Kanpur News: मोतीझील को बचाने मार्निंग वाकर्स ग्रुप ने खोला मोर्चा, अब नहीं बनने देंगे पेट डाक पार्क
तुलसी उपवन मोतीझील में पेट डाग पार्क बनने से पहले ही विरोध शुरू हो गया है। मार्निंग वाकरों ने आक्रोश जताया है। नगर निगम ने पहले ही हरे भरे उपवन में कंक्रीट के जंगल बनाकर कर हरियाली की कम कर दी है। चार साल में पार्क में मेट्रो स्टेशन बनाया। रामायण थीम पार्क व वरिष्ठ नागरिक सुविधा केंद्र बनाया।

जागरण संवाददाता, कानपुर। मोतीझील तुलसी उपवन में नगर निगम द्वारा पेट डाग पार्क का बनाने से पहले ही विरोध शुरू हो गया है। मार्निंग वाकरों ने पेट डाग पार्क का विरोध किया है। उनका कहना है कि पहले ही पर्यटक हब बनाने के चक्कर में नगर निगम ने तुलसी उपवन पार्क को छोटा कर दिया है।
एक तरफ मेट्रो और नागरिक सुविधा केंद्र और दूसरी तरफ वरिष्ठ नागरिक सुविधा केंद्र बनाकर 30 प्रतिशत हरियाली कम कर दी है। अब पेट डाग पार्क बनने से और हरियाली गायब हो जाएगी और पार्क भी गंदा होगा। वरिष्ठ नागरिक, बच्चे और महिलाएं पार्क में आने से कतराएगे।
रामायण थीम पर बना तुलसी उपवन पार्क में तुलसीदास की प्रतिमा के साथ-साथ शबरी और राम, केवट और राम मिलन, जटायु मिलन, और वशिष्ठ-केवट मिलन जैसी प्रेरक प्रतिमाओं से सुसज्जित है। ऐसे में उनके युवा पीढी को उनके संदेश और उनके विचारों से अवगत कराया जाए ताकि आने वाली पीढ़ी अपने इतिहास के बारे में जान सके। किसी भी हाल में पार्क में पेट डाग पार्क का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा। पहले ही पार्क छोटा कर दिया है। शहर में कई जगह उजड़े पार्क बनने है वहां पर पेट डाग पार्क का निर्माण कराया जाए।
बोले मार्निग वाकर
पेट डाग पार्क का निर्माण कहीं और कराया जाए। पहले ही तुलसी उपवन में हरियाली की जगह कंक्रीट का जंगल बनता जा रहा है। पार्क में भगवान की मूर्ति लगी है।
विनय शुक्ल
पार्क हरियाली के लिए बनाया जाता है या निर्माण के लिए बनाया जाता है। पार्क को हरा भरा किया जाए। शहर के बीच में मोतीझील है जहां पर लोग टहलने आते है। पेट डाग पार्क और कहीं बनाया जाए।
उपेंद्र यादव
पार्क को हरा-भरा किया जाए। शहर का विस्तार होता गया और टहलने व खेलने के मैदान खत्म होते जा रहे है। अब केवल कंक्रीट के जंगल ही बचे है। मोतीझील बीच में बसा है। यहां पर लोग टहलने दूर से आते है।
हाजी मालिक अहमद
बोली महापौर
तुलसी उपवन मोतीझील में पेट डाग पार्क बनाने को लेकर वह अफसरों से बात करेगी। पहले ही तुलसी उपवन छोटा हो गया है। अफसरों से बात करके ही बताएगी।
प्रमिला पांडेय महापौर
तुलसी उपवन का इतिहास
तुलसी उपवन, मोतीझील में स्थित है, और इसका निर्माण 1981 में हुआ था। यह उपवन तुलसीदास की प्रतिमा के साथ-साथ शबरी और राम, केवट और राम मिलन, जटायु मिलन, और वशिष्ठ-केवट मिलन जैसी प्रेरक प्रतिमाओं से सुसज्जित है, जो युवा पीढ़ी को संदेश देती हैं। हर साल तुलसी जयंती पर यहां समारोह आयोजित किए जाते हैं।
इसके अलावा, तुलसी उपवन में एक रामायण थीम पार्क भी बनाया गया है, जहां लेजर लाइट शो के माध्यम से त्रेतायुग को जीवंत किया जाएगा। यह पार्क स्वदेश दर्शन योजना के तहत विकसित किया गया है हालांकि वह अभी चालू नहीं हो पाया है, जिसमें श्रीराम के जीवन को 15 मिनट की फिल्म के रूप में दिखाया जाएगा। इसमें दोहावली, कवितावली, गीतावली, पार्वती मंगल, और श्रीकृष्ण लीला जैसे प्रसंगों को भी शामिल किया जाएगा।
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