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    Kanpur News: कानपुर से पद्मश्री के लिए इन दो लोगों के नाम की संस्तुति, एक कला प्रेमी तो दूसरे समाजसेवी

    By Ashutosh Mishra Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Tue, 12 Aug 2025 06:52 PM (IST)

    पद्मश्री सम्मान के लिए कानपुर से दो नाम की संस्तुति की गई है। डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह ने धनीराम और रंजीत को पद्मश्री देने की संस्तुति की है। रंजीत सिंह ताम्र पत्रों पर जीवंत चित्र उकेरते हुए कला को जीवित रखे हैं। वहीं धनीराम लावारिस शवों का दाह संस्कार करते हैं।

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    नीराम और रंजीत को पद्मश्री देने की संस्तुति।

    जागरण संवाददाता, कानपुर। पद्म पुरस्कार 2026 के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए जिलों से नाम भेजे जा रहे हैं। कानपुर से दो नामों की संस्तुति की गई है। इसमें एक कला जगत से तो दूसरे समाजसेवी हैं। जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने लावारिस शवों का दाह संस्कार करने वाले धनीराम पैंथर को विशिष्ट सेवा और ताम्रपत्र पर चित्र उकेरने में रंजीत सिंह को विशिष्ट कला के लिए पद्मश्री पुरस्कार की संस्तुति की है।

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    धनीराम पैंथर लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करने का अभियान चलाते हैं। वह यह काम कई वर्षों से कर रहे हैं। अब तक हजारों लावारिश शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। 83 वर्षीय रंजीत सिंह ताम्र पत्रों पर जीवंत चित्र उकेरते है। उन्होंने अभी तक अयोध्या के राम मंदिर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई महानुभावों और ऐतिहासिक पलों के चित्र ताम पत्र पर उकेरे है। जिलाधिकारी का कहना है कि दोनों को पद्मश्री पुरस्कार देने की संस्तुति की है। हालांकि पद्मश्री मिलने की प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल होती है। पूरे देश से हजारों नाम भेजे जाते है। उनमें से चुनिंदा लोगों को पद्मश्री दिया जाता है।

    धनीराम पैंथर

    धनीराम पैंथर लावारिश शवों को लेकर फूलों की वर्षा करते हुए अंतिम संस्कार करते हैं। वह वर्ष 2009 से यह अभियान चला रहे हैं। शहर और कानपुर देहात में अब तक 16000 लावारिस शवों का ससम्मान अंतिम संस्कार करवा चुके हैं। 1500 जरूरतमंद बेटियों की शादी भी करवाई है। लावारिस शवों के ससम्मान अंतिम संस्कार की एक मुहिम शुरू की, जो कानपुर नगर और देहात में आज तक चल रही है। धनीराम का कहना है कि वह समाज के हर वर्ग का सहयोग मांगकर अपनी इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं जिसमें हर धर्म और हर वर्ग का सहयोग मिल रहा है।

    रंजीत सिंह

    यह शख्सियत हैं मूलरूप से राजस्थान के निवासी और एक सितंबर, 1944 को आगरा में जन्मे रंजीत सिंह। वह जब छह साल के थे, तभी पारिवारिक परिस्थितियों के कारण उनका परिवार कानपुर आ गया था। वह तांबा, सोना-चांदी, जस्ता और रांगा (पंचरत्नी) पर किसी की भी कल्पनाएं उकेरने में माहिर हैं। संसद भवन, ऐतिहासिक स्थलों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, 1857 संग्राम के वीरों के चित्रों के साथ ताम्रपत्र तैयार चुके हैं। मारीशस से लेकर देश की बड़ी हस्तियों को उनके निर्मित ताम्रपत्र दिए जा चुके हैं। उनकी हस्तशिल्प कला, ताम्रपत्र के माध्यम से हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार को लेकर उन्हें कई पुरस्कार भी मिले हैं। रंजीत सिंह मांग के अनुरूप विभिन्न खेलों में जीतने वाले प्रतिभागियों को दिए जाने वाले मेडल भी बना देते हैं। मर्चेंट्स चैंबर, जीएसवीएम मेडिकल कालेज के स्वर्ण जयंती पर उनके लिए भी मेडल बनाये। आइआइटी कानपुर के दीक्षा समारोह के लिए भी मेडल तैयार कर चुके हैं।