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    दीपावली से पहले ही रिफाइंड तेल कंपनियों ने कर दिया खेल, ग्राहकों को लग रहा बड़ा झटका

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 06:40 AM (IST)

    दीपावली से पहले रिफाइंड तेल कंपनियों ने खेल कर दिया है। पहले 910 ग्राम के पाउच बेच रहीं कंपनियाँ अब 840 830 व 750 ग्राम के पाउच बेच रही हैं। कंपनियों ने रिफाइंड तेल की मात्रा तो कम कर दी लेकिन कीमतें नहीं घटाईं जिससे ग्राहकों को बड़ा झटका लगा है। ग्राहकों को लगभग 910 ग्राम के पाउच जितना ही मूल्य चुकाना पड़ रहा है।

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    दीपावली से पहले ही रिफाइंड तेल कंपनियों ने कर दिया खेल, ग्राहकों को लग रहा बड़ा झटका लगा

    राजीव सक्सेना, कानपुर। त्योहार के मौके पर ही रिफाइंड तेल निर्माता कंपनियों ने खेल कर दिया है। अब तक 910 ग्राम का पाउच बनाकर बाजार में बेच रहीं कंपनियों ने 840 ग्राम, 830 ग्राम व 750 ग्राम के पाउच उतार दिए हैं। 

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    कंपनियों ने जितना माल कम किया, उतनी कीमत नहीं घटाई। इससे ग्राहकों को बड़ा झटका लगा है। उन्हें लगभग 910 ग्राम के पाउच जितना ही मूल्य चुकाना पड़ रहा है। रिफाइंड कंपनियों के बाजार में उपलब्ध पाउचों में 910 ग्राम माल नवरात्र से पहले तक था, यही पाउच पर भी लिखा था। 

    कारण, एक लीटर का वजन 910 ग्राम होता है। सामान्य तौर पर 910 ग्राम के पाउच को फुटकर विक्रेता को 133-134 रुपये में बेचा जा रहा था और वे इसे ग्राहक को 140 से 145 रुपये में बेचते थे। 

    कुछ कंपनियां 127 रुपये में फुटकर दुकानदार को बेच रही थीं, जो 140 रुपये में ग्राहक को मिल रहा था। नवरात्र की शुरुआत के आसपास से कंपनियों ने पाउच में रिफाइंड तेल की मात्रा कम कर दी। 

    बाजार में अधिक रिफाइंड बेचने वाली एक कंपनी ने 840 ग्राम वजन कर दिया है व फुटकर दुकानदार को 133 रुपये की जगह 122 रुपये में दे रही है। हालांकि, फुटकर दुकानदार 840 ग्राम के इस पाउच को भी पहले की ही तरह 135-140 रुपये तक में बेच रहे हैं। 

    ऐसे ही एक अन्य प्रमुख कंपनी का पाउच 830 ग्राम का है। दुकानदारों को यह 127 रुपये की जगह 122 रुपये में मिल रहा, जबकि ग्राहक को पहले जैसे ही 140 रुपये में ही दिया जा रहा है। 

    एक बड़ी कंपनी का पाउच तो मात्र 750 ग्राम का है। 160 ग्राम तेल कम करने के बाद भी कंपनी ने 10 रुपये ही घटाए हैं। 910 ग्राम का पाउच 133 रुपये में दुकानदार को देती थी व अब 750 ग्राम का पाउच 123 रुपये दे रही है। 

    ग्राहकों को यह 160 ग्राम कम होने के बाद भी 140 रुपये का ही मिल रहा है। इससे साफ है कि कंपनी पहले से ज्यादा लाभ कमा रही व दुकानदार भी, लेकिन ग्राहक नुकसान में हैं। 

    बस्तियों की छोटी दुकानों में तो ग्राहकों को पाउच का वजन कम होने की भी जानकारी नहीं है। कारण, देखने में वे लगभग पहले जैसे ही लगते हैं। 

    फुटकर दुकानदार राजेश शुक्ला के मुताबिक, सरकार इस पर नियंत्रण करे। कंपनियों को यह अधिकार नहीं होना चाहिए कि वे जिस भार के चाहें, वैसे पाउच बना लें। अभी तक एक ही भार वर्ग होने से ग्राहक उसके भाव के आधार पर समझ जाता था कि कौन सा पाउच सस्ता या महंगा है।