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    Eye Conjunctivitis Treatment: कंजक्टिवाइटिस से कार्निया और मस्तिष्क को खतरा, ऐसे करें बचाव

    By Jagran NewsEdited By: Narender Sanwariya
    Updated: Wed, 09 Aug 2023 07:00 AM (IST)

    Eye Conjunctivitis Treatment बैक्टीरिया कंजक्टिवाइटिस का खतरा सबसे ज्यादा गंभीर रोग क्षय रोग एचआइवी चर्म रोग कम हीमोग्लोबिन और एनीमिया वाले मरीजों में है। ऐसे मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। वायरल कंजक्टिवाइटिस तो पांच से सात दिन में ठीक हो जा रहा है जबकि बैक्टीरिया कंजक्टिवाइटिस को ठीक होने में 10 दिन से अधिक समय लग रहा है।

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    Eye Conjunctivitis Treatment: जीएसवीएम के नेत्र रोग विभाग में पीड़ित महिला की जांच करतीं विभागाध्यक्ष प्रो. शालिनी मोहन।

    कानपुर, अंकुश शुक्ला। वायरल कंजक्टिवाइटिस के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। जीएसवीएम मेडिकल कालेज की ओपीडी में आने वाले मरीजों में कई की आंख में गाढ़ा पीला कीचड़ और आंख की पलक में सूजन देखकर डाक्टरों को संक्रमण गंभीर होने का अंदेशा हुआ। कुछ मरीजों की आंख के पानी की कल्चर जांच में पता चला कि आंखों पर स्टैफीलोकोक्क्स बैक्टीरिया समूह के इपिडर्मिस और ओरियस बैक्टीरिया का हमला हो रहा है। उसके कारण आइ बाल के पिछले हिस्से में संक्रमण और कार्निया अल्सर का खतरा बढ़ गया है। मस्तिष्क की नसों पर भी खतरा हो सकता है।

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    जीएसवीएम मेडिकल कालेज के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. शालिनी मोहन के मुताबिक कंजक्टिवाइटिस को बैक्टीरिया ने खतरनाक बना दिया है। कंजक्टिवाइटिस में बैक्टीरिया से आइ बाल के पिछले हिस्से में संक्रमण होने के साथ ही मस्तिष्क तक उसके पहुंचने का खतरा रहता है। बैक्टीरिया से आंख की कार्निया के साथ मस्तिष्क के कई भाग पर गंभीर असर पड़ सकता है। प्रो. शालिनी के अनुसार कंजक्टिवाइटिस में स्टेराइड वाले आइ ड्राप के अधिक उपयोग से कार्निया अल्सर हो रहा है। ऐसे मरीजों को एंटीबायोटिक्स दिया जा रहा है।

    क्या होता है कार्निया अल्सर

    आंख के सामने वाले काले वाले हिस्से को कार्निया कहते हैं। इसमें घाव होने से प्रकाश की किरणें अंदर नहीं जा पाती है। कार्निया अल्सर कहते हैं। ऐसी स्थिति में जब ठीक होने पर माढ़ा बन जाता है। जो रोशनी को प्रभावित करता है।

    ऐसे करें बचाव

    1. कंजक्टिवाइटिस से पीड़ित मरीज बार-बार आंख को छूने से बचें।
    2. अगर गलती से हाथ आंख में लग जाता है तो उसे तुरंत सैनेटाइज करें।
    3. रूमाल और तौलिया किसी को प्रयोग नहीं करने दें।
    4. कंजक्टिवाइटिस होने पर लेंस का प्रयोग आंख में कतई नहीं करें।
    5. ऐसी स्थिति में मरीज को धूल वाले क्षेत्रों में जाने से बचना चाहिए।
    6. तरणताल और लंबे समय तक डिजिटल स्क्रीन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
    7. जलन और खुजली होने पर ठंडे पानी से आंख छीटे लगाने चाहिए।

    इनको ज्यादा खतरा

    बैक्टीरिया कंजक्टिवाइटिस का खतरा सबसे ज्यादा गंभीर रोग क्षय रोग, एचआइवी, चर्म रोग, कम हीमोग्लोबिन और एनीमिया वाले मरीजों में है। ऐसे मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और उनमें बैक्टीरिया का असर तेजी से होता है।

    मरीजों को ठीक होने में लग रहा है 10 दिन से अधिक समय

    वायरल कंजक्टिवाइटिस तो पांच से सात दिन में ठीक हो जा रहा है जबकि बैक्टीरिया कंजक्टिवाइटिस को ठीक होने में 10 दिन से अधिक समय लग रहा है। उनके मुताबिक कंजक्टिवाइटिस होने पर खुद इलाज करने के बजाय नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।