साई के दर पर 'दरिद्र नारायण' की सेवा
'नर सेवा ही नारायण सेवा', 'मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म..'। यह प्रेरक वाक्य लिखे तो कई मंदिरों की दीवारों पर देखे होंगे, लेकिन साकार होते देखना है तो गणेश नगर स्थित शनि साई धाम जाइये।
जागरण संवाददाता, कानपुर : 'नर सेवा ही नारायण सेवा', 'मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म..'। यह प्रेरक वाक्य लिखे तो कई मंदिरों की दीवारों पर देखे होंगे, लेकिन साकार होते देखना है तो गणेश नगर स्थित शनि साई धाम जाइये। यहां भगवान को भोग अर्पण करने के साथ ही हर सुबह भूखे, गरीब, असहाय दिव्यांगों को भरपेट स्वादिष्ट भोजन कराया जाता है। गरीबों की दुआओं ने इस मंदिर को शहर में 'अन्नदाता' के रूप में पहचान दी है।
इस पुण्य कार्य में अपने सहयोगी सेवाभावी जनों के साथ जुटे हैं पार्षद महेंद्र नाथ शुक्ला। उन्होंने मंदिर में दिव्यांगों के लिए वर्षभर के लिए भोजन की व्यवस्था करा दी। मंदिर में सुबह होते ही भोजन करने वालों का तांता लगता है। प्रतिदिन भोजन का अलग मेन्यू होता है। सब्जी, रोटी व कचौड़ी के साथ खीर, हलुआ, लड्डू भी परोसा जाता है।
निर्बल लोगों के लिए टिफिन सेवा
भोजन करने आने वाले गरीबों के परिवारों में जो चलने में असमर्थ हैं, उनके लिए टिफिन सेवा भी चलाई जा रही है। प्रतिदिन लगभग 50 से ज्यादा परिवारों के निर्बल लोगों को भोजन पहुंचाया जाता है।
प्रमुख दिनों में होती निराली छटा
कई भक्त मंदिर में अपने प्रियजनों के जन्मदिन व अन्य अवसरों पर भोजन की व्यवस्था कराते हैं। मंदिर में सेवा कार्य के लिए लोग स्वयं आगे आते हैं। अवसरों में असहायों के लिए खास भोजन की व्यवस्था कराई जाती है।
मदद के लिए आगे आए कई हाथ
श्री शनि साई मंदिर की इस पहल से जुड़ने के लिए कई लोगों ने अपनी ओर से मदद के हाथ बढ़ाए। दान का महत्व समझते हुए उन लोगों ने अपने नाम को गुप्त रखा क्योंकि वे लोग मानते हैं कि दान का कभी प्रचार नहीं करना चाहिए। अगर प्रभु की सेवा रही तो मंदिर की ओर से चल रहा गरीबों को भोजन कराने का कार्य दिन में दो बार यानी सुबह-शाम कराया जाएगा। इससे हम ज्यादा जरूरतमंदों की मदद कर पाएंगे। उन्हें दो वक्त का भोजन मुहैया हो सकेगा।
- महेंद्र नाथ शुक्ला, पार्षद