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इतिहास बनने की ओर लाल इमली, 100 दिन में बंद करने की है तैयारी

दिल्ली में नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने दिए संकेतमौजूदा समय में संचालित कुछ उपक्रम निजी हाथों में जा सकते।

By AbhishekEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 11:52 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 09:43 AM (IST)
इतिहास बनने की ओर लाल इमली, 100 दिन में बंद करने की है तैयारी
इतिहास बनने की ओर लाल इमली, 100 दिन में बंद करने की है तैयारी

कानपुर, जेएनएन। कानपुर की शान लाल इमली बंदी की ओर बढ़ चली है। यह संकेत नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने दिल्ली में मीडिया के साथ हुई बातचीत में दिए, जिसमें कहा गया है कि देश के बीमार 46 सरकारी उपक्रमों की उल्टी गिनती आने वाले 100 दिनों में पूरी हो जाएगी। दरअसल में कुछ उपक्रमों को बंद कर दिया जाएगा और कुछ को निजी हाथों में देने की तैयारी है। इस लिस्ट में ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन के स्वामित्व वाली लाल इमली और धारीवाल की कपड़ा मिलें भी शामिल हैं। वैसे मिल का उत्पादन दिसंबर 2013 से बंद है।

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वर्ष 1876 में हुई थी स्थापना

लालइमली मिल की स्थापना वर्ष 1876 में जार्ज ऐलन, वीई कूपर, गैविन एस जोन्स, डा.कोंडोन और बिवैन पेटमैन आदि ने की थी। पहले यह मिल ब्रिटिश सेना के सिपाहियों के लिए कंबल बनाने का काम करती थी। तब इसका नाम कॉनपोरे वुलन मिल्स था। बाद में मिल परिसर में लाल इमली के पेड़ होने की वजह से इसका नाम लालइमली पड़ा। इसकी पहचान दमदार क्वालिटी की वजह से भी थी।

यह है कहानी

वर्ष 1920 में ब्रिटिश इंडिया कॉर्पोरेशन स्थापित किया गया और लाल इमली को एक निदेशक मंडल द्वारा लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया। वर्ष 1956 में मुद्रा घोटाले के बाद निदेशक मंडल को भंग कर दिया गया। 11 जून 1981 को किए गए राष्ट्रीयकरण में यह मिल भारत सरकार के अधीन हो गई, जहां से इसके पतन की शुरुआत हुई। वर्ष 1992 में यह बीमार यूनिट घोषित कर दी गई।

मजदूर नेताओं ने कहा, बंदी से पहले दें मजदूरों का बकाया

लाल इमली की बंदी की सुगबुगाहट के बीच मजदूर नेताओं ने पहले मजदूरों का बकाया देने की मांग की है। इंटक नेता आशीष पांडेय ने बताया कि वर्ष 2006 से मजदूरों का बकाया एरियर एवं एक अप्रैल 2019 को रिवाइज पे स्केल पर मजदूरों को वीआरएस मिले। मजदूरों का बकाया एरियर और सबसे कम वेतनमान के अनुसार 30 हजार अनुमानित वेतन के लिए अगल से रणनीति बनें।

एक नजर में लाल इमली

10000 : श्रमिक तीन शिफ्टों में करते थे काम

650 : श्रमिक बाकी बचे

1992 : में बीमार यूनिट घोषित

2013 : दिसंबर से उत्पादन ठप

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