जन वितरण प्रणाली सुधारने को छपरा के रामायण प्रसाद साइकिल से निकल पड़े दिल्ली की ओर
सरकारी विभागों के अधिकारी कर्मचारी और मातहत काम करने वाले संगठन व संस्थाएं अक्सर अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से नहीं निभाती हैं। इसका सीधा असर आम आदमी के जीवन पर पड़ता है। अक्सर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं।

कानपुर, जेएनएन। सरकारी विभागों के अधिकारी, कर्मचारी और उनके मातहत काम करने वाले संगठन व संस्थाएं अक्सर अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से नहीं निभाती हैं। इसका सीधा असर आम आदमी के जीवन पर पड़ता है। अक्सर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन जब कोई इसके खिलाफ खड़ा होता है तो चर्चा शुरू हो जाती है। ऐसी की एक चर्चा रामायण प्रसाद चौरसिया के साथ छपरा के भैरोपुर गांव से शुरू होकर कानपुर होते हुए दिल्ली पहुंचने वाली है। जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) से असंतुष्ट यह शख्स साइकिल से दिल्ली के लिए 21 दिसंबर को निकला था। वह दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री से पीडीएस सिस्टम की जमीनी हकीकत से रूबरू कराएंगे।
बिहार के छपरा जिले के गांव भैरोपुर के रामायण प्रसाद चौरसिया आजकल फेसबुक और वाट्सअप पर चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि गांव के रामायण प्रसाद चौरसिया कड़ाके की सर्दी में साइकिल से दिल्ली कूच कर गए हैं। फोन पर हुई बातचीत में रामायण बताते हैं कि गांव में कई कोटेदार हैं। एक यूनिट पर पांच किग्रा (तीन किग्रा गेहू, दो किग्रा चावल) देने की योजना सरकार ने बनाई है लेकिन कोटेदार दो किग्रा गेहूं और दो किग्रा चावल देता है। गेहूं दो रूपये प्रति किग्रा जबकि चावल तीन रुपये प्रति किग्रा की दर से मिलना चाहिए लेकिन कोटेदार इसके लिए छह रुपये प्रति किलो की दर से 24 रुपये लेते हैं। कोटेदारों की इस मनमानी का उन्होंने विरोध किया। जब कोई सुधार नहीं हुआ तो उन्होंने बिहार सरकार को चार बार पत्र और एक बार ईमेल भेजा। जिलाधिकारी और ब्लाक के अफसरों से भी शिकायत की। किसी ने सुनवाई नहीं की तो उन्होंने साइकिल उठायी और प्रधानमंत्री को पीडीएस के इस भ्रष्टाचार की कहानी सुनाने निकल पड़े। रामायण प्रसाद कहते हैं कि उन्हेंं ग्रामीणों का पूरा साथ मिल रहा है। हर दिन फोन पर उनसे बात होती है। जहां से गुजरते हैं वहां भी लोग सहयोग कर रहे हैं। अब दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को बताएंगे ताकि वितरण व्यवस्था पारदर्शी बने और कोई कोटेदार जनता का एक दाना न मार सके।
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