PM Modi को 10वीं बार खून से लिखा खत, जनिए- क्यों बुंदेले कर रहे हैं ऐसा
पहली नवंबर 1956 को बुंदेलखंड राज्य को दो भागों में बांटते हुए मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में मिलाकर भारत के मानचित्र से उसे मिटा दिया गया था। तभी से बुंदेलखंड दो राज्यों के बीच में पिस रहा है और अब फिर अलग राज्य गठन की मांग उठ रही है।
महोबा, जेएनएन। बुंदेली समाज के लोगों ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से खत लिखकर अपनी बात दोहराई है। दसवीं बार खून से खत लिखने वाले बुंदेलों ने पीएम मोदी से उन लोगों की भावनाओं का सम्मान करने का आग्रह किया है। यह पहली बार नहीं है इसके पहले भी प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर भी बुंदेली समाज के लोगों ने खून से लिखा खत भेजा था।
बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने साथियों के साथ रविवार को पहली नवंबर का दिन काला दिवस के रूप में मनाया। मास्क पहने बुंदेली समाज के लोगों ने खून से खत लिखकर दसवीं बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा। तारा पाटकर ने बताया कि एक नवंबर को देश में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक और केरल जैसे छह राज्यों का स्थापना दिवस है लेकिन बुंदेलखंड का बर्बादी दिवस है। 1956 में आज ही के दिन जब मध्यप्रदेश का गठन हुआ, बुंदेलखंड को उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में बांटकर भारत के मानचित्र से मिटा दिया गया था। तभी से बुंदेलखंड दोनों राज्यों के बीच में पिस रहा है।
आल्हा चौक स्थित आंबेडकर पार्क में महामंत्री डाॅ. अजय बरसैया, प्रेम चौरसिया, वीरेंद्र अवस्थी, डाॅ. सचिन खरया, भूमित्र सोनी, दिव्यांश हरदया आदि ने अपने खून से खत लिखे। उन्होंने प्रधानमंत्री से बुंदेलखंड के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने की अपील की। सुरेश बुंदेलखंडी, हरीओम निषाद, पंकज चौरसिया, अमरचंद विश्वकर्मा, रमाकांत नगायच, कृष्णा शंकर जोशी ने कहा कि जबतक बुंदेलखंड राज्य नहीं बनता, न तो यहां की भाषा, संस्कृति, ऐतिहासिक विरासतों की रक्षा हो पाएगी और न यहां भ्रष्टाचार कम हो पाएगा।
इससे पहले भी बुंदेलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 70वें जन्मदिन पर खून से खत लिखकर बधाई भेजकर बुंदेलखंड को पृथक राज्य बनाने की मांग फिर दोहराई थी। मध्यप्रदेश के छह और उत्तर प्रदेश के सात जिलों में आठ गैर राजनीतिक दलों द्वारा बनाए गए ‘बुंदेलखंड संयुक्त मोर्चा’ के बैनर तले कई दिनों तक आंदोलन भी कर चुके हैं। बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर के नेतृत्व में 603 दिनों से अनशन पर बैठे थे।