एलएलआर अस्पताल में कॉटन, गॉज-पट्टी भी खरीद रहे मरीज
हैलट पैथोलाजी में रसायन खत्म होने से जरूरी जांचें भी ठप हैं। मरीज बाहर जांच कराने के लिए मजबूर हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर: एलएलआर अस्पताल (हैलट) में बजट के अभाव में व्यवस्था लड़खड़ा गई है। कॉटन, गॉज-पट्टी और सूचर्स (टांके लगाने के काम आने वाला धागा) भी खत्म है। आर्थोपेडिक और सर्जरी विभाग में भर्ती मरीजों के स्वजन बाहर से खरीदने को मजबूर हैं। अस्पताल के स्टोर में फिनायल, टायलेट क्लीनिक, ब्लीचिंग पाउडर खत्म होने को है। समय रहते इंतजाम न होने पर अस्पताल की सफाई व्यवस्था भी धड़ाम हो सकती है।
एलएलआर अस्पताल में औषधि रसायन मद में सालाना 12 करोड़ रुपये मिलते हैं। इस मद से दवाएं, रीजेंट्स (रसायन), लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन, फिनायल, सूचर्स एवं ब्लीचिंग पाउडर की खरीद होती है। इसका 95 फीसद अक्टूबर माह तक खर्च हो चुका है। इसलिए अस्पताल प्रशासन की ओर से वित्तीय स्वीकृति को भेजा प्रस्ताव रोक दिया गया है। 25 दिन से फाइल प्राचार्य कार्यालय में पड़ी है।
पैथोलाजी की जांचें ठप
एलएलआर अस्पताल की पैथोलाजी में रसायन खत्म होने से जरूरी जांचें भी ठप हैं। मरीज बाहर जांच कराने के लिए मजबूर हैं। रसायन के साथ ही पैथोलाजी में मरीजों का खून निकाल कर रखने वाले वैक्यूटेनर ट्यूब भी खत्म हो गए हैं।
स्टोर में एक्सरे फिल्म नहीं
अस्पताल के मुख्य स्टोर में एक्सरे फिल्म खत्म हो गई हैं। इससे भंडार के प्रभारी ने प्रमुख अधीक्षक को अवगत कराया है। अगर समय रहते इंतजाम नहीं किया गया तो एक्सरे जांच भी प्रभावित हो सकती है।
लिखा-पढ़ी कर बचा रहे गर्दन
अस्पताल में व्यवस्था गड़बड़ाती देखकर सभी स्टोर लिपिक अपनी गर्दन बचाने में जुटे हैं। इसलिए लिखा-पढ़ी कर सूचनाएं अधिकारियों को भेजी है।
शासन को भंडार की स्थिति से अवगत कराया है। मार्च 2020 तक काम चलाने के लिए शासन से औषधि रसायन मद में आठ करोड़ रुपये मांगे हैं। सामग्री सम्पूर्ति मद में दो करोड़ रुपये में से एक करोड़ ही मिले हैं।-प्रो. आरके मौर्या, प्रमुख अधीक्षक, एलएलआर अस्पताल।