दीपावली : पटाखों से क्या होता है नुकसान, जल जाने पर इन बातों का रखें ध्यान
पटाखों के धुएं से श्वांस रोगियों तथा पटाखे की तेज आवाज से हृदय रोगियों की बढ़ सकती है परेशानी।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। दीपावली खुशियों का त्योहार है। जरा सी लापरवाही हादसे का सबब बन सकती है। खुशियों के त्योहार दीपावली पर बड़े-बूढ़े और बच्चे जमकर पटाखे छुड़ाते हैं। पटाखे छुड़ाने में जरा सी लापरवाही खुशियों में खलल डाल सकती है। फुलझडिय़ों, अनार एवं रॉकेट की चिंगारी आंखों की रोशनी पर भारी पड़ सकती है। पटाखों के धुएं से श्वांस रोगियों और तेज आवाज पटाखे व बम से हृदय रोगियों की परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए एहतियात बरतते हुए अपनों संग त्योहार का लुत्फ उठाएं।
श्वास रोगी लगाएं मॉस्क
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के टीबी एवं चेस्ट विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुधीर चौधरी का कहना है कि दीपावली में पटाखे छुड़ाने से वायुमंडल में प्रदूषण बढ़ जाता है। ऐसे में फेफड़े व श्वांस रोगियों की समस्या बढ़ जाती है। अत्यधिक धुएं से अस्थमा का अटैक पड़ सकता है। पटाखे छुड़ाएं तो इनहेलर साथ रखें। संभव हो तो मुंह में मास्क लगाएं।
फट सकता कान का पर्दा
जीएसवीएम ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एसके कनौजिया का कहना कि तेज आवाज वाले पटाखें न छुड़ाएं। 90-115 डेसिबल से कम तीव्रता के पटाखे बर्दाशत किए जा सकते हैं। अत्याधिक तीव्रता यानी 140 डेसिबल से ऊपर के पटाखों से कान की हड्डी टूट सकती है। कान का पर्दा और अंदरुनी भाग क्षतिग्रस्त हो सकता है। तेज आवाज का पटाखा छोडऩे के बाद सनसनाहट बनी रहती है। कुछ घंटे बाद भी ठीक न होने पर ईएनटी विशेषज्ञ को दिखाएं। पटाखे के धुंए से नाक एवं गले में दिक्कत हो सकती है।
बच्चों को अकेले न छोड़ें
बाल रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. यशवंत राव की सलाह है कि पटाखे छुड़ाने के लिए बच्चों को अकेले न छोड़ें। गलत तरीके से पटाखे छुड़ाने से बच्चे झुलस सकते हैं। बच्चों को सिर्फ रोशनी वाले पटाखे ही छुड़ाने के लिए दें। अस्थमाग्रस्त बच्चों को पटाखों से दूर रखें।
संभल कर रहें दिल के मरीज
लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान के कार्डियोलाजी विभाग के प्रवक्ता डॉ. एसके सिन्हा की सलाह है कि दीपावली पर हाई ब्लड प्रेशर एवं दिल के मरीज सतर्क रहें। पटाखों की तेज आवाज से बचने के लिए बंद कमरे में रहें तो बेहतर होगा। अचानक तेज आवाज से ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो सकता है। इससे हार्ट अटैक भी पड़ सकता है।
चश्मा पहन कर जलाएं पटाखे
जीएसवीएम नेत्र रोक विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शालिनी मोहन का कहना है कि पटाखे दूर से जलाएं। चिंगारी से आंख की कार्निया में थर्मल बर्न हो सकता है। इससे कार्निया में अल्सर हो सकता है और रोशनी भी जा सकती है। अगर आंख में बारुद या हल्की चिंगारी लग जाए तो ठंडे पानी से 15 मिनट तक लगातार धोएं। तेज आवाज के पटाखे से आंख की पुतली फट सकती है। अनार एवं राकेट छोडऩे में पूरा एहतियात बरतें। बेहतर है कि पटाखा छुड़ाते समय आंखों में चश्मा लगाएं।
ये बरतें सावधानी
-हाथ में लेकर पटाखे न छुड़ाएं।
-घर के अंदर पटाखे छुड़ाने से बचें।
-ज्वलनशील पदार्थों या फिर कूड़े के ढेर के पास पटाखे न जलाएं।
-खुले स्थान पर पटाखे जलाएं।
-जहां पटाखा जलाएं वहां पानी से भरी बाल्टी रखें।
-जलाने के बाद पटाखों के अवशेष पानी में डालें।
-पटाखे बाक्स, मटके या बोतल में न छुड़ाएं।
-पटाखा या बम जलाकर न फेंकें।
-भीड़भाड़ वाले इलाके में पटाखा न छुड़ाएं।
-जलाने के बाद पटाखे के पास न जाएं।
-तेज आवाज वाले पटाखे जलाने से बचें। इससे सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
-अगर शरीर का कोई अंग जल जाए तो जलन खत्म होने तक ठंडा पानी डालें। उसके बाद चिकित्सक को दिखाएं
जलने पर क्या करें- क्या न करें
-पटाखे से जलने पर उस अंग पर फौरन ठंडा पानी डालें।
-भूल कर भी जले हुए अंग को कपड़े से न रगड़े।
-जले हुए स्थान पर कोल्ड क्रीम, अगर बरनॉल हो तो अच्छी तरह लगाएं।
-घाव अगर गहरा हो तो तत्काल चिकित्सक को दिखाएं।
-आंख में चिंगारी या बारुद जाने पर ठंडे पानी से अच्छी तरह धोएं।
-भूल कर भी आंख मसले नहीं, इससे कार्निया क्षतिग्रस्त हो सकती है।
-भूल कर भी गुलाब जल आंख में न डालें।
-घर पर एंटीबायोटिक आई ड्राप हो तो डाल सकते हैं।
-अगर आंख न खुल रही हो तो फौरन नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।