए उससे बातचीत हुई और 20 जून सुबह नौ बजे अचानक अपना सामान लेकर घर आ गया, तब पता चला कि वह केरल में रहा।

बेटा चरमपंथियों के चंगुल में है, की थी शिकायत

पिता ने बताया कि उन्होंने अक्टूबर, 2020 को आदित्य से मोबाइल छीन लिया और सिम तोड़कर फेंक दिया। इस प्रकरण में केरल के चरमपंथी जुड़े हुए थे, इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय, एसएसपी कार्यालय, कल्याणपुर थाने में भी शिकायत दर्ज कराई। बताया कि उनका बेटा मुस्लिम चरमपंथियों के चंगुल में फंसा है। कल्याणपुर पुलिस ने बेटे और उनको बुलाया। उन्होंने डराया धमकाया तो बेटे ने भी सुधरने का वादा कर लिया। इसके बाद उन्होंने उसे दोबारा से फोन दे दिया। कुछ दिनों में ही आदित्य पुराने साथियों के साथ फिर जुड़ गया। उसके लापता होने के बाद भी मां ने कल्याणपुर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई, लेकिन कानपुर पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

वाट्सएप पर किया ब्रेनवाश

मां के मुताबिक, आदित्य 10 मार्च को घर छोड़ कर गया तो मोबाइल घर पर रख गया था। हालांकि, उसने सारा डाटा डिलीट कर दिया था, मगर टेलीग्राम की वीडियो कालिंग की हिस्ट्री डिलीट नहीं थी। उससे ही उन्हेंं कुछ वीडियो और मोबाइल नंबर प्राप्त हुए। इससे साफ हुआ कि चरमपंथियों ने आदित्य का खूब ब्रेनवाश किया। मतांतरण का प्रमाणपत्र भी मिला, जो 14 जनवरी, 2021 को इस्लामिक दावाह सेंटर से जारी हुआ था। इसी से पता चला कि उसने अपना नाम बदलकर अब्दुल कादिर रख लिया है। मां ने बताया, आदित्य उनकी बीमारी की बात सुनकर लौटा है। आदित्य भले ही घर लौट आया है, लेकिन उसकी चाल-ढाल अभी भी संदिग्ध है। रविवार रात जब पूरा घर सो रहा था तो आदित्य ने मां का मोबाइल लिया और अपने से जुड़ा सारा डाटा डिलीट कर दिया। मोबाइल पर आदित्य के कई चरमपंथी साथियों के नंबर, फोटोग्राफ, वाट्सएप चैटिंग के स्क्रीन शाट, वीडियो थे।

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बाहरी फंडिंग के भी मिले सुबूत

राकेश गुप्ता और लक्ष्मी गुप्ता ने जो दस्तावेज कल्याणपुर पुलिस को दिए थे, उसमें बाहरी फंडिंग के भी सुबूत थे। पुलिस ने कुछ अकाउंट भी चेक किए थे, मगर आगे की कडिय़ां जोडऩे में नाकाम रही और यही काम एटीएस ने आसानी से कर लिया।

  • मामला सामने आया है। आदित्य से पुलिस पूछताछ करके और ब्योरा जुटाने का प्रयास करेगी। -असीम अरुण, पुलिस आयुक्त।

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