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    Premanand Maharaj: संत प्रेमानंद ने बचपन में जहां लगाया ध्यान, वहां बन रहा राधारानी का मंदिर; ये है लोकेशन

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 08:16 PM (IST)

    कानपुर के सैंमसी गाँव में वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज के बचपन की साधना स्थली पर राधारानी का भव्य मंदिर बनने जा रहा है। जहाँ महाराज ने चार वर्ष तक साधना की उस भूमि को धर्मस्थली के रूप में विकसित किया जा रहा है। ग्रामीणों के सहयोग से देवरा माता मंदिर ट्रस्ट का गठन हुआ है और मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है

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    प्रेमानंद महाराज ने बचपन में जहां लगाया ध्यान, वहां बन रहा राधारानी का मंदिर

    रितेश द्विवेदी, कानपुर। वृंदावन के श्री हित राधा केलि कुंज आश्रम के संत प्रेमानंद महाराज की बाल्यकाल की साधना स्थली पर अब राधारानी का भव्य मंदिर बन रहा है। सरसौल ब्लाक के सैंमसी गांव स्थित देवरा माता मंदिर में जहां चार साल तक प्रेमानंद महाराज ने आराधना की थी, अब उसी भूमि को धर्मस्थली के रूप में विकसित करने का कार्य शुरू हो गया है। मंदिर निर्माण की सूचना से पूरे क्षेत्र में भक्ति और उत्साह का वातावरण बन गया है।

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    सैंमसी गांव के पूर्व प्रधान विष्णुदत्त अवस्थी उर्फ मुन्ना भैया ने बताया कि करीब 13 वर्ष की उम्र में प्रेमानंद महाराज नरवल के अखरी गांव से निकलने के बाद किनारे स्थित देवरा माता मंदिर में आकर रुके थे। यहां उन्हें महंत गणेशानंद स्वामी का सान्निध्य मिला। गांव के लोगों ने उन्हें अपनाया, सेवा की और प्रेमभाव से जुड़े रहे। चार साल की साधना के बाद वह वाराणसी और वृंदावन में रहने लगे।

    पूर्व प्रधान ने दावा किया है कि अब महाराज जी ने वर्षों बाद उसी स्थान पर मंदिर निर्माण की मंशा जताई है। बीते एक जुलाई उनके मोबाइल पर वृंदावन स्थित केलिकुंज आश्रम से काल आया था। मोबाइल पर महाराज से बातचीत होन के बाद दो जुलाई को परिवार के सदस्यों और गांव के लोगों के साथ ही करीब 20 लोग वृंदावन स्थित आश्रम में महाराज जी से मिलने गए थे। वहां उन्होंने पूर्व प्रधान से एकांत में बातचीत कर राधारानी का मंदिर बनवाने की इच्छा जताई। वहां से लौटने के बाद पूर्व प्रधान ने देवरा माता मंदिर ट्रस्ट का गठन किया। इसके साथ ही बुधवार को ट्रस्ट के नाम पर सवा बीघा जमीन की रजिस्ट्री भी कराई गई।

    मंदिर निर्माण की शुरुआत होते ही श्रद्धालु निर्माण के लिए ईंट, गिट्टी, मौरंग ट्रैक्टरों से मंदिर स्थल तक पहुंचा रहे हैं। गांव में भक्तों का उत्साह इस कदर है कि लोग अपनी ओर से तन-मन-धन से सेवा में जुट गए हैं। कई श्रद्धालु इसे महाराज जी की कृपा मानते हैं। प्रेमानंद महाराज के बचपन के साधना स्थल को लेकर आस-पास के गांव में रहने वाले भक्तों में गहरी श्रद्धा है।

    स्थानीय लोगों का कहना है कि जब प्रेमानंद महाराज ने अपने बचपन की भूमि को फिर से पूजास्थली बनाने इच्छा व्यक्त की है तो यह क्षेत्र के लिए सौभाग्य की बात है। गांव में यह विश्वास पनप रहा है कि आने वाले समय में यह मंदिर क्षेत्र को नई धार्मिक पहचान और विकास की दिशा देगा।

    पूर्व प्रधान के अनुसार ट्रस्ट के नाम पर जमीन की कराई गई रजिस्ट्री की सूचना भी महाराज जी को दी गई है। वहीं प्रेमानंद महाराज जी के सहयोगी नवल नागरी महाराज से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि इस निर्माण का आश्रम या महाराज जी से कोई लेना-देना नहीं हैं। इससे ज्यादा उन्होंने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।